![जस्टिस गांगुली को पद से हटाया जाएगा law interns sexual abuse case, ak ganguly deviates from the post!](http://img.amarujala.com/2013/12/06/justice-ganguly-52a1c664b8b11_exl.jpg)
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- जस्टिस एके गांगुली
यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के प्रस्ताव पर अब कार्यवाही शुरू होगी।
जस्टिस गांगुली के खिलाफ जांच के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट को भेजने के प्रस्ताव 'प्रेजिडेंशियल रेफरेंस' को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मुहर लगाई गई। बैठक के बाद वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने इस फैसले की जानकारी दी।
सरकार ने लॉ इंटर्न की ओर से जस्टिस गांगुली पर लगाए गए आरोपों के मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से कानूनी सलाह मांगी थी और अटॉर्नी ने जस्टिस गांगुली के खिलाफ कार्रवाई किए जाने पर सहमति जताई थी।
सरकार की सिफारिश पर अब राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से जस्टिस गांगुली के खिलाफ जांच की सिफारिश की जाएगी। चीफ जस्टिस की राय पर राष्ट्रपति की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
राष्ट्रपति ने ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पत्र के बाद इस मामले को सरकार को प्रेषित किया था।
ममता की ओर से जस्टिस गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न और विदेश दौरों के संबंध में कार्रवाई करने की मांग की गई थी। मध्यस्थता के लिए किए गए विदेशी दौरों पर जस्टिस गांगुली ने राज्य सरकार से कोई अनुमति नहीं ली थी।
मालूम हो कि यौन उत्पीड़न मामले में जस्टिस गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की चौतरफा मांग हो रही है।
भाजपा, तृणमूल कांग्रेस के अलावा एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह समेत कई महिला वकील भी उन्हें हटाने की मांग कर चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया जस्टिस गांगुली को दोषी माना है।
क्या है मामला
जस्टिस गांगुली पर एक लॉ इंटर्न ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। उसने अपने हलफनामे में कहा था कि दिसंबर 2012 में होटल के कमरे में जस्टिस गांगुली ने उसे शराब पिलाई। उसका हाथ चूमा और आई लव यू बोला। उन्होंने उससे रात में होटल में ही रुकने के लिए भी कहा था।
जस्टिस गांगुली के खिलाफ जांच के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट को भेजने के प्रस्ताव 'प्रेजिडेंशियल रेफरेंस' को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मुहर लगाई गई। बैठक के बाद वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने इस फैसले की जानकारी दी।
सरकार ने लॉ इंटर्न की ओर से जस्टिस गांगुली पर लगाए गए आरोपों के मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से कानूनी सलाह मांगी थी और अटॉर्नी ने जस्टिस गांगुली के खिलाफ कार्रवाई किए जाने पर सहमति जताई थी।
सरकार की सिफारिश पर अब राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से जस्टिस गांगुली के खिलाफ जांच की सिफारिश की जाएगी। चीफ जस्टिस की राय पर राष्ट्रपति की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
राष्ट्रपति ने ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पत्र के बाद इस मामले को सरकार को प्रेषित किया था।
ममता की ओर से जस्टिस गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न और विदेश दौरों के संबंध में कार्रवाई करने की मांग की गई थी। मध्यस्थता के लिए किए गए विदेशी दौरों पर जस्टिस गांगुली ने राज्य सरकार से कोई अनुमति नहीं ली थी।
मालूम हो कि यौन उत्पीड़न मामले में जस्टिस गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की चौतरफा मांग हो रही है।
भाजपा, तृणमूल कांग्रेस के अलावा एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह समेत कई महिला वकील भी उन्हें हटाने की मांग कर चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया जस्टिस गांगुली को दोषी माना है।
क्या है मामला
जस्टिस गांगुली पर एक लॉ इंटर्न ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। उसने अपने हलफनामे में कहा था कि दिसंबर 2012 में होटल के कमरे में जस्टिस गांगुली ने उसे शराब पिलाई। उसका हाथ चूमा और आई लव यू बोला। उन्होंने उससे रात में होटल में ही रुकने के लिए भी कहा था।
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