Sunday, January 26, 2014

राजपथ पर शौर्य और संस्कृति की झलक

india celebrates 65th republic day parade on rajpath
देशभर में 65वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया। दिल्‍ली के राजपथ पर सेना के तीनों अंगों के जवानों ने अपने शौर्य और देश प्रेम के जज्बे को प्रदर्शित ‌किया।

राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में सेना के जवानों ने टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर और अन्य सैन्य उपकरणों को पेश कर देश के सैन्य श‌क्ति को प्रदर्शित किया।

भारतीय वायुसेना के जवानों ने लड़ाकू विमान सुखोई-30, ध्वनि की गति से उड़ान भरने वाले तेजस, मिसाइल अस्‍त्र के साथ राष्ट्रपति को सलामी दी। उनके बाद देश्‍ा के लिए सुरक्षा उपकरण्‍ा विकसित करने वाले संगठन डीरडीओ की झांकी पेश्‍ा की गई।

बीएसएफ के रंग-बिरंगे ऊंट दस्ते ने लोगों का मन मोह लिया। तटरक्षक बल, दिल्‍ली पु‌लिस, एनसीसी के जवान अनुशासन और श्‍ा‌क्ति संतुलन की एक बानगी पेश की।



मिनी इंडिया की झलक
तीनों सेनाओं के बाद राज्यों की झांकियों का प्रदर्शन ‌शुरू हुआ। मेघालय ने अपने राज्य की नकदी फसल सुपारी को झांकी की थीम बनाई। अरूणाचल के कलाकारों ने नृत्य पेश किया तो वहीं उत्तराखंड ने अपने प्राकृतिक संसाधन जड़ी-बूटी और पहाड़ी जीवन शैली को प्रदर्शित किया।

महाराष्ट्र के कलाकारों ने नारियल पर्व पर आधारित झांकी पेश की। इन झांकियां में देश की विविधता में एकता और भारत की समृद्ध सांकृतिक विरासत की झलक देखने को मिली।

कर्नाटक ने अपने राज्य के योद्धा टीपू सुल्तान पर आधारित झांकी पेश की। पश्चिम बंगाल ने इस परेड में पुरूलिया छउ नृत्य को पेश किया जिसे कुछ लोग विलुप्त होने से बचाने में लगे हैं।

तमिलनाडु ने पोंगल को अपना थीम बनाया वहीं असम ने अपनी झांकी से गायक भूपेन हजारिका को श्रद्धांजलि दी। चंडीगढ़ ने शहर की पहचान रॉक गार्डेन को इस परेड में प्राथमिकता दी।



भारतीय रेलवे ने अपनी झांकी में एशिया की तीसरी सबसे लंबी पीर पंजाल सुरंग को बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया। क़ृषि मंत्रालय ने सूचना तकनी‌क से किसानों को लैस करने पर आधारित झांकी पेश की।

हैरतअंगेज करतब
राज्यों की झाकियों के बाद राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्‍मानित बच्चों ने गाड़ी में सवार होकर हाथ हिलाते हुए लोगों के अभिवादन को स्वीकार किया।

बीएसएफ के 162 जाबांज जवानों ने मोटरसाइकिल पर हैरतअंगेज करतब दिखाए। जवानों ने कई तरह के स्टंट किए, जिसे देखकर सब ने दांतों तले अंगुलियां दबा ली। पांच मोटरसाइकिलों पर 36 जवानों ने एक मानक गुलदस्ता पेश किया।



राजपथ पर फ्लाईपास्ट

परेड के अंत में बारी थी हवाई करतबों की। सबसे पहले फाइटर विमान सुखोई-30 ने आसमान में दहाड़ लगाई। फिर सी हर्यक्यूलिस विमान ने फ्लाईपास्ट किया। उसके बाद नंबर था जगुआर विमानों का। फिर 5 मिग-29 विमान आसमान का ‌सीना चीरते हुए राजपथ से आगे बढ़ गए।



तिरंगे को सलामी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजपथ पर मुख्य अतिथ‌ि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ समारोह‌ स्‍थल पर पहुंचे।

राष्ट्रपति ने तिरंगे को सलामी देने के बाद शांति काल के दौरान नक्सली अभियान में शहीद हुए इंस्पेक्टर वी प्रसाद बाबू को अशोक चक्र से सम्‍मानित किया। उनके पिता को यह चक्र दिया गया।

republic day
























समारोह‌ स्‍थल पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के अलावा और भी गणमान्य लोग मौजूद रहे।

तिरंगा फहराने से पूर्व राष्ट्रपति ने अमर जवान ज्योति पर देश की आन, बान और शान के लिए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। सभी राज्यों में राज्यपालों ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली।

सुरक्षा के कड़े प्रबंध
समारोह के लिए शनिवार देर रात रायसीना हिल्स से लेकर लाल किले तक सेना के उच्च अधिकारियों ने सुरक्षा जांच की। राजपथ समेत इंडिया गेट इलाके को भी सेना ने कब्जे में ले लिया। पूरे देश में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।

सानिया मिर्ज़ा ऑस्ट्रेलियन ओपन में हारीं

sania defeated in australian open
सानिया मिर्ज़ा का मिश्रित युगल का तीसरा ग्रैंड स्लैम ख़िताब जीतने का सपना टूट गया है।

ऑस्ट्रेलियन ओपन के मिश्रित युगल का फ़ाइनल मुक़ाबला रविवार को खेला गया। इसमें भारत की सानिया मिर्ज़ा और रोमानिया के होरिया तेकाऊ की जोड़ी को फ्रांस की क्रिस्टिना मालदोवनिक और कनाडा के डेनियल नेस्टर की जोड़ी को सीधे सेटों में 6-3 और 6-2 से मात दी।

फ़ाइनल का सफ़र

मेलबर्न पार्क के रॉड लेवर एरिना में इस मैच का पहले सेट 28 मिनट और दूसरा सेट 30 मिनट तक चला।

सेमी फ़ाइनल में सानिया मिर्ज़ा और होरिया की तेकाऊ की जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के जार्मिला ग़ाजदसोवा और मैथ्यू एडन की जोड़ी को 2-6, 6-3 और 10-2 (टाई ब्रेकर) से हराया था। यह मैच एक घंटा 13 मिनट तक चला था।

क्वार्टर फाइनल में छठी वरीयता वाले सानिया और तेकाऊ ने पाकिस्तान के एसाम उल हक कुरैशी और जर्मनी की जूलिया जार्जेस को सीधे सेटों में 6-3, 6-4 से हराया था।

इससे पहले सानिया मिर्ज़ा दो बार मिश्रित युगल ख़िताब जीत चुकी हैं। उन्होंने साल 2009 में ऑस्ट्रेलियन ओपन और साल 2012 में फ़्रैंच ओपन में महेश भूपति के साथ ये ख़िताब जीते हैं।

ऑस्ट्रेलियन ओपन के पुरुष सिंगल्स का फ़ाइनल मुक़ाबला रविवार शाम को ही खेला जाएगा। इसमें पहली वरीयता प्राप्त स्पेन के राफ़ेल नडाल का मुक़ाबला आठवीं वरीयता प्राप्त स्विट्जरलैंड के स्टैनसिल्स बारनिका के बीच होगा।

इससे पहले महिला एकल के एक घंटा 37 मिनट तक चले मुकाबले में चौथी वरीयता प्राप्त जापान की ली ना ने 20वीं वरीय स्लोवाकिया की डोमीनिका सिबुलकोवा को सीधे सेटों में 7-6(7-3)। 6-0 से हराया था।

यह उनके करियर का दूसरा ग्रैंड स्लैम खिताब था।

हिमाचल से राज्य सभा जाएंगी शीला?

Sheila may make it to RS from Himachal
हिमाचल में अब तक दो गैर हिमाचली ही राज्य सभा सदस्य रह चुके हैं। ये मोहेंद्र कौर और केएल शर्मा रहे हैं। दोनों का पहले से ही हिमाचल से जुड़ाव रहा है। शीला दीक्षित अगर यहां से राज्य सभा सदस्य बनती हैं तो वह तीसरी गैर हिमाचली होंगी।

मोहेंद्र कौर जनता पार्टी से वर्ष 1978 से 1984 के बीच राज्य सभा सदस्य रहीं। वह पटियाला राजघराने से संबंधित रही हैं। यूं तो वह मूल रूप से पंजाब से रही हैं, पर हिमाचल में इस राजघराने की उस समय भी कई संपत्तियां थीं और आज भी मौजूद हैं। इस वजह से उनका कोई अधिक विरोध नहीं रहा।

इनके बाद एक अन्य गैर हिमाचली कृष्णलाल शर्मा हिमाचल से 1980 से 1986 तक भाजपा से राज्य सभा सदस्य रहे। वे जनसंघ, भाजपा आदि का हिमाचल का प्रभार देखते रहे हैं। उनका शिमला में उस समय मकान भी रहा है, मगर हिमाचल में भाजपा के भीतर ही उनका काफी विरोध रहा।

इस बार यह चर्चा सरगर्मी से है कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समर्थक उनकी हिमाचल से राज्य सभा सदस्यता चाह रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो वह अब तक की तीसरी गैर हिमाचली राज्य सभा सदस्य होंगी। पर हिमाचल कांग्रेस के भीतर ही उनका गुपचुप विरोध होना भी शुरू हो गया है।

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी राजा रामपाल सिंह ने बताया कि 'अभी तक हिमाचल से राज्य सभा के उम्मीदवार को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। शीला दीक्षित उम्मीदवार होंगी या कोई और। इस बारे में हाईकमान को ही निर्णय लेना है।'

अब तक हिमाचल से ये रहे राज्यसभा सदस्य

अब तक हिमाचल से वर्ष 1952 से लेकर ये चिरंजीलाल वर्मा, लीला देवी, आनंद चंद, शिवानंद रमौल, सालिगराम, सत्यवती डांग, रोशन लाल, जगन्नाथ भारद्वाज, ज्ञान चंद टुटू, मोहेंद्र कौर, उषा मल्होत्रा, आनंद शर्मा, चंदन शर्मा, सुशील बरांगपा, कृष्णलाल शर्मा, महेश्वर सिंह, चंद्रेश कुमारी, अनिल शर्मा, कृपाल परमार, विप्लव ठाकुर, शांता कुमार, विमला कश्यप, जगतप्रकाश नड्डा आदि राज्य सभा सदस्य रह चुके हैं। इनमें चिरंजीव लाल वर्मा, रोशन लाल, सुशील बरांगपा और आनंद शर्मा दो-दो बार सदस्य रह चुके हैं।

