
प्रतिभाएं केवल बड़े शहरों और नामचीन स्कूलों में ही नहीं फूलती-फूलतीं। मौका और हौसला हो तो रेगिस्तान में भी फूल खिल सकते हैं।
इसका जीता जागता उदाहरण है हरियाणा के सबसे पिछले जिले मेवात के छोटे से गांव नौसेरा का 20 वर्षीय आरिफ उस्मान।
इस प्रतिभाशाली छात्र को अमेरिका की सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी ने प्रति माह डेढ़ लाख रुपये स्कॉलरशिप देने के लिए चुना है। वहीं इसकी प्रतिभा के मुरीद गूगल ने अमेरिका में इसे साढ़े तीन घंटे के नौकरी के बदले 1.35 लाख का मासिक ऑफर दिया है।
ऐसा दावा भी किया गया है कि आरिफ हिन्दुस्तान का पहला ऐसा छात्र है, जिसे इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल हुई है।
आरिफ अभी कर्नाटक के मंगलौर के पीए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन) के अंतिम सेमेस्टर का छात्र है।
आरिफ ने'अमर उजाला' को बताया कि पिता मोहम्मद उस्मान के कहने पर उसने जापान के एक बिजनेस स्कूल में एमबीए कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किया था।
इस बीच, सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी ने उसका ऑनलाइन प्रोफाइल देखकर उसे स्कॉलरशिप का ऑफर दिया। इसके लिए उसका टेलीफोनिक साक्षात्कार भी हुआ।
सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी के स्कॉलरशिप के लिए दुनिया भर से 12 हजार छात्रों ने आवेदन किया था। जिसमें से 70 लोगों का चयन हुआ। आरिफ उनमें से एक है।
उसने बताया कि विश्वविद्यालय ने तमाम प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद उसे 'मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस' कोर्स में दाखिला लेने के लिए योग्य घोषित किया गया है।
उसे प्रति माह डेढ लाख रुपये की स्कॉलरशिप भी एक वर्ष तक दी जाएगी। स्कॉलरशिप एक सितंबर, 2014 से शुरू होगी। सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी ने आरिफ की प्रोफाइल और रिज्यूम गूगल अमेरिका को भेजा।
उसके बाद उसका चयन प्रोडक्ट इंजीनियर के पद पर पार्ट टाइम जॉब के लिए किया गया। इस काम के लिए उसे प्रति माह एक लाख 35 हजार रुपये मिलेंगे।
उसने गूगल में लगातार दो वर्ष तक काम किया तो उसका सालाना पैकेज एक 1.20 करोड़ रुपये हो जाएगा।
इसका जीता जागता उदाहरण है हरियाणा के सबसे पिछले जिले मेवात के छोटे से गांव नौसेरा का 20 वर्षीय आरिफ उस्मान।
इस प्रतिभाशाली छात्र को अमेरिका की सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी ने प्रति माह डेढ़ लाख रुपये स्कॉलरशिप देने के लिए चुना है। वहीं इसकी प्रतिभा के मुरीद गूगल ने अमेरिका में इसे साढ़े तीन घंटे के नौकरी के बदले 1.35 लाख का मासिक ऑफर दिया है।
ऐसा दावा भी किया गया है कि आरिफ हिन्दुस्तान का पहला ऐसा छात्र है, जिसे इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल हुई है।
आरिफ अभी कर्नाटक के मंगलौर के पीए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन) के अंतिम सेमेस्टर का छात्र है।
आरिफ ने'अमर उजाला' को बताया कि पिता मोहम्मद उस्मान के कहने पर उसने जापान के एक बिजनेस स्कूल में एमबीए कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किया था।
इस बीच, सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी ने उसका ऑनलाइन प्रोफाइल देखकर उसे स्कॉलरशिप का ऑफर दिया। इसके लिए उसका टेलीफोनिक साक्षात्कार भी हुआ।
सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी के स्कॉलरशिप के लिए दुनिया भर से 12 हजार छात्रों ने आवेदन किया था। जिसमें से 70 लोगों का चयन हुआ। आरिफ उनमें से एक है।
उसने बताया कि विश्वविद्यालय ने तमाम प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद उसे 'मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस' कोर्स में दाखिला लेने के लिए योग्य घोषित किया गया है।
उसे प्रति माह डेढ लाख रुपये की स्कॉलरशिप भी एक वर्ष तक दी जाएगी। स्कॉलरशिप एक सितंबर, 2014 से शुरू होगी। सेन फ्रांसिसको यूनिवर्सिटी ने आरिफ की प्रोफाइल और रिज्यूम गूगल अमेरिका को भेजा।
उसके बाद उसका चयन प्रोडक्ट इंजीनियर के पद पर पार्ट टाइम जॉब के लिए किया गया। इस काम के लिए उसे प्रति माह एक लाख 35 हजार रुपये मिलेंगे।
उसने गूगल में लगातार दो वर्ष तक काम किया तो उसका सालाना पैकेज एक 1.20 करोड़ रुपये हो जाएगा।
इसी तरह सर्विस पांच वर्ष रही तो उसे जॉब के साथ एग्जीक्यूटिव एमबीए करने का भी मौका मिलेगा। इसके बाद वह कंपनी में एमडी या सीईओ के पद तक पहुंच सकता है।
आरिफ�का�गांव से गूगल तक का सफर
मेवात के गांव नौसेरा का रहने वाला है
नौवीं तक की शिक्षा अरावली पब्लिक स्कूल फिरोजपुर झिरका में हुई
10वीं की पढ़ाई केसीएम पब्लिक स्कूल होडल से
11वीं व 12वीं की पढ़ाई महरौली के सीएसकेएम पब्लिक स्कूल से
12वीं की बोर्ड परीक्षा में फिजिक्स, कैमेस्ट्री व मैथ में 92 प्रतिशत अंक इसके लिए गोल्ड मेडल मिला था
आरिफ के पिता मोहम्मद उस्मान याकूब जापान के नियोन एलीवेटर में इंजीनियर
आरिफ�का�गांव से गूगल तक का सफर
मेवात के गांव नौसेरा का रहने वाला है
नौवीं तक की शिक्षा अरावली पब्लिक स्कूल फिरोजपुर झिरका में हुई
10वीं की पढ़ाई केसीएम पब्लिक स्कूल होडल से
11वीं व 12वीं की पढ़ाई महरौली के सीएसकेएम पब्लिक स्कूल से
12वीं की बोर्ड परीक्षा में फिजिक्स, कैमेस्ट्री व मैथ में 92 प्रतिशत अंक इसके लिए गोल्ड मेडल मिला था
आरिफ के पिता मोहम्मद उस्मान याकूब जापान के नियोन एलीवेटर में इंजीनियर
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