Thursday, January 2, 2014

क्या FDI के ट्रैक पर दौड़ेगी भारतीय रेल?

?government can be given approval of fdi in railway
इकनॉमी को सुस्ती से उबारने के लिए केंद्र सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नए रास्ते खोलने में जुटी है।

मल्टी ब्रांड रिटेल और टेलीकॉम में दो बड़े एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी देने के बाद अब रेलवे से जुड़े क्षेत्रों को एफडीआई का तोहफा मिल सकता है। इस बारे में औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के प्रस्ताव को जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

सोमवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने भी अगले कुछ हफ्तों के भीतर एफडीआई नीति को और अधिक उदार बनाने के संकेत दिए हैं। शर्मा की ओर से जारी बयान के मुताबिक, विदेशी निवेश के मामले में भारतीय की दावेदारी मजबूत करने के लिए अगले कुछ हफ्तों में एफडीआई नीति को और अधिक उदार बनाया जाएगा।

पिछले साल सिविल एविएशन, टेलीकॉम और रिटेल जैसे क्षेत्रों में एफडीआई की छूट बढ़ाने के बाद अब सरकार की नजर रेलवे, इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन से जुड़े क्षेत्रों पर है।

डीआईपीपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ऑपरेशन को छोड़कर रेलवे से जुड़े अन्य क्षेत्रों में 100 फीसदी एफडीआई के प्रस्ताव पर रेल मंत्रालय सहमत को गया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की आगामी 2 या 9 जनवरी को होने वाली बैठकों में रेलवे में एफडीआई को मंजूरी मिल सकती है। रेलवे में एफडीआई का मुददा सीसीईए के एजेंडे में शामिल है।

फिलहाल मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (एमआरटीएस) को छोड़कर रेलवे में एफडीआई पूरी तरह प्रतिबंधित है। डीआईपीपी की ओर से तैयार प्रस्ताव के मुताबिक, रेल संचालन और सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में अभी भी एफडीआई की छूट नहीं होगी। सिर्फ रेलवे से जुड़े बुनियादी ढांचे जैसे रेल कॉरिडोर, हाई-स्पीड ट्रेन सिस्टम और फ्रेट कॉरिडोर के लिए ही विदेशी निवेश का रास्ता खोला जाएगा। इसके लिए सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर की परिभाषा बदलनी पड़ सकती है।

100 के बजाय 74 फीसदी की छूट
उद्योग मंत्रालय रेलवे से जुड़े क्षेत्रों में 100 फीसदी एफडीआई चाहता है, लेकिन रेल मंत्रालय के रुख को देखते हुए यह सीमा 74 फीसदी तक सीमित हो सकती है। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन की कमी से जूझ रही रेलवे को विदेशी निवेश की जरूरत है। लेकिन चीन और जापान की इंफ्रा कंपनियों के भारत में संभावित दबदबे को लेकर कई तरह की शंकाएं भी जताई जा रही हैं।

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