कथित सामूहिक बलात्कार पर सब खामोश

investigation in birbhum gangrape case
बीरभूम में कथित सामूहिक बलात्कार मामले में पुलिस प्रशासन अब एकदम ख़ामोश है। कोई भी कथित बलात्कार की पुष्टि करने को तैयार नहीं है उधर गांव वाले कह रहे हैं कि बलात्कार हुआ ही नहीं।

लेकिन राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री का कहना है कि पीड़िता की बात को ही प्राथमिकता दी जाएगी।

बीबीसी संवाददाता अमिताभ भट्टासाली ने गांव का दौरा कर वहां के हालात को समझने की कोशिश की।

पंचायत के फरमान पर युवती से 12 ने किया गैंगरेप


"मैं कुछ नहीं जानता।"
राजारामपुर-सुबलपुर 'लाल मिट्टी की धरती' के किसी अन्य गांव की तरह ही है। बीरभूम ज़िले की लाभपुर सड़क से कई किलोमीटर दूरी पर स्थित यह गांव भारत के पहले नोबल पुरस्कार विजेता रबिंद्र नाथ टैगौर के शांतिनिकेतन से ज़्यादा दूर नहीं है।

यह एक आदिवासी गांव है जिसके ज़्यादातर घर मिट्टी के बने हैं। गांव समृद्ध नहीं है लेकिन बहुत गरीब भी नहीं है।

कोई भी आपको गांव के मुखिया बलाई मद्दी का घर दिखा देगा। मिट्टी का बना एक दो मंजिला घर, जिसकी लहरदार चादर की छत है, सामने घास से भरा एक आंगन है। घर के आगे एक फूस का कमरा है जिसे पर पुलिस ने घेरा डाल दिया है।

पुलिस ने मुझे "घटना की जगह" दिखाई। एफ़आईआर के अनुसार 20 वर्षीय आदिवासी लड़की का फूस के कमरे में 12 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था।

शनिवार को फॉरेंसिक वैज्ञानिकों ने वहां सबूतों की तलाश में अल्ट्रा-वॉयलट रे के साथ छानबीन की थी।

मुखिया के घर के पास मौजूद लोगों से जब मैंने इस बारे में पूछा तो उनका रटा-रटाया जवाब था, "मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता।" या फिर, "मैं गांव में नहीं रहता। मैंने बस इसके बारे में सुना है, इसलिए मैं कुछ नहीं कह सकता।"

मुखिया के घर से 100 मीटर दूर मैंने एक महिला को उस घटना के बारे बात करते हुए सुना। मैंने उन्हें बात करने के लिए मना लिया लेकिन अपना नाम ज़ाहिर करने से साफ़ इनकार कर दिया।

"बलात्कार हुआ ही नहीं"

उनके बेटे को उस घटना के सिलसिले में गिरफ़्तार कर लिया गया था। उन्होंने कहा, "यकीन मानो, कोई बलात्कार नहीं हुआ। यह किसी किस्म का षड्यंत्र है।"

मैंने उन्हें विस्तार से बताने को कहा।

उन्होंने कहा, "लड़की और उसके परिवार को बार-बार चेतावनी दी गई थी कि वह जाति से बाहर किसी से संबंध न रखे। लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया। सोमवार को हमने उसे एक गैर-आदिवासी लड़के के साथ रंगे-हाथों पकड़ लिया। वह लड़की के घर पर थे।"

उन्होंने आगे कहा, "हम उन्हें पकड़कर मुखिया के घर ले गए और एक पेड़ से बांध दिया। एक सालिशि सभा (एक गैरकानूनी अदालत, जिसे गांव में स्थानीय स्तर पर मामले निपटाने के लिए बनाया जाता है) अगले दिन सुबह बुलाई गई। मेरे और मेरे बेटे समेत गांव के आदमी-औरतों ने रात भर उन दोनों पर नज़र रखी। उस रात किसी ने भी उसका बलात्कार नहीं किया।"

महिला ने कहा कि पंचायत ने 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जिसे लड़के के परिवार ने चुका दिया और दोनों को जाने दिया गया। लेकिन मेरे लिए आश्चर्यजनक घटनाओं का अंत यहीं नहीं हुआ।

जब मैं उस महिला से बात कर रहा था कुछ और महिलाएं वहां एकत्र हो गईं और बोलने लगीं।

उन्होंने कहा, "लड़की को उसका बड़ा भाई वापस ले गया था। मंगलवार को वह पूरा दिन अपने घर पर रही। बुधवार को हमने उसे एक साइकिल पर जाते हुए देखा, उसकी मां उसके साथ थी। देर शाम पुलिसवाले गांव में आए और हमारे आदमियों को उठाकर ले गए। हमें पता चला कि उसने सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवाई है।"

"वह कहानी क्यों गढ़ेगी"

आदिवासी बहुत सघन रूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और अक्सर एक ही स्वर में बोलते हैं। वे मुझे पीड़िता के घर ले गए।

एक आंगन था, एक-दूसरे से सटे दो कमरे, दोनों ही बंद। कुछ पहने हुए कपड़े और एक जोड़ी जूते बाहर पड़े हुए थे।

एक कमरे की बाहरी दीवारों पर फ़िल्मी हीरो और हीरोइनों के पोस्टर चिपके थे।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पीड़िता ने दिल्ली में तीन साल तक एक घरेलू सहायिका के रूप में काम किया था और कुछ महीने पहले वापस आई थी।

गांववालों ने बताया कि लड़की उस लड़के के साथ एक सहायक के रूप में काम कर रही थी। मुझे बाद में पता चला कि पीड़िता का कथित प्रेमी एक शादीशुदा आदमी है, जिसके परिवार में बीवी के अलावा बेटी और बेटा भी हैं।

मंगलवार को 25,000 रुपये चुकाने के बाद उसने अपना चौहट्टा गांव छोड़ दिया था। उसकी बीवी हसीना बीबी ने मुझे बताया कि उनकी 15 साल की बेटी की शादी होने वाली थी लेकिन उन्हें जुर्माना चुकाने के लिए एक सोने की चेन बेचनी पड़ी।

पीड़िता के घर में एक लड़का महिलाओँ के समूह और मेरी बातें सुन रहा था। पता चला कि वह पीड़िता का सबसे छोटा भाई सोम मुर्मु है।

सोम पड़ोस के गांव में अपने ससुरालवालों के साथ रहता है और उसने अपनी बहन पर हुए अत्याचार की कहानी अपनी मां और बहन से बाद में सुनी।

मैंने उससे पूछा कि दूसरी महिलाएं उसकी बहन से बिल्कुल उलट कहानी क्यों सुना रही हैं?

इस पर सोम मुर्मु ने कहा कि उन्हें यकीन है कि उसकी बहन पर ज़रूर अत्याचार हुए थे। उसने पलटकर पूछा, "वह ऐसी कहानी क्यों गढ़ेगी?"

"गोपनीय रिपोर्ट"
बाद में बंगाल की महिला और बाल विकास मंत्री सशि पांजा ने सिउरी सरकारी अस्पताल में जाकर पीड़िता का हालचाल पूछा। वहां पत्रकारों ने घटना को लेकर गांववालों की पक्ष की बात पूछी।

इस पर मंत्री का कहना था, "ऐसी शिकायतों में पीड़िता के पक्ष को सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता है। और यह मेडिको-लीगल (चिकित्स-आधारित कानूनी) मामला है। इसकी जांच रिपोर्ट बेहद गोपनीय होती हैं और तो और मैंने भी इन्हें नहीं देखा है।"

वैसे जब से गांववालों ने बोलना शुरू किया है प्रशासन के होंठ सी गए हैं। सामान्यतः पुलिस और डॉक्टर बलात्कार के किसी मामले की पुष्टि को लेकर इतने ख़ामोश नहीं रहते।

पांच सदस्यीय डॉक्टरों के दल के प्रमुख डॉक्टर असित बिस्वास मंत्री के बयान को ही दोहराते हैं।

वह कहते हैं, "चिकित्सकीय जांच की रिपोर्ट गोपनीय हैं और सिर्फ़ पुलिस को ही दी जाएगी। आप मुझसे यह जानने की कितनी ही कोशिश करें कि उसका बलात्कार हुआ है या नहीं मैं एक शब्द भी नहीं बोलूंगा। मैं बस आपको यह बता सकता हूं कि वह लड़की अब बेहतर स्थिति में है।"

असित बिस्वास कहते हैं, "रक्तजांच और सोनोग्राफ़ी हो चुकी है और कुछ और जांच अभी की जा रही हैं। वह पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत कर रही थी। लेकिन अब वह ठीक है। उसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत मनोवैज्ञानिक सलाह की है। वो अब भी सदमे में है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या उसके साथ बलात्कार हुआ था, वह फिर ख़ामोश हो गए। इससे पहले उन्होंने कहा था कि शुरुआती जांच से पता चला है कि उसके साथ बलात्कार हुआ है।

मैं शुक्रवार को पद ग्रहण करने वाले पुलिस अधीक्षक आलोक राजोरिया से भी मिला। उनके पूर्ववर्ती सी सुधाकर को हटा दिया गया था।

उन्होंने कहा, "मैंने सुना है कि गांववालों का कहना कुछ और है। अभियुक्त उसी गांव के निवासी हैं और इसलिए यह स्वाभाविक है। लेकिन हमने इस पक्ष की पड़ताल अभी नहीं की है। अभी इसकी ज़रूरत भी नहीं है। फ़िलहाल हमारा ध्यान गिरफ़्तार लोगों से पूछताछ और अपराध के दृश्य की पुनर्रचना पर है।"

वीरता पुरस्कार पाने वाला 'वीर' आज भी बदहाल

national bravery award winner still unemployed
तीन जनवरी, 2001 को दिन ढलने को था, तभी महाकाली में नाव बेकाबू हो पलट गई। नाव में सवार 18 लोगों में से 11 डूबने लगे। तभी वहां मौजूद एक बहादुर किशोर ने अपनी जान की परवाह किए बगैर नदी में छलांग लगा दी। और एक-एक कर छह लोगों को बचा लिया।

शेष पांच लोगों को एक नेपाली व्यक्ति ने नदी से निकाला। बहादुरी की मिसाल कायम करने वाला यह 'वीर' युवक वर्तमान में बेरोजगार है। सरकार न तब से इस युवक की कोई सुध नहीं ली है।

उत्तराखंड में नेपाल की सीमा से लगे मां पूर्णागिरि क्षेत्र के ऊचौलीगोठ गांव के कृष्णानंद भट्ट के बेटे घनश्याम भट्ट ने तीन, जनवरी 2001 में बेमिसाल बहादुरी दिखाई। इस दिन केंद्रीय जल आयोग की संयुक्त परियोजना के काम में लगे लोग रोज की तरह नाव से लौट रहे थे। तभी महाकाली नदी में नाव डगमगाकर पलट गई और 11 लोग डूबने लगे। नदी किनारे काम कर रहे 14 साल के घनश्याम ने डूबते लोगों को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी और छह लोगों को सकुशल बचा लिया।

