
महिला राजनयिक देवयानी खोबरागड़े से जुड़े कथित वीजा फ्रॉड मामले में भारत और अमेरिका के बीच नए सिरे से कूटनीतिक तनातनी शुरू हो गई है।
खोबरागड़े को जी1 वीजा दे कर मामूली राहत देने के साथ ही देश छोड़ने के निर्देश से नाराज भारत ने पलटवार करते हुए अपने यहां अमेरिकी दूतावास में कार्यरत राजनयिक को देश छोड़ने का आदेश दिया है।
माना जा रहा है कि देवयानी के समकक्ष ओहदा वाला यह वही राजनयिक है जिसने बीते दिनों देवयानी की नौकरानी संगीता रिचर्ड के पति और बच्चों को एच1 वीजा दे कर भारत से अमेरिका भेजने में मदद की थी।
देवयानी: न केस वापस लेगा, न माफी मांगेगा अमेरिका
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने जी1 वीजा देने से पहले भारत से देवयानी को मिला राजनयिक का दर्जा वापस लेने की मांग की थी। इस मांग को सिरे से खारिज कर दिए जाने के बाद अमेरिका ने देवयानी को जी1 वीजा देने के साथ ही देश छोड़ने का निर्देश दिया था।
इसके साथ ही अमेरिका ने देवयानी पर लगे आरोपों को वापस लेने से साफ इंकार कर दिया था। भारत ने जवाबी कार्रवाई कर आरोप वापस लेने की शर्त न माने जाने पर भविष्य में कुछ और कड़े कदम उठाने का साफ संकेत दिया है।
शुक्रवार को सुलझता दिख रहा देवयानी विवाद मामला और बुरी तरह से उलझ गया है। जी1 वीजा देने के साथ ही देवयानी को देश छोड़ने का आदेश देना भारत को बुरी तरह अखर गया।
यही कारण है कि देवयानी के अमेरिका से रवाना होने की सूचना मिलने के तत्काल बाद भारत ने अमेरिकी दूतावास में देवयानी की ही समकक्ष अमेरिकी राजनयिक को देश छोड़ने का फरमान सुना दिया।
हालांकि विदेश मंत्रालय ने संबंधित राजनयिक के नाम का खुलासा नहीं किया है। मगर सूत्रों का कहना है कि यह वही राजनयिक है जिसने देवयानी के घरेलू नौकर के पति और बच्चों को देश छोड़ने में मदद दी थी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी दूतावास ने घरेलू नौकर के परिवार के सदस्यों को आनन फानन एस1 वीजा उपलब्ध कराया जो कि मानव तस्करी से बचाने के लिए दिया जाता है।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने देवयानी को पूछताछ और 13 जनवरी की पहली अदालती पेशी से बचाने के लिए अमेरिका के सामने जी1 वीजा देने का प्रस्ताव रखा था।
भारी दबाव के बाद अमेरिका ने भारत की इस मांग को तो स्वीकार कर लिया, मगर इसके साथ ही मुकदमा जारी रहने की घोषणा के साथ देवयानी को देश छोड़ने का निर्देश दे दिया।
सूत्रों के मुताबिक भारत आरोप वापस न लेने की स्थिति में इस मामले में अपना रुख नरम नहीं करेगा। यही कारण है कि उसने अमेरिकी राजनयिक को देश छोड़ कर जाने का आदेश सुना कर जैसे को तैसा अंदाज में जवाब दिया है।
भारत की योजना अमेरिकी राजनयिकों को श्रम कानूनों के उल्लंघन के मामले में घेरने की है। इस मुद्दे पर भारत पहले ही अमेरिकी राजनयिकों की सुविधाओं में भारी कटौती के साथ ही दूतावास में चल रहे व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगा चुका है।
खोबरागड़े को जी1 वीजा दे कर मामूली राहत देने के साथ ही देश छोड़ने के निर्देश से नाराज भारत ने पलटवार करते हुए अपने यहां अमेरिकी दूतावास में कार्यरत राजनयिक को देश छोड़ने का आदेश दिया है।
माना जा रहा है कि देवयानी के समकक्ष ओहदा वाला यह वही राजनयिक है जिसने बीते दिनों देवयानी की नौकरानी संगीता रिचर्ड के पति और बच्चों को एच1 वीजा दे कर भारत से अमेरिका भेजने में मदद की थी।
देवयानी: न केस वापस लेगा, न माफी मांगेगा अमेरिका
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने जी1 वीजा देने से पहले भारत से देवयानी को मिला राजनयिक का दर्जा वापस लेने की मांग की थी। इस मांग को सिरे से खारिज कर दिए जाने के बाद अमेरिका ने देवयानी को जी1 वीजा देने के साथ ही देश छोड़ने का निर्देश दिया था।
इसके साथ ही अमेरिका ने देवयानी पर लगे आरोपों को वापस लेने से साफ इंकार कर दिया था। भारत ने जवाबी कार्रवाई कर आरोप वापस लेने की शर्त न माने जाने पर भविष्य में कुछ और कड़े कदम उठाने का साफ संकेत दिया है।
शुक्रवार को सुलझता दिख रहा देवयानी विवाद मामला और बुरी तरह से उलझ गया है। जी1 वीजा देने के साथ ही देवयानी को देश छोड़ने का आदेश देना भारत को बुरी तरह अखर गया।
यही कारण है कि देवयानी के अमेरिका से रवाना होने की सूचना मिलने के तत्काल बाद भारत ने अमेरिकी दूतावास में देवयानी की ही समकक्ष अमेरिकी राजनयिक को देश छोड़ने का फरमान सुना दिया।
हालांकि विदेश मंत्रालय ने संबंधित राजनयिक के नाम का खुलासा नहीं किया है। मगर सूत्रों का कहना है कि यह वही राजनयिक है जिसने देवयानी के घरेलू नौकर के पति और बच्चों को देश छोड़ने में मदद दी थी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी दूतावास ने घरेलू नौकर के परिवार के सदस्यों को आनन फानन एस1 वीजा उपलब्ध कराया जो कि मानव तस्करी से बचाने के लिए दिया जाता है।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने देवयानी को पूछताछ और 13 जनवरी की पहली अदालती पेशी से बचाने के लिए अमेरिका के सामने जी1 वीजा देने का प्रस्ताव रखा था।
भारी दबाव के बाद अमेरिका ने भारत की इस मांग को तो स्वीकार कर लिया, मगर इसके साथ ही मुकदमा जारी रहने की घोषणा के साथ देवयानी को देश छोड़ने का निर्देश दे दिया।
सूत्रों के मुताबिक भारत आरोप वापस न लेने की स्थिति में इस मामले में अपना रुख नरम नहीं करेगा। यही कारण है कि उसने अमेरिकी राजनयिक को देश छोड़ कर जाने का आदेश सुना कर जैसे को तैसा अंदाज में जवाब दिया है।
भारत की योजना अमेरिकी राजनयिकों को श्रम कानूनों के उल्लंघन के मामले में घेरने की है। इस मुद्दे पर भारत पहले ही अमेरिकी राजनयिकों की सुविधाओं में भारी कटौती के साथ ही दूतावास में चल रहे व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगा चुका है।
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