Wednesday, January 8, 2014

पिता को न्याय दिलाने को बन गई वकील

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कोर्ट में हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते जब शकीरा के पिता दुनिया को अलविदा कह गए तो की अधूरी लड़ाई लडऩे के लिए यह बेटी आगे आई।

एक संपत्ति पर पिता के साझीदार ने कब्जा कर लिया और इस सदमे में उनकी जान भी चली गई।

इस मामले में कोर्ट में केस की पैरवी करते-करते उसने खुद ही वकील बन कर मामले की ठीक से पैरवी करने की ठान ली। वह रोज सुबह-सवेरे बहेड़ी स्थित अपने घर से चलती है और ट्रेन का सफर तय करके बरेली पहुंचती है।

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कॉलेज में क्लास करने के बाद शहर में प्राइवेट नौकरी करके जब घर को लौटती है तो शाम हो चुकी होती है। बहेड़ी पहुंचकर रोजाना शाम को दो घंटे अपने घर पर वह उन बच्चों को ट्ïयूशन पढ़ाती है, जिनको उनके घर वाले पढ़ाना नहीं चाहते।

23 साल की शकीरा का इस सेमेस्टर एलएलबी फाइनल है। वह अपने पापा के केस की पैरवी लगातार कई साल से कर रही है। हर तारीख पर कचहरी जाती है।

शकीरा कहती हैं कि एलएलबी करने के बाद पहला केस तो अपने पापा का ही लड़ेगी, इसीलिए उसने एलएलबी किया है। उसका लक्ष्य पीसीएस-जे निकालकर जज बनने का है।

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वह बताती हैं कि दिवंगत पिता को न्याय दिलाना ही उसकी उनको सच्ची श्रद्घांजलि होगी। वह बताती हैं कि कोई भी अकेली लड़की जब कुछ करने की ठानकर घर से बाहर कदम रखती है तो उसे बहुत सारी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।

उसने भी बहुत कुछ सहा है लेकिन हिम्मत कभी नहीं टूटने दी, क्योंकि लक्ष्य हासिल करने के जज्बे ने उसको आत्मबल की ताकत दी और वह लक्ष्य से बहुत दूर नहीं हैं।

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