इसके बाद साल 2005 में भी घनश्याम ने मां पूर्णागिरि धाम मेले के दौरान अलीगढ़ के एक तीर्थयात्री को डूबने से बचाया। इस वीरता के लिए घनश्याम को साल 2007 में राष्ट्रपति ने जीवन रक्षा पदक से नवाजा। जिसमें 30 हजार रुपए के अलावा दो मेडल और प्रशस्ति पत्र दिया गया।

उनका कहना है कि नदी किनारे रहने के चलते उन्हें तैराकी में बचपन से ही महारथ है। अपने इस हुनर को घनश्याम अब भी डूबते लोगों को बचाने में लगा रहा है।

मुस्लिमों पर मेहरबान सपा का एक और दांव

samajwadi party muslim card
शासन स्तर से ही अल्पसंख्यकों का लक्ष्य तय किया गया है। जिले की इसमें कोई भूमिका नहीं है। शासन के  दिशा-निर्देशों के मुताबिक ही पात्रों को लाभ दिया जा रहा।

- साहित्य प्रकाश मिश्र, परियोजना निदेशक, डीआरडीए बरेली

चुनावी साल में सपा सरकार अल्पसंख्यकों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गई है। इंदिरा आवास योजना भले ही केंद्र की हो मगर प्रदेश की सपा सरकार ने इसमें भी अल्पसंख्यक कोटा बढ़ाकर चुनावी दांव खेल दिया।

इसके लिए अनुसूचित जाति के 62 फीसदी कोटे पर कैंची चला दी गई। मंडल के तीन जिलों में 60 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों को बांट दिए गए हैं। जबकि नियम के मुताबिक 15 फीसदी आवास ही इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं।

बरेली में 78 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों के नाम कर दिए गए हैं। वहीं पीलीभीत में यह आंकड़ा 77 फीसदी है। कहने का मतलब लगभग सिर्फ 23 फीसदी आवास में अनुसूचित जाति वर्ग, ओबीसी और सामान्य वर्ग को लिया गया है।

आवास वितरण में तय कोटा तोड़ा
योजना की गाइड लाइन कहती है कि कुल लक्ष्य के 60 फीसदी आवास अनुसूचित वर्ग को और 15 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों को दिए जाएं। मंडल के बरेली, शाहजहांपुर और पीलीभीत जिले के आंकड़े� देखें तो निर्धारित कोटे को तोड़ते हुए 60 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों को बांट दिए गए हैं।

सूत्र बताते हैं कि जिन जिलों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है वहां पर शासन ने कुछ इसी तरह का खेल खेला है। प्रदेश के दो दर्जन जिलों में कोटे का ख्याल ही नहीं रखा गया। मंडल के बदायूं में पिछले साल ही बीपीएल सूची में शामिल अधिकांश अल्पसंख्यकों को ज्यादा संख्या में आवास बांट दिए गए थे।

पढ़ें, मुस्लिमों के लिए मुलायम ने रचा इतिहास!

लिहाजा इस बार यहां मंडल के अन्य तीनों जिलों से थोड़ा कम अल्पसंख्यकों को लाभ दिया गया है। फिर भी निर्धारित 15 फीसदी कोटे का दोगुना बदायूं में लाभार्थी हैं।

योजना के तहत 75 फीसदी रकम देता है केंद्र
इंदिरा आवास योजना के तहत छत विहीन गरीब परिवारों को आवास मिलता है। पहले प्रति आवास 45 हजार रुपए धनराशि थी, अब इसे बढ़ाकर 70 हजार रुपए कर दिया गया है। योजना के तहत 75 फीसदी धनराशि केंद्र सरकार देती है वहीं 25 फीसदी राज्य सरकार। लाभार्थियों को 35-35 हजार रुपए दो किश्तों में मिलते हैं।
जिला----------कुल आवास---------अल्पसंख्यकों को
बरेली-------------494---------------389
पीलीभीत---------2839--------------2210
शाहजहांपुर---------2663-------------989

ट्विटर पर भिड़े अनुपम खेर-उमर अब्‍दुल्ला

twitter war between anupam and omar
सेना की ओर से पथरीबल मुठभेड़ मामले की जांच बंद करने का विरोध शुरू होने के बाद 16 वर्ष पहले का वंधामा नरसंहार भी सुर्खियों में आ गया है। ट्विटर पर कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों ने इस मामले में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से सवालों की बौछार लगा दी।

सवालों से उमर इतने विचलित हो उठे कि उन्होंने एक के बाद एक छह ट्वीट कर सवालों के जवाब दिए। कश्मीर के वंधामा में 16 साल पहले 25 जनवरी 1998 को 23 कश्मीरी पंडितों की आतंकियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।

सवाल पूछने वालों में बालीवुड नेता अनुपम खेर अग्रणी रहे। अनुपम खेर ने एक ट्वीट कर उमर से जम्मू के शरणार्थी कैंप जाकर विनोद के बारे में पता करने को कहा, जिसके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी। साथ ही लिखा कि इस मामले की फाइल भले ही बंद हो गई हो, पर अपने दिल को खोलना।

इसके जवाब में उमर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री रहते और इसके अलावा भी उन्होंने पीड़ित समुदाय के लिए जो बेहतर हो सकता था किया। वे उनके दर्द को भी नहीं भूले। उमर ने एक के बाद एक छह ट्वीट कर सवालों का जवाब देने की कोशिश की। सवाल पूछने वालों से उमर ने उनके छह ट्वीट में नरसंहार के बाद सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की पूरी जानकारी देने की बात कही।

पंडितों के नरसंहार को लेकर सवालों की बौछार से घिरे मुख्यमंत्री को बालीवुड नेता अनुपम खेर ने भी ट्वीट के माध्यम से जवाब देते हुए कहा कि अगर किसी राज्य के प्रमुख हो तो कठोर सवाल सुनने और बर्दाश्त करने ही पड़ेंगे। अपने पहले ट्वीट में उमर ने लिखा कि इस नरसंहार पर बहुत चर्चा हो रही है। जबकि तथ्यों और आरोपों में बहुत अंतर है।

दूसरे ट्वीट में उमर ने लिखा कि मेरे साथ बने रहिए कि जब तक मैं 25 जनवरी 1998 में हरकत उल अंसार के संदिग्ध आतंकियों द्वारा 23 कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले के तथ्य रखता हूं। तीसरे ट्वीट में उमर ने लिखा कि 17 फरवरी को सुरक्षा बलों ने वंधामा में अभियान चलाकर छह विदेशी आतंकियों जोकि पाकिस्तानी बताए गए थे, को मार गिराया था और एक आतंकी घायल हुआ था।

चौथे ट्वीट में उमर ने लिखा कि घायल आतंकी ने वंधामा नरसंहार में शामिल होना कबूल किया था और आईएसआई के एक कमांडर का नाम भी लिया था। पांचवें ट्वीट में उमर ने लिखा कि अभियान को आगे बढ़ाते हुए सुरक्षा बलों ने वंधामा में छह और विदेशी आतंकियों को मार गिराया था। इसके बाद न ही कोई इंटेलीजेंस इनपुट मिले और न ही कोई गवाह।

आखिरी और छठे ट्वीट में सीएम ने लिखा कि इसके चलते केस बंद कर दिया गया था। वंधामा नरसंहार में सरकार के सोए रहने और मामले को अनदेखा करने के आरोप गलत हैं। पवन दुर्रानी, सुनील भट्ट ने भी वंधमा नरसंहार पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। इसके अलावा आदित्य राज कौल ने भी यासीन मलिक और बिट्टा कराटे पर चल रहे मुकदमों की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान केंद्रित किया।

गृह मंत्रालय के पास नहीं थी जानकारी

वंधामा में 16 साल पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बारे में गृह मंत्रालय में कोई जानकारी नहीं है। एक आरटीआई के जवाब में मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि विभाग को ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है, जिसमें बच्चों समेत 23 कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया था।

उल्लेखनीय है कि विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के युवकों के एक संगठन रूट्स इन कश्मीर ने वर्ष 2008 में आरटीआई के तहत आवेदन दायर किया था। संगठन ने इस मामले की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की जानकारी मंत्रालय के पास है, पर विस्तृत जानकारी नहीं है।

क्या है दो सीटों वाले टॉयलेट का रहस्य?

mystery of two seater toilet
शीतकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी कर रहे रूस के सोची शहर का का एक अनूठा शौचालय आजकल सोशल मीडिया पर बहस की वजह बन गया है।

खास बात यह है कि इस शौचालय में दो सीटें हैं, मगर दोनों के बीच कोई पर्दा नहीं। लौरा क्रॉस काउंटी में यह शौचालय ख़ास तौर पर शीतकालीन खेलों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

बीबीसी मॉस्को संवाददाता स्टीव रोज़ेनबर्ग जब इस शौचालय में दाख़िल हुए तो उनकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा।

इसी हैरानी के चलते उन्होंने शौचालय से निकलते हुए इसकी तस्वीर अपने मोबाइल के कैमरे में क़ैद कर ली।

यही तस्वीर जब सोशल मीडिया पर आई, तो लोगों की प्रतिक्रियाओं की मानो बाढ़ आ गई।

रेडियो/टीवी पर चर्चा
रूसी रेडियो और टेलीविज़न पर इस तस्वीर की आजकल ख़ूब चर्चा हो रही है।

कुछ लोगों ने इस तस्वीर को देखकर इसे रूस में मौजूद भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप लगाने शुरू कर दिए।

दूसरी तरफ़ सोची में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों का हवाला देते हुए ऐसे ही किसी आम शहरी ने टिप्पणी की, ''इसी के लिए आपको 50 अरब डॉलर मिले थे?''

