
ड्रोन एक बार फिर चर्चा में हैं। एमपी के पन्ना में अब ड्रोन यानि मानव रहित यान बाघों की निगरानी करेंगे। हालांकि ये निगरानी सिर्फ दो दिन की जाएगी लेकिन इससे बाघों पर जो जानकारी मिलेगी उसका उपयोग बाघों के संरक्षण में किया जाएगा।
यूं तो ड्रोन की पहचान अभी तक यही थी कि वो बम बरसाने के काम आता है लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। अमेरिका के आसमान में तो अब ड्रोन घरों में सामान भी पहुंचाएगा।
खबर के मुताबिक जो ड्रोन पन्ना में निगरानी का काम करेंगे उनका वजन दो किलो है, लंबाई करीब दो मीटर है और चौड़ाई एक मीटर है। इनकी अधिकतम गति 50 किलोमीटर प्रति घंटा है और इनमें कैमरे लगे हुए हैं जो बाघों की गतिविधियों पर निगाह रखेंगे।
ये ड्रोन रिमोट से संचालित किया जाएगा। पन्ना टाइगर रिज़र्व के पीके द्विवेदी ने फोन पर बातचीत में बताया कि देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यू आईआई) इस योजना को किर्यांवित करने में सहयोग दे रही है।
यूं तो सरकार बाघों का संरक्षण करने की हर संभव कोशिश कर रही है लेकिन देखने वाली बात यही होगी कि ये ड्रोन बाघों के संरक्षण में क्या भूमिका निभाएंगे?
यूं तो ड्रोन की पहचान अभी तक यही थी कि वो बम बरसाने के काम आता है लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। अमेरिका के आसमान में तो अब ड्रोन घरों में सामान भी पहुंचाएगा।
खबर के मुताबिक जो ड्रोन पन्ना में निगरानी का काम करेंगे उनका वजन दो किलो है, लंबाई करीब दो मीटर है और चौड़ाई एक मीटर है। इनकी अधिकतम गति 50 किलोमीटर प्रति घंटा है और इनमें कैमरे लगे हुए हैं जो बाघों की गतिविधियों पर निगाह रखेंगे।
ये ड्रोन रिमोट से संचालित किया जाएगा। पन्ना टाइगर रिज़र्व के पीके द्विवेदी ने फोन पर बातचीत में बताया कि देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यू आईआई) इस योजना को किर्यांवित करने में सहयोग दे रही है।
यूं तो सरकार बाघों का संरक्षण करने की हर संभव कोशिश कर रही है लेकिन देखने वाली बात यही होगी कि ये ड्रोन बाघों के संरक्षण में क्या भूमिका निभाएंगे?
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