उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की विदाई तकरीबन तय है। चार राज्यों की हार के बाद अब लोकसभा चुनाव की सियासी जंग के लिए तैयार हो रहे कांग्रेस हाईकमान ने बहुगुणा को हटाने का फैसला कर लिया है।
हरीश रावत के पक्ष में हाईकमान
अब कभी भी इस फैसले की घोषणा हो सकती है। दूसरी तरफ लंबे समय से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रहे केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को पार्टी हाईकमान उत्तराखंड की कमान सौंपने के पक्ष में नहीं है।
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जबकि नए मुख्यमंत्री के लिए हाईकमान के सुझाए नामों को लेकर रावत मान नहीं रहे हैं। हाईकमान ने प्रदेश सरकार में मंत्री इंदिरा हृदयेश, हरक सिंह रावत और प्रीतम सिंह के नाम सुझाए हैं। ऐसे में तीसरी बार हाथ से फिसलती बाजी देख रावत के बागी होने की आशंका जताई जा रही है।
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इसलिए बहुगुणा को लेकर फैसले का ऐलान रुका हुआ है। कांग्रेस हाईकमान ने बहुगुणा को फैसले की जानकारी दे दी है, जबकि रावत को बुलाकर समझाने की कोशिश की, लेकिन रावत ने दो टूक कह दिया है कि इस बार भी उनके नाम को खारिज करने पर वे अपने समर्थक विधायकों के कांग्रेस में बने रहने की गारंटी नहीं दे सकते हैं।
राहुल गांधी रावत के पक्ष में नहीं
ऐसे में कांग्रेस हाईकमान नए मुख्यमंत्री को लेकर आम सहमति बनाने की कोशिश में है। दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ कह दिया है कि वे हर राज्य में नए नेतृत्व को आगे लाना चाहते हैं। राहुल भी रावत के पक्ष में नहीं हैं।
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दरअसल, कांग्रेस मानने लगी है कि बहुगुणा के पद पर बने रहने से वह प्रदेश की लोकसभा की सभी पांचों सीटें गंवा देगी। जबकि 2009 में कांग्रेस ने पांचों सीटें जीती थीं। केदारनाथ त्रासदी से निपटने में भी बहुगुणा नाकाम साबित हुए। इसके अलावा उनके आए दिन दिल्ली में डटे रहने से भी हाईकमान उनसे नाराज था।
हरीश रावत के पक्ष में हाईकमान
अब कभी भी इस फैसले की घोषणा हो सकती है। दूसरी तरफ लंबे समय से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रहे केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को पार्टी हाईकमान उत्तराखंड की कमान सौंपने के पक्ष में नहीं है।
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जबकि नए मुख्यमंत्री के लिए हाईकमान के सुझाए नामों को लेकर रावत मान नहीं रहे हैं। हाईकमान ने प्रदेश सरकार में मंत्री इंदिरा हृदयेश, हरक सिंह रावत और प्रीतम सिंह के नाम सुझाए हैं। ऐसे में तीसरी बार हाथ से फिसलती बाजी देख रावत के बागी होने की आशंका जताई जा रही है।
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इसलिए बहुगुणा को लेकर फैसले का ऐलान रुका हुआ है। कांग्रेस हाईकमान ने बहुगुणा को फैसले की जानकारी दे दी है, जबकि रावत को बुलाकर समझाने की कोशिश की, लेकिन रावत ने दो टूक कह दिया है कि इस बार भी उनके नाम को खारिज करने पर वे अपने समर्थक विधायकों के कांग्रेस में बने रहने की गारंटी नहीं दे सकते हैं।
राहुल गांधी रावत के पक्ष में नहीं
ऐसे में कांग्रेस हाईकमान नए मुख्यमंत्री को लेकर आम सहमति बनाने की कोशिश में है। दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ कह दिया है कि वे हर राज्य में नए नेतृत्व को आगे लाना चाहते हैं। राहुल भी रावत के पक्ष में नहीं हैं।
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दरअसल, कांग्रेस मानने लगी है कि बहुगुणा के पद पर बने रहने से वह प्रदेश की लोकसभा की सभी पांचों सीटें गंवा देगी। जबकि 2009 में कांग्रेस ने पांचों सीटें जीती थीं। केदारनाथ त्रासदी से निपटने में भी बहुगुणा नाकाम साबित हुए। इसके अलावा उनके आए दिन दिल्ली में डटे रहने से भी हाईकमान उनसे नाराज था।