एक दूसरे ब्लॉगर ने लिख डाला, ''इसमें बीच में पर्दा होता था, लेकिन लोग इतने मोटे हो गए हैं कि इसे हटाना पड़ा।''

'गे-प्रोपेगेंडा'
वहीं कुछ लोगों ने इस पर चुटकी लेते हुए लिखा, ''एक सीट पुतिन के लिए है और दूसरी मेदवेदेव के लिए।''

उल्लेखनीय है कि व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति हैं जबकि दिमित्री मेदवेदेव प्रधानमंत्री हैं।

इतना ही नहीं, किसी ब्लॉगर ने अपनी रचनात्मकता दिखाते हुए इस शौचालय की तस्वीर में पुतिन और मेदवेदेव की तस्वीर भी चिपकाकर उसे फिर से पोस्ट कर दिया।

कुछ ने इस समलैंगिकों से जोड़कर टिप्पणी कर डाली, ''सावधान, ये गे-प्रोपेगेंडा है।''

एक ब्लॉगर ने तो इसे ख़ुफिया एजेंसी से जोड़ दिया और लिखा, ''एक सीट खिलाड़ी के लिए है जबकि दूसरी केजीबी अधिकारी के लिए जो उस खिलाड़ी को सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं।''

आखिर आडवाणी ने कह दी मन की बात

advani want to contest loksabha election
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं।

भारतीय मीडिया में शनिवार को ख़बरें आई थीं कि भाजपा लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को राज्य सभा में भेजने की तैयारी कर रही है।

रविवार को लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आडवाणी ने संवाददाताओं से कहा, ''अभी तक तो मन में यही है।''

इस बारे में जब बीबीसी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता नलिन कोहली से बात की तो उन्होंने कहा, ''राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ जी कह चुके हैं कि जो आडवाणी जी चाहेंगे, वही होगा। राजनाथ जी ने बहुत स्पष्ट रूप से यह बात कही है। उनके शब्द ही यही थे कि जो आडवाणी जी चाहेंगे, वही होगा।''

लालकृष्ण आडवाणी, फ़िलहाल गुजरात के गांधीनगर सीट से लोकसभा सदस्य हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में अपने कुछ नेताओं को राज्य सभा चुनावों के लिए नामित किया है।

जिन सात नामों को पार्टी ने आगे बढ़ाया है, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर, सत्यनारायण जटिया और विजय गोयल भी शामिल हैं।

पार्टी विजय गोयल को राजस्थान, सीपी ठाकुर को बिहार और सत्यनारायण जटिया को मध्यप्रदेश से राज्यसभा में भेजना चाहती है।

राज्यसभा चुनाव सात फ़रवरी को होना है जिसके लिए नामांकन पत्र दाख़िल करने की आख़िरी तारीख़ 28 जनवरी है।

राष्ट्रपति प्रण्‍ाब को अरविंद केजरीवाल का जवाब

arvind kejriwal retweet shekhar kapoor's tweet
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण में AAP को निशाना बनाए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने शेखर कपूर के ट्वीट को रि-ट्वीट किया है। इसे केजरीवाल के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद फिल्‍म निर्देशक शेखर कपूर ने ट्वीट किया, "राष्ट्रपति महोदय, ऐक्टिविज्म और अराजकता एक समान नहीं हैं। अराजकता तो 1984 में हुई थी, जब राज्य और पुलिस ने भीड़ को सिखों की हत्या के लिए उकसाया था।"

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शेखर कपूर के इस ट्वीट को रि-ट्वीट किया है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने अभिभाषण में इशारों-इशारों में आम आदमी पार्टी (आप) को नसीहत देते हुए दो टूक शब्दों में कहा था कि लोकलुभावन अराजकता सुशासन का विकल्प नहीं हो सकती है। नेताओं को जनता से वही वादे करने चाहिए, जिन्हें वे पूरा कर सकें।

अंडमान में नाव पलटी, 21की मौत

boat accident in andaman, 21 dead
अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के पास एक नाव हादसे में 21 लोगों की डूबकर मौत हो गई है। मारे गए लोग पर्यटक थे और ज़्यादातर तमिलनाडु के कांचीपुरम और मुंबई के थे।

हादसा रविवार शाम पौने तीन बजे के क़रीब पूर्वी अंडमान और निकोबार इलाक़े में समुद्र तट से तीन किलोमीटर दूर हुआ।

मरीन रेस्क्यू एंड कोऑर्डिनेशन कमांड को हादसे की ख़बर क़रीब चार बजे मिली। मगर तब तक मछुआरों ने कुछ लोगों को बचा लिया था।हादसे की जगह रॉस आयलैंड और नॉर्थ बे के बीच बताई गई है।

बीबीसी से बातचीत में पोर्ट ब्लेयर के कलेक्टर पी जवाहर ने बताया, ''हमने अब तक 13 लोगों को बचा लिया है। नाव पर तीन बच्चे भी सवार थे जिनमें से एक की डूबकर मौत हो गई है।''

उन्होंने बताया, ''बचाव और राहत का काम जारी है। भारतीय कोस्ट गार्ड और भारतीय वायु सेना बचाव कार्यों में लगे हैं। नाव पर क़रीब 45 लोग सवार थे। नाव के डूबने के मामले में जांच की जाएगी।''

'ज़्यादा लोगों को ले जाने की क्षमता नहीं'

अधिकारियों ने बताया है कि 45 पर्यटकों में क़रीब 32 तमिलनाडु और पांच मुंबई के थे।

डीजी पुलिस सुधीर यादव ने बताया, ''यह कम दूरी तक जाने वाली नाव थी। हमें अंदेशा है कि इसमें इतने ज़्यादा लोगों को ले जाने की क्षमता नहीं थी।''

लोगों की तलाश के लिए राहत और बचाव अभियान रात में जारी है। इसके लिए नावों और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

यूपी: परेड के बाद माननीयों से बदसुलूकी

misbehavior after republic day parade
गणतंत्र दिवस परेड पर तंत्र की ओर से गणों से न केवल अभद्रता की गई बल्कि उन्हें धक्का देकर विधानसभा के बाहर निकाल दिया गया।

ये वो गणमान्य थे, जिन्हें परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था।

बेइज्जती से नाराज कई विधायक व विभागों के आला अधिकारी घर वापस लौट गए, जिसके बाद व्यवस्थाओं से लेकर पुलिसवालों के रवैये तक पर सवाल उठते रहे।

करने जा रहे थे नाश्ता
26 जनवरी को विधानसभा केसामने से निकली परेड के समापन पर आमंत्रित अतिथियों के लिए विधानसभा में जलपान की व्यवस्था थी, लेकिन जब आमंत्रित अतिथि भीतर जाने लगे तो ड्यूटी पर तैनात पुलिसवालों ने उन्हें जाने से रोका।

पास दिखाने के बावजूद लोगों को किनारे हटा दिया गया। लोगों ने जब कारण पूछे तो अभद्रता करते हुए उन्हें बाहर धकेल दिया गया।

यहां तक कि हालात हाथापाई तक पहुंच गए। आमंत्रणपत्र होने के बावजूद हुई इस बेइज्जती से नाराज अतिथि वापस लौट गए।

स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी ने नाराजगी जताई कि 'कार्ड दिखाने के बावजूद, पुलिसवालों ने ऐसा बर्ताव किया जैसे हम लोगों ने कोई जघन्य अपराध कर दिया हो'।

वापस लौट रहे एक विधायक अपने साथियों से नाराजगी कुछ यूं बयां कर रहे थे,'पुलिसवालों की शिकायत नेताजी मुलायम सिंह यादव व मुख्यमंत्री से करूंगा। इससे पार्टी की इमेज खराब हुई है।'

सचिवालय केएक आला अधिकारी ने कहा कि 'यह पहली मर्तबे है जब गणतंत्र दिवस पर लोगों के साथ ऐसा घटिया बर्ताव किया गया है। अगर व्यवस्थाएं नहीं थीं तो हमें आमंत्रित ही क्यों किया।'

उतावले दिखे पुलिसवाले

परेड में निकल रहीं विभिन्न विभागों की झांकियां व सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने का उतावलापन पुलिसवालों में लोगों से ज्यादा नजर आया। पुलिसवाले खुद सड़क घेरकर खड़े हो गए और ड्यूटी छोड़ मोबाइलों से रिकॉर्डिंग करने लगे। इसको लेकर पीछे बैठे दर्शकों से कई बार पुलिसवालों की नोंकझोंक भी हुई।

पुलिसवालों के सामने से न हटने पर लोग बैरिकेडिंग फांदकर आगे सड़क पर आ गए। कुछ तो बेरिकेडिंग पर ही चढ़ गए।

यूपी: 12 साल बाद मिली गुलामी से आजादी

gujrat youth bondage for twelve years in up
मेरे संज्ञान में मामला नहीं है। यदि पीड़ित थाने पहुंचता है तो वह मामले की जांच करा उचित कार्रवाई करेंगे।

- संजय पांचाल, एसओ बाबूगढ़

बेशक रविवार को देशवासी 65वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हों लेकिन पिछले 12 सालों से गुलामों की जिंदगी जी रहे गुजरात के एक युवक कहानी सुनकर लोगों को गुलामी के दिनों की याद ताजा हो जाएगी।

यह युवक शुक्रवार रात गुलामी की जंजीर तोड़कर उत्तर प्रदेश के हापुड़ में कुचेसर रोड चौपला पर पहुंचा और एक दूध कारोबारी की कार के आगे बेहोश हो गया। दूध कारोबारी उसे अपने घर लाया और उसकी आपबीती सुनकर उसकी भी आंख भर आई। अब वह दूध कारोबारी युवक को न्याय दिलाना चाहता है। इसके लिए रविवार को कुचेसर रोड चौपला के लोग एसपी से मिलेंगे।

अहमदाबाद (गुजरात) के थाना कालापुर के गांव काशीबाड़ी निवासी सूरज पुत्र मनिया ने बताया कि करीब 8 साल की उम्र में उसे एक ट्रक चालक रोटी और कपड़ा देने के बहाने हापुड़ ले आया और उसे कुचेसर चौपला और सिंभावली के बीच किसी गांव में एक व्यक्ति को बेच दिया।

suraj

बकौल सूरज, उसका मालिक उसे एक गुलाम की तरह रखता था। सुबह एक गिलास छाछ (मटठ) और गुड़ देकर शाम तक उससे काम कराया जाता। शाम के समय उसे दो सूखी रोटी और अचार मिलता। कई बार उसने वहां से भागने की कोशिश की लेकिन मालिक रात के समय उसके कमरे का बाहर ताला लगा देता था और जरा सी गलती होने पर उसका शोषण किया जाता।

सूरज ने बताया कि जब वह अपने मालिक से पढ़ने की बात करता तो उसको डंडों से पीटा जाता। शुक्रवार शाम उसका मालिक गन्ना लेकर क्रय केंद्र पर गया तो मकान को खुला छोड़ गया फिर मौका देखकर वह वहां से भाग निकला। भागते-भागते वह कुचेसर रोड चौपला पहुंचा और अहमदाबाद जाने के लिए लोगों को हाथ देने लगा लेकिन किसी ने अपनी गाड़ी नही रोकी।

इसी दौरान सिखेड़ा स्थित एक दूध प्लांट पर दूध डालकर अपनी कार से लौट रहे कुचेसर रोड चौपला निवासी अमरजीत सिंह ने जब उसके पास अपनी कार रोकी तो सूरज बेहोश हो गया। इसके बाद अमरजीत उसे अपने घर ले गए। होश आने पर सूरज ने आपबीती सुनाई।

