सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी कंपनी को फटकार लगाते हुए कहा है कि वो बताए कि 22,885 करोड़ रुपए लाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की ओर से निवेशकों को लौटाए गए 22,885 करोड़ रुपये का स्त्रोत बताने को कहा है। सहारा ने यह पैसा निवेशकों को लौटाने का दावा किया है लेकिन इसका स्त्रोत बताने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि समूह निवेशकों का पैसा लौटाने के दावे का स्त्रोत बताए या फिर सीबीआई या रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की जांच के लिए तैयार रहे।
सर्वोच्च अदालत ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय और समूह की तब खिंचाई की, जब उनकी ओर से धन के स्त्रोत का खुलासा करने पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। याद रहे कि अदालत ने राय के देश छोड़कर जाने पर पाबंदी लगाने के आदेश को जारी रखा है। जस्टिस केएस राधाकृष्णन व जस्टिस जेएस केहर की पीठ ने कहा कि यह बिल्कुल मत सोचना कि अदालत असहाय है।
हम सीबीआई और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से आपके खिलाफ जांच करने के लिए कह सकते हैं। अगर समूह स्त्रोत नहीं बताता है तो अदालत इसका पता लगा सकती है। अदालत ने 23 जनवरी तक समूह को धन के स्त्रोत का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है और सुनवाई की अगली तारीख 27 जनवरी तय की है।
पीठ ने यह असंतोष तब व्यक्त किया जब उसने सेबी को सहारा की ओर से लिखे गए उस पत्र पर गौर किया जिसमें कहा गया कि धन का स्त्रोत बताया जाना जरूरी नहीं है। अदालत ने इस पर कहा कि कंपनी और राय का व्यवहार निंदनीय है। आपकी कंपनी की ओर से किसी ने यह कहने की धृष्टता की है।
यदि आपने पैसा वापस कर दिया है तो आपकी ओर से उसके स्त्रोत का रिकॉर्ड भी पेश किया जाना चाहिए कि आपके पास कहां से पैसा आया। पीठ ने कहा कि हम आपसे यह नहीं बता सकते कि जवाब देने में कितनी धृष्टता की गई है। समूह का व्यवहार अचरज भरा है। हम आपके प्रति नर्म और खुले हैं। लेकिन यदि आप हमें छड़ी पकड़ाएंगे, तब हम क्या करें।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की ओर से निवेशकों को लौटाए गए 22,885 करोड़ रुपये का स्त्रोत बताने को कहा है। सहारा ने यह पैसा निवेशकों को लौटाने का दावा किया है लेकिन इसका स्त्रोत बताने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि समूह निवेशकों का पैसा लौटाने के दावे का स्त्रोत बताए या फिर सीबीआई या रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की जांच के लिए तैयार रहे।
सर्वोच्च अदालत ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय और समूह की तब खिंचाई की, जब उनकी ओर से धन के स्त्रोत का खुलासा करने पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। याद रहे कि अदालत ने राय के देश छोड़कर जाने पर पाबंदी लगाने के आदेश को जारी रखा है। जस्टिस केएस राधाकृष्णन व जस्टिस जेएस केहर की पीठ ने कहा कि यह बिल्कुल मत सोचना कि अदालत असहाय है।
हम सीबीआई और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से आपके खिलाफ जांच करने के लिए कह सकते हैं। अगर समूह स्त्रोत नहीं बताता है तो अदालत इसका पता लगा सकती है। अदालत ने 23 जनवरी तक समूह को धन के स्त्रोत का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है और सुनवाई की अगली तारीख 27 जनवरी तय की है।
पीठ ने यह असंतोष तब व्यक्त किया जब उसने सेबी को सहारा की ओर से लिखे गए उस पत्र पर गौर किया जिसमें कहा गया कि धन का स्त्रोत बताया जाना जरूरी नहीं है। अदालत ने इस पर कहा कि कंपनी और राय का व्यवहार निंदनीय है। आपकी कंपनी की ओर से किसी ने यह कहने की धृष्टता की है।
यदि आपने पैसा वापस कर दिया है तो आपकी ओर से उसके स्त्रोत का रिकॉर्ड भी पेश किया जाना चाहिए कि आपके पास कहां से पैसा आया। पीठ ने कहा कि हम आपसे यह नहीं बता सकते कि जवाब देने में कितनी धृष्टता की गई है। समूह का व्यवहार अचरज भरा है। हम आपके प्रति नर्म और खुले हैं। लेकिन यदि आप हमें छड़ी पकड़ाएंगे, तब हम क्या करें।
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