
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कोतवाली सिटी में तैनात एक दरोगा ने मुर्दे को ही गवाह बना दिया। आरोप है कि दरोगा ने रिश्वत न देने पर मृतक व्यक्ति को गवाह बना कर संगीन धाराएं हटाई है और प्रतिवादी पक्ष को राहत पहुंचाई है। पीड़ित ने सुबूत समेत शिकायत एसएसपी से लेकर डीआईजी और डीजीपी को भेजी है।
नगर के मोहल्ला भवां सराय निवासी सलीम ने पुलिस अधिकारियों को भेजे पत्र में बताया कि उसने शहर कोतवाली में 14 सितंबर 2013 को मोहल्ला छिपियान निवासी फुरकान, आलम उर्फ आजम, अजमल, अकरम, रिजवाना के विरुद्ध आईपीसी की धारा 147, 148, 395, 452, 323, 504, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
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इसकी जांच एसआई वासिफ सिद्दीकी को सौंपी गई थी। आरोप है कि मुकदमे से संबंधित सभी साक्ष्य देने के बावजूद विवेचक ने उससे 25 हजार रुपये सुविधा शुल्क मांगे लेकिन उसने मना कर दिया। इससे खिन्न होकर विवेचक ने संगीन धाराएं काटते हुए केवल धारा 323, 504, 506 में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। उसने चार्जशीट में संगीन धारा हटाने की बाबत पूछताछ की तो उसे कोई जवाब नहीं दिया गया।
जांच पड़ताल की तो पता कि विवेचक ने मोहल्ले के ही बशीर अहमद के पुत्र जहीर अहमद के बयान को चार्जशीट में शामिल करते हुए धाराएं हटवाई है, जबकि जहीर अहमद की मृत्यु 26 अक्टूबर, 2002 को हो चुकी है। नगर निगम से उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र भी जारी हुआ है।
आरोप है कि विवेचक ने सुविधा शुल्क न देने पर चार्जशीट में यह खेल किया है। पीड़ित ने मामले की जांच कराकर न्याय दिलवाने की मांग की है। उधर, एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल का कहना है कि शिकायत अभी उनके पास नहीं पहुंची है। आने पर जांच की जाएगी।
नगर के मोहल्ला भवां सराय निवासी सलीम ने पुलिस अधिकारियों को भेजे पत्र में बताया कि उसने शहर कोतवाली में 14 सितंबर 2013 को मोहल्ला छिपियान निवासी फुरकान, आलम उर्फ आजम, अजमल, अकरम, रिजवाना के विरुद्ध आईपीसी की धारा 147, 148, 395, 452, 323, 504, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
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इसकी जांच एसआई वासिफ सिद्दीकी को सौंपी गई थी। आरोप है कि मुकदमे से संबंधित सभी साक्ष्य देने के बावजूद विवेचक ने उससे 25 हजार रुपये सुविधा शुल्क मांगे लेकिन उसने मना कर दिया। इससे खिन्न होकर विवेचक ने संगीन धाराएं काटते हुए केवल धारा 323, 504, 506 में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। उसने चार्जशीट में संगीन धारा हटाने की बाबत पूछताछ की तो उसे कोई जवाब नहीं दिया गया।
जांच पड़ताल की तो पता कि विवेचक ने मोहल्ले के ही बशीर अहमद के पुत्र जहीर अहमद के बयान को चार्जशीट में शामिल करते हुए धाराएं हटवाई है, जबकि जहीर अहमद की मृत्यु 26 अक्टूबर, 2002 को हो चुकी है। नगर निगम से उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र भी जारी हुआ है।
आरोप है कि विवेचक ने सुविधा शुल्क न देने पर चार्जशीट में यह खेल किया है। पीड़ित ने मामले की जांच कराकर न्याय दिलवाने की मांग की है। उधर, एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल का कहना है कि शिकायत अभी उनके पास नहीं पहुंची है। आने पर जांच की जाएगी।
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