पढ़ें, जेल में हैवानियत, विचलित कर देने वाली 9 तस्वीरें

उसकी कहानी सुनकर सभी की आंखें भर आईं। अब सूरज को उसके माता-पिता से मिलवाने का जिम्मा अमरजीत सिंह ने उठाया है। अमरजीत सिंह का कहना है कि वह उसे न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।

रविवार को वह कुछ लोगों के साथ सूरज को लेकर एसपी से मिलेंगे। वहीं, बाबूगढ़ एसओ संजय पांचाल का कहना है कि उनके संज्ञान में मामला नहीं है। यदि पीड़ित थाने पहुंचता है तो वह मामले की जांच करा उचित कार्रवाई करेंगे।

दंगा: भीतर ही भीतर सुलग रही ‘चिंगारी’

violent situation in muzaffarnagar
ग्रामीणों ने पुलिस कार्रवाई बाधा डालने की कोशिश की है। पुलिस ने कोई लाठीचार्ज नहीं किया। भीड़ को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया था। भगदड़ में गिरने से महिला को चोट लगी है। घायलों का मेडिकल कराकर रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

- हरिनारायण सिंह, एसएसपी मुजफ्फरनगर

मुजफ्फरनगर दंगे की एसआईटी की जांच में दोषी पाए गए आरोपियों की गिरफ्तारी का मुद्दा बवाल खड़ा कर सकता है। फर्जी नामजदगी की जांच प्रक्रिया चार माह से ज्यादा का वक्त ले चुकी है। संगीन वारदातों में गिरफ्तारी न के बराबर हैं। फुगाना में गैंगरेप के 22 आरोपियों में से महज एक को ही पुलिस पकड़ पाई है।

सात सितंबर को मुजफ्फरनगर और शामली इलाके में भड़की हिंसा में 60 से ज्यादा बेगुनाहों की मौत हो गई थी। हिंसा के बाद पीड़ितों ने विभिन्न थानों में 564 मुकदमे दर्ज कराए थे। इनमें छह हजार से अधिक लोगों को नामजद कराया गया था। नामजदगी को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर हंगामा हुआ था। महिलाएं तक सड़कों पर उतर आईं थीं। बीते चार माह से एसआईटी दर्ज मुकदमों की तफ्तीश में जुटी है।

अभी तक जो आरोपी दोषी पाए गए हैं, उनकी सूची संबंधित थानों को भेज दी गई है। जो आरोपी गिरफ्तार हुए, उनमें से अधिकांश जमानत पर छूट आए हैं। हत्या, आगजनी और गैंगरेप जैसे संगीन मामलों में गिरफ्तारी न के बराबर हुई है। फुगाना इलाके में दंगे के दौरान गैंगरेप के छह मामलों में एसआईटी ने 22 लोगों को आरोपी बनाया है, लेकिन गिरफ्तारी महज एक शख्स की हुई है।

पढ़ें, मुजफ्फरनगर दंगा: आरोपी की गिरफ्तारी पर बवाल

हिंसाग्रस्त फुगाना, भौराकलां और शाहपुर इलाके में पुलिस के लिए दंगे के आरोपियों की गिरफ्तारी चुनौती बन गई है। काकड़ा में शनिवार को दंगा पीड़ितों की बाइक जलाने के आरोपी नीटू की गिरफ्तारी के बाद हुआ बवाल भी यही संकेत दे रहा है।

muzaffarnagar

बताते चलें कि नंगला मंदौड़ की 'बहू-बेटी सम्मान बचाओ महापंचायत' से लौटते हुए सात सितंबर को पुरबालियान में ग्रामीणों पर जो हमला हुआ था, उसमें काकड़ा के तीन लोगों की मौत हो गई थी। यहां से सभी मुस्लिम परिवार खौफ के चलते पलायन कर चुके हैं। अभी भी मुस्लिम बस्ती में सन्नाटा पसरा हुआ है। पिछले दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी इस गांव में पहुंचे थे।

कुटबा में भी हो चुका है विरोध
शाहपुर थाने के गांव कुटबा में आरोपियों की गिरफ्तारी को पहुंची पुलिस फोर्स पर पथराव हो गया था। पथराव में कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त होने के साथ कई पुलिसकर्मी भी चोटिल हुए थे। भारी विरोध के चलते एसएसपी एचएन सिंह समेत तमाम अफसरों को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे।

रात को गांव में होगी पंचायत
शाहपुर के गांव काकड़ा निवासी नीटू की गिरफ्तारी और महिलाओं से मारपीट का मामला तूल पकड़ सकता है। भाजपा नेता डॉ. संजीव बालियान और उमेश मलिक के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पुलिस कार्रवाई के विरोध में पंचायत करने का ऐलान किया है। प्रशासन मौजूदा हालात में बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में जुटा है।

आडवाणी-जोशी को राज्यसभा का ‌टिकट?

bjp send lal krishna advani and murli manohar joshi rajya sabha
अटल-आडवाणी की छाया से पूरी तरह मुक्त हो चुकी भाजपा, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक और नई करवट लेनी की तैयारी में हैं।

पार्टी नेतृत्व आरएसएस की पुरानी इच्छा के अनुरूप 75 की अवस्था पार कर चुके वरिष्ठ नेताओं को चुनावी राजनीति से दूर कर नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने के फार्मूले पर तत्काल काम शुरू करना चाह रहा है।

इस कड़ी में पार्टी अपने वरिष्ठतम नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी को राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रही है।

अगर आडवाणी ने विरोध नहीं जताया तो उन्हें गुजरात से और डॉ जोशी को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसी रणनीति के तहत पार्टी ने महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और गुजरात की पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा रोक रखी है।

दरअसल बीते शुक्रवार को राज्यसभा के प्रत्याशी घोषित करने के लिए हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस संबंध में गंभीर बातचीत हुई। अंतिम निर्णय न होने के कारण पांच सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने का फैसला टाल दिया गया।

पार्टी नेतृत्व ने आडवाणी और जोशी से इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया है। सूत्रों के मुताबिक बृहस्पतिवार को वरिष्ठ नितिन गडकरी और भाजपा के संगठन महासचिव रामलाल ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से नागपुर में मुलाकात कर इस रणनीति पर चर्चा की।

शुक्रवार को चुनाव समिति की बैठक के बाद राजनाथ सिंह के निवास पर एक और विशेष बैठक हुई जिसमें रामलाल, गडकरी, अरुण जेटली और अनंत कुमार शामिल हुए।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक आडवाणी और जोशी दोनों अभी तक इसके लिए राजी नहीं हुए हैं। चूंकि राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 27 जनवरी है, इसलिए अगले एक-दो दिनों में तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी।

गौरतलब है कि संघ 2004 के चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही पार्टी में नई पीढ़ी को विकसित करने की वकालत करता रहा है। पूर्व संघ प्रमुख सुदर्शन ने तो 2004 में ही वाजपेयी, आडवाणी सहित तमाम वयोवृद्ध नेताओं को संन्यास तक लेने की सलाह दे डाली थी।

बाद में साल 2009 के चुनाव में मिली करारी हार के बाद वर्तमान संघ प्रमुख ने भी पार्टी युवा नेतृत्व को विकसित करने की सलाह दी थी। उन्होंने भी 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके नेताओं को पार्टी में युवाओं के लिए रास्ता छोड़ने की सलाह दी थी।

मगर अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले संघ की इच्छा पर अमल आडवाणी और उनके समर्थकों को रास नहीं आने के कई कारण हैं। दरअसल आडवाणी समर्थक अब भी 2014 के चुनाव के बाद आडवाणी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं।

'पहलवान हैं नेताजी, मोदी संभलकर बात करें'

azam attack on narendra modi
उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खान ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के 56 इंच सीना वाले बयान पर पलटवार किया है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि मोदी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बारे में जरा संभलकर बात किया करें क्योंकि मुलायम सिंह यादव पहलवान भी हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी मुलायम सिंह यादव को चुनौती दे रहे हैं कि वो यूपी को गुजरात नहीं बना सकते। इसके लिए 56 इंच का सीना चाहिए। आजम खान ने कहा कि हमें यूपी को गुजरात बनाना ही नहीं है।

पढ़ें, '56 इंच' पर सपा का मोदी पर तंज

आजम खान ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी को 56 का इंच का जवाब दे दिया है। यूपी के लोग यूपी वालों की बात पहले सुनेंगे, बाकी को बाद में।

उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में जो कुछ भी हुआ वह बहुत ही शर्मनाक व दर्दनाक है। हालात को काबू में करने व दंगा पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने हर संभव प्रयास किया।

आजम ने कहा कि मीडिया ने दंगा पीड़ितों की व्यथा बताई, इसके लिए शुक्रिया लेकिन मीडिया को यह भी बताना चाहिए कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? किसने दंगों की साजिश रची, किसने बेगुनाहों का खून बहाया? इन सवालों का जवाब भी मिलना चाहिए।

तीन एफआईआर में केजरीवाल का नाम, बढ़ी मुश्किलें

kejriwal name in three fir
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें बढ़ती दिख रही हैं। रेल भवन के सामने हुए 20 और 21 जनवरी को हुए धरना-प्रदर्शन मामले में दिल्ली पुलिस ने तीन एफआईआर में केजरीवाल का नाम दर्ज किया है।

तीनों में दंगा भड़काने, भड़काऊ भाषण देने, धारा 144 का उल्लंघन करने और सरकारी काम में बाधा डालने समेत कई अन्य धाराएं लगाई हैं। ज्यादातर धाराएं गैर-जमानती हैं।

दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार एफआईआर में केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया, राखी बिडलान और सोमनाथ भारती का भी नाम है। पुलिस ने एक एफआईआर में अपना बचाव भी किया है।

पढ़ें, 'राखी इतनी पसंद हैं, तो CM उम्मीदवार बनाए शिवसेना'

पुलिस ने कहा है कि केजरीवाल को पहले ही बता दिया गया था कि रेल भवन और उसके आसपास धारा 144 लगी हुई है, इसके बावजूद उन्होंने अपना धरना खत्म नहीं किया। चौथी एफआईआर गेस्ट शिक्षक की शिकायत पर 'आप' कार्यकर्ताओं और समर्थकों के खिलाफ दर्ज की गई है।

बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस कुछ सवालों पर पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री को नोटिस भी थमाने की तैयारी में है। पुलिस को मुख्यमंत्री के भड़काऊ भाषण के कई स्पष्ट फुटेज मिले हैं।

यह भी माना जा रहा है कि तफ्तीश जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी दिल्ली पुलिस और मुख्यमंत्री केजरीवाल के बीच टकराव और बढ़ेगा। ऐसे में दिल्ली पुलिस हर कदम बहुत ही सोच-विचार और कानूनी राय के बाद ही उठाएगी। देखने वाली बात यह है कि दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट को क्या जवाब देती है।

अखिलेश सरकार नहीं देगी बुजुर्गों को कंबल

old people didnt get blanket
भूख मुक्ति एवं जीवन रक्षा गारंटी योजना के अंतर्गत कंबल खरीद में प्री-डिस्पैच जांच की व्यवस्था खत्म करने पर उठाए गए सवालों के बाद शासन ने कंबल खरीद और वितरण प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दी है।

कंपनियों ने नए शासनादेश पर सवाल उठाए जाने के बाद प्री-डिस्पैच जांच न होने पर आपूर्ति से हाथ खड़े कर दिए थे।

अब इस ठंडक में कंबल व साड़ी का वितरण मुमकिन नजर नहीं आ रहा है। सरकार ने 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले 57 लाख बुजुर्गों को 31 जनवरी तक एक-एक कंबल देने की घोषणा की थी।

पिछले दिनों शासन ने कड़ाके की ठंडक का हवाला देते हुए 31 जनवरी तक कंबल खरीद कर गरीब बुजुर्गों में वितरण करने की बात कही थी।

कम समय का हवाला देकर शासन ने प्री-डिस्पैच जांच की व्यवस्था भी खत्म कर दी थी। वितरण के पहले प्री-डिस्पैच जांच खत्म करने से कंबल की गुणवत्ता सुनिश्चित कर पाना काफी कठिन माना जा रहा था।

इसके अलावा शासन ने जिस तरह से इस खरीद के पहले और 31 जनवरी तक की खरीद के बाद फिर से जांच को लागू करने की बात कही थी, इससे कई गंभीर सवाल उठ खड़े हुए थे।

'अमर उजाला' ने प्री-डिस्पैच व्यवस्था खत्म करने पर सवाल उठाते हुए कंबल वितरण में आगे आने वाली मुश्किलों का खुलासा किया था।

इस खुलासे के बाद कंबल आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने भी भविष्य में शिकायत और जांच-पड़ताल की आशंका के चलते प्री-डिस्पैच जांच खत्म करने पर गुणवत्ता के साथ कंबल आपूर्ति कर पाने में असमर्थता जता दी।

इसके अलावा कंबल के लिए तय अधिकतम कीमत 419 रुपये को घटाकर 370 रुपये करने से भी कंपनियां संतुष्ट नहीं थीं।

पंचायतीराज विभाग के सूत्रों का कहना है कि कंपनियों ने खरीद वितरण व्यवस्था पर कई सवाल उठाते हुए सबसे पहले उनके निस्तारण का आग्रह किया था। इसके बाद शासन ने कंबल वितरण पर रोक लगाने का फैसला किया।

शासन के निर्देश पर पंचायतीराज
निदेशक सौरभ बाबू ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है। उधर पंचायतीराज विभाग के� एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंबल आपूर्ति करने वाली कंपनियां सप्लाई प्लान नहीं दे पाई थीं।

प्री-डिस्पैच जांच खत्म किए जाने से भी कंपनियां संतुष्ट नहीं थीं। कंबल खरीद व वितरण के लिए तय समय सीमा में बहुत कम वक्त बचा था। ऐसे में शासन के निर्देश पर कंबल वितरण प्रक्रिया स्थगित की गई है।

कंबल वितरण में आए पेंच
पहले कंबल खरीदने के लिए अधिकतम कीमत 419 रुपये तय की गई थी। कुछ दिन पहले इसे 370 रुपये कर दिया गया था।

कंपनियों ने मौजूदा शर्त और मानक के गुणवत्ता वाले कंबल इतनी कम कीमत में दे पाने में असमर्थता जताई। कंबल खरीदने से पहले प्री-डिस्पैच जांच खत्म करने से भी कंपनियां संतुष्ट नहीं थीं।

कंपनियों ने इस शर्त को शिथिल किए जाने का खुलासा होने के बाद साफ कह दिया कि प्री-डिस्पैच जांच खत्म होने के बाद वह गुणवत्ता की गारंटी नहीं ले पाएंगी।

प्री-डिस्पैच जांच न होने पर पोस्ट डिस्पैच जांच में कई-कई दिन लगने की आशंका थी। कई दिनों तक कंबल आपूर्ति करने वाले ट्रकों के फंसने का खतरा था।

पहले जिला मुख्यालयों पर कंबल आपूर्ति की बात थी। बाद में ब्लॉक मुख्यालयों पर आपूर्ति करने की बात कही गई थी।

कंपनियां इस संबंध में भी स्पष्ट व्यवस्था चाहती थीं। हर कंबल पर पंचायतीराज विभाग का एक स्टिकर (बैज) लगना था। इतने कम समय में इस काम में कंपनियां कठिनाई बता रही थीं।

बेनी ने कहा मोदी-मुलायम का राजनीतिक मैच फिक्स

modi mulayam political match fix
केंद्रीय इस्पात मंत्री और कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा ने मुलायम सिंह यादव और नरेंद्र मोदी के बीच मैच फिक्स हो गया है।

दोनों हिंदुओं और मुसलमानों के वोट अपने बीच बांट लेना चाहते हैं। इसीलिए दोनों नेताओं ने गोरखपुर और वाराणसी की रैलियों में एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाए।

भाजपा के प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने दोनों के भाषण लिखे थे। बेनी शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा मुलायम ने तो मोदी को लेकर इस तरह के शब्द इस्तेमाल किए जिनकी किसी सभ्य आदमी से उम्मीद नहीं की जा सकती। ऐसे शब्द बोले जिससे मुसलमानों को लगे कि उनकी रक्षा सिर्फ मुलायम ही कर सकते हैं।

मुलायम ने सेना के लिए 35 लाख का ट्रक 1.15 करोड़ में खरीदवाया
बेनी ने सपा सुप्रीमो पर बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि जो ट्रक 35 लाख रुपये में मिलता है, उसे मुलायम के रक्षामंत्री रहते हुए 1.15 करोड़ रुपये में खरीदा गया।

मुलायम कांग्रेस की सरकार नहीं आने देना चाहते। उन्हें लगता है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो राहुल के कठोर रुख के चलते उन पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

इसलिए मुलायम चाहते हैं कि मोदी की सरकार बन जाए। मुसलमान, मुलायम के पक्ष में लामबंद हो जाएं और हिंदू मोदी के पक्ष में। मुलायम और भाजपा पुराने दोस्त हैं।

मुलायम ने डर के कारण नहीं उतारे रायबरेली व अमेठी में प्रत्याशी
वर्मा ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सभी 80 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया। कहा कि मुलायम ने डर के कारण रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार नहीं उतारे, पर कांग्रेस मुलायम या सपा को रियायत नहीं देगी।

मैनपुरी, कन्नौज में भी कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। इस सवाल पर कि भाजपा ने कांग्र्रेस और सपा में मैच फिक्स होने का आरोप लगाया है। बेनी ने प्रतिप्रश्न किया, 'क्या मैं मुलायम से मिला हुआ लग रहा हूं?'

कुछ क्षण रुककर फिर बोले, 'मिला होता तो यह सब न बोलता। इसलिए जब मैं नहीं मिला हुआ हूं तो बाकी के नेताओं का उत्तर प्रदेश में क्या मतलब।'

कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद उत्तर प्रदेश से वही एकमात्र ऐसे नेता हैं जो कांग्रेस के नीति निर्धारक फोरम के सदस्य हैं। इसलिए जो वे कह रहे हैं, वही कांग्रेस का अधिकृत रुख है।

दावा किया कि चुनाव में यूपी में कांग्रेस को 50 सीटें मिलेंगी। सपा साफ हो जाएगी। भाजपा 10 सीटों के अंदर सिमट जाएगी।
खूब बोले बेनी बाबू
मुलायम ने 1990 में अयोध्या के टेढ़ी बाजार में खोले थाने का नाम जान-बूझकर 'राम जन्मभूमि थाना' रखा और भाजपा की मदद की।

ढांचा ध्वंस करने के आरोपी आडवाणी व अन्य कुछ लोगों को निर्दोष बताते हुए सरकार की तरफ से हलफनामा लगवा दिया। मुलायम अब ब्राह्मण और मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं, पर जब बैकवर्ड और दलितों के नहीं हुए तो ब्राह्मणों के क्या होंगे।

पिछली सरकार में सिपाहियों की भर्ती में मुसलमानों सेपांच-पांच लाख रुपये लिए गए। मुलायम चाहते हैं कि सिर्फ वे रहें और भाजपा रहे। बाकी दल न रहें।

मुलायम मुसलमानों के हमदर्द नहीं हैं। बेनी ने कहा, 'मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई जो मैं दोस्ती निभाने के चक्कर में जल्दी मुलायम से अलग नहीं हो पाया।

चाहता तो मैं मुख्यमंत्री बन सकता था, पर दोस्ती के नाम पर मुलायम को मुख्यमंत्री बनवाया। मुझे पछतावा है कि मैं पहले मुलायम को नहीं छोड़ पाया। मुलायम ने ढांचा गिरवा दिया'।

स्टील कंज्यूमर कॉन्फ्रेंस 3 को लखनऊ में
केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने बताया कि 3 फरवरी को ताज होटल में स्टील कंज्यूमर कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें प्रदेश में स्टील उद्योग को बढ़ावा पर चर्चा होगी।

CISF के जवान ने लौटा दिए लाखों के जेवर

CISF Constable helps man recover jewellery
करोलबाग मेट्रो स्टेशन पर शुक्रवार शाम सीआईएसएफ के एक जवान ने ईमानदारी की मिसाल कायम की। उसने लाखों के जेवरों से भरा एक बैग उसके मालिक को वापस कर दिया।

मेट्रो स्टेशन पर तैनात एएसआई धर्मेंद्र नागर को लाखों रुपये के जेवरातों से भरा एक बैग मिला। धर्मेंद्र ने बैग को अमानत समझ कर सुरक्षित रखवा दिया।

इस बीच बैग का मालिक मेट्रो स्टेशन पर पहुंचा और उसने बैग छूटने के बारे में सीआईएसएफ के सुरक्षाकर्मियों को सूचित किया। धर्मेंद्र की ईमानदारी से पीड़ित यात्री को उसका बैग सही सलामत मिल गया। वह सीआईएसएफ के जवान का धन्यवाद करते नहीं थक रहा।

जानकारी के मुताबिक ज्वेलरी का करोबार करने वाले गोपाल बाबू सपरिवार तिलक नगर इलाके में रहते हैं। शुक्रवार शाम वह करोलबाग स्टेशन से मेट्रो पकड़ कर तिलक नगर जा रहे थे। उसके पास बैग में उसने आठ लाख के जेवरात थे।

करोलबाग मेट्रो स्टेशन पर स्कैनर में बैग की जांच कराने के बाद वह बैग उठाकर चले गए। कुछ आगे जाने के बाद उसने अपने बैग की जांच की। जांच के दौरान पता चला कि उसने गलती से किसी अन्य व्यक्ति का बैग उठा लिया है।

वह वापस करोलबाग मेट्रो स्टेशन पहुंचे और इसकी जानकारी सीआईएसएफ के जवानों को दी। सीआईएसएफ के जवानों ने उससे बैग में रखे सामान की जानकारी हासिल की और सही पाए जाने के बाद उन लोगों ने उसे बैग वापस लौटा दिया।

सीआईएसएफ के अधिकारी ने बताया कि गोपाल बाबू के जाने के बाद स्कैनर पर तैनात एएसआई धर्मेंद्र को एक बैग मिला था। जिसकी जांच करने के बाद उसने बैग को जमा कर दिया था। गोपाल बाबू ने धर्मेंद्र की ईमानदारी की सराहना की और कहा कि उनकी वजह से ही उसे अपना खोया हुआ सामान मिल गया।

मुजफ्फरनगर दंगा: आरोपी की गिरफ्तारी पर बवाल

fracas in muzaffarnagar
जाम लगा रहे लोगों ने गाड़ी पहचान कर हमला कर किया। चालक ने गाड़ी लेकर भागने की कोशिश की तो उस पर पथराव कर दिया गया।

- नूरसलीम राना, बसपा विधायक

मुजफ्फरनगर में शाहपुर के गांव काकड़ा में दंगा पीड़ित की बाइक जलाने के आरोपी नीटू की गिरफ्तारी और महिलाओं-बच्चों की पिटाई के विरोध में शनिवार को ग्रामीणों ने मुजफ्फरनगर-बुढ़ाना मार्ग पर जाम लगा दिया।

जाम खुलवाने पहुंची पुलिस पर लोगों ने पथराव किया, तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों को तितर-बितर किया। इस दौरान वहां से गुजर रही चरथावल विधायक नूरसलीम राना की गाड़ी पर जाम लगा रहे लोगों ने पथराव किया, जिससे गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। गाड़ी में उस वक्त बसपा विधायक मौजूद नहीं थे।

विधायक ने देर शाम थाने में पहुंच कर तहरीर दी। रात तक ग्रामीण पिटाई के आरोपी थानाध्यक्ष को हटाने की मांग को लेकर थाने पर जुटे रहे जो करीब 10 बजे एसएसपी एसएन सिंह के आश्वासन पर लोग लौट गए।

एसएसपी ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी, जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।� शाहपुर के राहत शिविर में रह रहे कुछ लोग 30 दिसंबर को बंद पड़े अपने घर से सामान लेने पुलिस सुरक्षा में गांव काकड़ा गए थे। वहां एक बाइक संदिग्ध हालात में जली मिली थी।

शहजाद ने काकड़ा निवासी नीटू, रुपेश और अमित के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। नीटू की मां ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी के दौरान विरोध पर पुलिस ने बच्चों और महिलाओं के साथ मारपीट की।

मौके पर जा रहे भाजपा नेता उमेश मलिक को शाहपुर चौकी पर हिरासत में ले लिया गया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया। एसपी देहात आलोक प्रियदर्शी ने बताया गिरफ्तारी का ग्रामीणों ने विरोध किया है।

बीरभूमः कथित सामूहिक बलात्कार पर सब खामोश

investigation in birbhum gangrape case
बीरभूम में कथित सामूहिक बलात्कार मामले में पुलिस प्रशासन अब एकदम ख़ामोश है। कोई भी कथित बलात्कार की पुष्टि करने को तैयार नहीं है उधर गांव वाले कह रहे हैं कि बलात्कार हुआ ही नहीं।

लेकिन राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री का कहना है कि पीड़िता की बात को ही प्राथमिकता दी जाएगी।

बीबीसी संवाददाता अमिताभ भट्टासाली ने गांव का दौरा कर वहां के हालात को समझने की कोशिश की।

"मैं कुछ नहीं जानता।"
राजारामपुर-सुबलपुर 'लाल मिट्टी की धरती' के किसी अन्य गांव की तरह ही है। बीरभूम ज़िले की लाभपुर सड़क से कई किलोमीटर दूरी पर स्थित यह गांव भारत के पहले नोबल पुरस्कार विजेता रबिंद्र नाथ टैगौर के शांतिनिकेतन से ज़्यादा दूर नहीं है।

यह एक आदिवासी गांव है जिसके ज़्यादातर घर मिट्टी के बने हैं। गांव समृद्ध नहीं है लेकिन बहुत गरीब भी नहीं है।

कोई भी आपको गांव के मुखिया बलाई मद्दी का घर दिखा देगा। मिट्टी का बना एक दो मंजिला घर, जिसकी लहरदार चादर की छत है, सामने घास से भरा एक आंगन है। घर के आगे एक फूस का कमरा है जिसे पर पुलिस ने घेरा डाल दिया है।

पुलिस ने मुझे "घटना की जगह" दिखाई। एफ़आईआर के अनुसार 20 वर्षीय आदिवासी लड़की का फूस के कमरे में 12 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था।

शनिवार को फॉरेंसिक वैज्ञानिकों ने वहां सबूतों की तलाश में अल्ट्रा-वॉयलट रे के साथ छानबीन की थी।

मुखिया के घर के पास मौजूद लोगों से जब मैंने इस बारे में पूछा तो उनका रटा-रटाया जवाब था, "मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता।" या फिर, "मैं गांव में नहीं रहता। मैंने बस इसके बारे में सुना है, इसलिए मैं कुछ नहीं कह सकता।"

मुखिया के घर से 100 मीटर दूर मैंने एक महिला को उस घटना के बारे बात करते हुए सुना। मैंने उन्हें बात करने के लिए मना लिया लेकिन अपना नाम ज़ाहिर करने से साफ़ इनकार कर दिया।

"बलात्कार हुआ ही नहीं"

उनके बेटे को उस घटना के सिलसिले में गिरफ़्तार कर लिया गया था। उन्होंने कहा, "यकीन मानो, कोई बलात्कार नहीं हुआ। यह किसी किस्म का षड्यंत्र है।"

मैंने उन्हें विस्तार से बताने को कहा।

उन्होंने कहा, "लड़की और उसके परिवार को बार-बार चेतावनी दी गई थी कि वह जाति से बाहर किसी से संबंध न रखे। लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया। सोमवार को हमने उसे एक गैर-आदिवासी लड़के के साथ रंगे-हाथों पकड़ लिया। वह लड़की के घर पर थे।"

उन्होंने आगे कहा, "हम उन्हें पकड़कर मुखिया के घर ले गए और एक पेड़ से बांध दिया। एक सालिशि सभा (एक गैरकानूनी अदालत, जिसे गांव में स्थानीय स्तर पर मामले निपटाने के लिए बनाया जाता है) अगले दिन सुबह बुलाई गई। मेरे और मेरे बेटे समेत गांव के आदमी-औरतों ने रात भर उन दोनों पर नज़र रखी। उस रात किसी ने भी उसका बलात्कार नहीं किया।"

महिला ने कहा कि पंचायत ने 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जिसे लड़के के परिवार ने चुका दिया और दोनों को जाने दिया गया। लेकिन मेरे लिए आश्चर्यजनक घटनाओं का अंत यहीं नहीं हुआ।

जब मैं उस महिला से बात कर रहा था कुछ और महिलाएं वहां एकत्र हो गईं और बोलने लगीं।

उन्होंने कहा, "लड़की को उसका बड़ा भाई वापस ले गया था। मंगलवार को वह पूरा दिन अपने घर पर रही। बुधवार को हमने उसे एक साइकिल पर जाते हुए देखा, उसकी मां उसके साथ थी। देर शाम पुलिसवाले गांव में आए और हमारे आदमियों को उठाकर ले गए। हमें पता चला कि उसने सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवाई है।"

"वह कहानी क्यों गढ़ेगी"

आदिवासी बहुत सघन रूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और अक्सर एक ही स्वर में बोलते हैं। वे मुझे पीड़िता के घर ले गए।

एक आंगन था, एक-दूसरे से सटे दो कमरे, दोनों ही बंद। कुछ पहने हुए कपड़े और एक जोड़ी जूते बाहर पड़े हुए थे।

एक कमरे की बाहरी दीवारों पर फ़िल्मी हीरो और हीरोइनों के पोस्टर चिपके थे।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पीड़िता ने दिल्ली में तीन साल तक एक घरेलू सहायिका के रूप में काम किया था और कुछ महीने पहले वापस आई थी।

गांववालों ने बताया कि लड़की उस लड़के के साथ एक सहायक के रूप में काम कर रही थी। मुझे बाद में पता चला कि पीड़िता का कथित प्रेमी एक शादीशुदा आदमी है, जिसके परिवार में बीवी के अलावा बेटी और बेटा भी हैं।

मंगलवार को 25,000 रुपये चुकाने के बाद उसने अपना चौहट्टा गांव छोड़ दिया था। उसकी बीवी हसीना बीबी ने मुझे बताया कि उनकी 15 साल की बेटी की शादी होने वाली थी लेकिन उन्हें जुर्माना चुकाने के लिए एक सोने की चेन बेचनी पड़ी।

पीड़िता के घर में एक लड़का महिलाओँ के समूह और मेरी बातें सुन रहा था। पता चला कि वह पीड़िता का सबसे छोटा भाई सोम मुर्मु है।

सोम पड़ोस के गांव में अपने ससुरालवालों के साथ रहता है और उसने अपनी बहन पर हुए अत्याचार की कहानी अपनी मां और बहन से बाद में सुनी।

मैंने उससे पूछा कि दूसरी महिलाएं उसकी बहन से बिल्कुल उलट कहानी क्यों सुना रही हैं?

इस पर सोम मुर्मु ने कहा कि उन्हें यकीन है कि उसकी बहन पर ज़रूर अत्याचार हुए थे। उसने पलटकर पूछा, "वह ऐसी कहानी क्यों गढ़ेगी?"

"गोपनीय रिपोर्ट"
बाद में बंगाल की महिला और बाल विकास मंत्री सशि पांजा ने सिउरी सरकारी अस्पताल में जाकर पीड़िता का हालचाल पूछा। वहां पत्रकारों ने घटना को लेकर गांववालों की पक्ष की बात पूछी।

इस पर मंत्री का कहना था, "ऐसी शिकायतों में पीड़िता के पक्ष को सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता है। और यह मेडिको-लीगल (चिकित्स-आधारित कानूनी) मामला है। इसकी जांच रिपोर्ट बेहद गोपनीय होती हैं और तो और मैंने भी इन्हें नहीं देखा है।"

वैसे जब से गांववालों ने बोलना शुरू किया है प्रशासन के होंठ सी गए हैं। सामान्यतः पुलिस और डॉक्टर बलात्कार के किसी मामले की पुष्टि को लेकर इतने ख़ामोश नहीं रहते।

पांच सदस्यीय डॉक्टरों के दल के प्रमुख डॉक्टर असित बिस्वास मंत्री के बयान को ही दोहराते हैं।

वह कहते हैं, "चिकित्सकीय जांच की रिपोर्ट गोपनीय हैं और सिर्फ़ पुलिस को ही दी जाएगी। आप मुझसे यह जानने की कितनी ही कोशिश करें कि उसका बलात्कार हुआ है या नहीं मैं एक शब्द भी नहीं बोलूंगा। मैं बस आपको यह बता सकता हूं कि वह लड़की अब बेहतर स्थिति में है।"

असित बिस्वास कहते हैं, "रक्तजांच और सोनोग्राफ़ी हो चुकी है और कुछ और जांच अभी की जा रही हैं। वह पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत कर रही थी। लेकिन अब वह ठीक है। उसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत मनोवैज्ञानिक सलाह की है। वो अब भी सदमे में है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या उसके साथ बलात्कार हुआ था, वह फिर ख़ामोश हो गए। इससे पहले उन्होंने कहा था कि शुरुआती जांच से पता चला है कि उसके साथ बलात्कार हुआ है।

मैं शुक्रवार को पद ग्रहण करने वाले पुलिस अधीक्षक आलोक राजोरिया से भी मिला। उनके पूर्ववर्ती सी सुधाकर को हटा दिया गया था।

उन्होंने कहा, "मैंने सुना है कि गांववालों का कहना कुछ और है। अभियुक्त उसी गांव के निवासी हैं और इसलिए यह स्वाभाविक है। लेकिन हमने इस पक्ष की पड़ताल अभी नहीं की है। अभी इसकी ज़रूरत भी नहीं है। फ़िलहाल हमारा ध्यान गिरफ़्तार लोगों से पूछताछ और अपराध के दृश्य की पुनर्रचना पर है।"

मुस्लिमों पर मेहरबान सपा ने खेला एक और दांव

samajwadi party muslim card
शासन स्तर से ही अल्पसंख्यकों का लक्ष्य तय किया गया है। जिले की इसमें कोई भूमिका नहीं है। शासन के  दिशा-निर्देशों के मुताबिक ही पात्रों को लाभ दिया जा रहा।

- साहित्य प्रकाश मिश्र, परियोजना निदेशक, डीआरडीए बरेली

चुनावी साल में सपा सरकार अल्पसंख्यकों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गई है। इंदिरा आवास योजना भले ही केंद्र की हो मगर प्रदेश की सपा सरकार ने इसमें भी अल्पसंख्यक कोटा बढ़ाकर चुनावी दांव खेल दिया।

इसके लिए अनुसूचित जाति के 62 फीसदी कोटे पर कैंची चला दी गई। मंडल के तीन जिलों में 60 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों को बांट दिए गए हैं। जबकि नियम के मुताबिक 15 फीसदी आवास ही इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं।

बरेली में 78 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों के नाम कर दिए गए हैं। वहीं पीलीभीत में यह आंकड़ा 77 फीसदी है। कहने का मतलब लगभग सिर्फ 23 फीसदी आवास में अनुसूचित जाति वर्ग, ओबीसी और सामान्य वर्ग को लिया गया है।

आवास वितरण में तय कोटा तोड़ा
योजना की गाइड लाइन कहती है कि कुल लक्ष्य के 60 फीसदी आवास अनुसूचित वर्ग को और 15 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों को दिए जाएं। मंडल के बरेली, शाहजहांपुर और पीलीभीत जिले के आंकड़े� देखें तो निर्धारित कोटे को तोड़ते हुए 60 फीसदी आवास अल्पसंख्यकों को बांट दिए गए हैं।

सूत्र बताते हैं कि जिन जिलों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है वहां पर शासन ने कुछ इसी तरह का खेल खेला है। प्रदेश के दो दर्जन जिलों में कोटे का ख्याल ही नहीं रखा गया। मंडल के बदायूं में पिछले साल ही बीपीएल सूची में शामिल अधिकांश अल्पसंख्यकों को ज्यादा संख्या में आवास बांट दिए गए थे।

पढ़ें, मुस्लिमों के लिए मुलायम ने रचा इतिहास!

लिहाजा इस बार यहां मंडल के अन्य तीनों जिलों से थोड़ा कम अल्पसंख्यकों को लाभ दिया गया है। फिर भी निर्धारित 15 फीसदी कोटे का दोगुना बदायूं में लाभार्थी हैं।

योजना के तहत 75 फीसदी रकम देता है केंद्र
इंदिरा आवास योजना के तहत छत विहीन गरीब परिवारों को आवास मिलता है। पहले प्रति आवास 45 हजार रुपए धनराशि थी, अब इसे बढ़ाकर 70 हजार रुपए कर दिया गया है। योजना के तहत 75 फीसदी धनराशि केंद्र सरकार देती है वहीं 25 फीसदी राज्य सरकार। लाभार्थियों को 35-35 हजार रुपए दो किश्तों में मिलते हैं।
जिला----------कुल आवास---------अल्पसंख्यकों को
बरेली-------------494---------------389
पीलीभीत---------2839--------------2210
शाहजहांपुर---------2663-------------989

गणतंत्र दिवस: राजपथ पर शौर्य और संस्कृति की झलक

india celebrates 65th republic day parade on rajpath
देशभर में आज 65वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। दिल्‍ली के राजपथ पर सेना के तीनों अंगों के जवानों ने अपने शौर्य और देश प्रेम के जज्बे को प्रदर्शित ‌किया।

राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में सेना के जवानों ने टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर और अन्य सैन्य उपकरणों को पेश कर देश के सैन्य श‌क्ति को प्रदर्शित किया।

भारतीय वायुसेना के जवानों ने लड़ाकू विमान सुखोई-30, ध्वनि की गति से उड़ान भरने वाले तेजस, मिसाइल अस्‍त्र के साथ राष्ट्रपति को सलामी दी। उनके बाद देश्‍ा के लिए सुरक्षा उपकरण्‍ा विकसित करने वाले संगठन डीरडीओ की झांकी पेश्‍ा की गई।

बीएसएफ के रंग-बिरंगे ऊंट दस्ते ने लोगों का मन मोह लिया। तटरक्षक बल, दिल्‍ली पु‌लिस, एनसीसी के जवान अनुशासन और श्‍ा‌क्ति संतुलन की एक बानगी पेश की।



मिनी इंडिया की झलक
तीनों सेनाओं के बाद राज्यों की झांकियों का प्रदर्शन ‌शुरू हुआ। मेघालय ने अपने राज्य की नकदी फसल सुपारी को झांकी की थीम बनाई। अरूणाचल के कलाकारों ने नृत्य पेश किया तो वहीं उत्तराखंड ने अपने प्राकृतिक संसाधन जड़ी-बूटी और पहाड़ी जीवन शैली को प्रदर्शित किया।

महाराष्ट्र के कलाकारों ने नारियल पर्व पर आधारित झांकी पेश की। इन झांकियां में देश की विविधता में एकता और भारत की समृद्ध सांकृतिक विरासत की झलक देखने को मिली।

कर्नाटक ने अपने राज्य के योद्धा टीपू सुल्तान पर आधारित झांकी पेश की। पश्चिम बंगाल ने इस परेड में पुरूलिया छउ नृत्य को पेश किया जिसे कुछ लोग विलुप्त होने से बचाने में लगे हैं।

तमिलनाडु ने पोंगल को अपना थीम बनाया वहीं असम ने अपनी झांकी से गायक भूपेन हजारिका को श्रद्धांजलि दी। चंडीगढ़ ने शहर की पहचान रॉक गार्डेन को इस परेड में प्राथमिकता दी।



भारतीय रेलवे ने अपनी झांकी में एशिया की तीसरी सबसे लंबी पीर पंजाल सुरंग को बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया। क़ृषि मंत्रालय ने सूचना तकनी‌क से किसानों को लैस करने पर आधारित झांकी पेश की।

हैरतअंगेज करतब
राज्यों की झाकियों के बाद राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्‍मानित बच्चों ने गाड़ी में सवार होकर हाथ हिलाते हुए लोगों के अभिवादन को स्वीकार किया।

बीएसएफ के 162 जाबांज जवानों ने मोटरसाइकिल पर हैरतअंगेज करतब दिखाए। जवानों ने कई तरह के स्टंट किए, जिसे देखकर सब ने दांतों तले अंगुलियां दबा ली। पांच मोटरसाइकिलों पर 36 जवानों ने एक मानक गुलदस्ता पेश किया।



राजपथ पर फ्लाईपास्ट

परेड के अंत में बारी थी हवाई करतबों की। सबसे पहले फाइटर विमान सुखोई-30 ने आसमान में दहाड़ लगाई। फिर सी हर्यक्यूलिस विमान ने फ्लाईपास्ट किया। उसके बाद नंबर था जगुआर विमानों का। फिर 5 मिग-29 विमान आसमान का ‌सीना चीरते हुए राजपथ से आगे बढ़ गए।



तिरंगे को सलामी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजपथ पर मुख्य अतिथ‌ि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ समारोह‌ स्‍थल पर पहुंचे।

राष्ट्रपति ने तिरंगे को सलामी देने के बाद शांति काल के दौरान नक्सली अभियान में शहीद हुए इंस्पेक्टर वी प्रसाद बाबू को अशोक चक्र से सम्‍मानित किया। उनके पिता को यह चक्र दिया गया।

republic day
























समारोह‌ स्‍थल पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के अलावा और भी गणमान्य लोग मौजूद रहे।

तिरंगा फहराने से पूर्व राष्ट्रपति ने अमर जवान ज्योति पर देश की आन, बान और शान के लिए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। सभी राज्यों में राज्यपालों ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली।

सुरक्षा के कड़े प्रबंध
समारोह के लिए शनिवार देर रात रायसीना हिल्स से लेकर लाल किले तक सेना के उच्च अधिकारियों ने सुरक्षा जांच की। राजपथ समेत इंडिया गेट इलाके को भी सेना ने कब्जे में ले लिया। पूरे देश में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।