Thursday, January 2, 2014

...एक गुम दस्तावेज ज‌िसने उड़ा दी सरकार की नींद

Ugc document missing from hrd ministry
केंद्र सरकार को परेशानी में डालने वाले एक और दस्तावेज के नदारद होने का मामला सामने आया है। हालिया मामला मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ा हुआ है।

पल्लव राजू के मंत्रालय को दिवंगत कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सदस्य के रूप में नियुक्ति से संबंधित फाइलों और रिकॉर्ड का पता नहीं चल रहा है।

इन दस्तावेजों से उनकी नियुक्ति में हितों के टकराव का मुद्दा सामने आ सकता है। इसी के आधार पर आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव की यूजीसी की सदस्यता निरस्त की गई थी।

कांग्रेस के नेता सुभाष यादव 1992 में आयोग के सदस्य रह चुके थे। उस दौरान हितों के टकराव का मसला नहीं उठाया गया था। जबकि गत वर्ष सरकार ने हितों के टकराव का हवाला देते हुए आप नेता योगेंद्र की सदस्यता रद्द कर दी।

मंत्रालय ने सुभाष चंद्र अग्रवाल के आरटीआई आवेदन का जवाब न देने पर दायर की गई अपील पर कहा है कि सुभाष की यूजीसी सदस्य के रूप में नियुक्ति से संबंधित रिकॉर्ड मिल नहीं रहे।

आरटीआई आवेदन में यादव की नियुक्ति से संबंधित फाइल नोटिंग, दस्तावेज और फाइल रिकॉर्ड मांगे गए हैं। मंत्रालय से कांग्रेस का सदस्य होने के बावजूद यादव को यूजीसी सदस्य नियुक्त करने के लिए संबंधित लोगों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा भी मांगा गया है।

अग्रवाल ने अपने आवेदन के मीडिया में आई उस खबर की प्रति भी लगाई है जिसमें कहा गया है कि यादव को यूजीसी सदस्य बनाने से हितों का कोई टकराव नहीं हुआ।

खबरों में कहा गया है कि यूजीसी का सदस्य होने के दौरान भी यादव राजनीति में सक्रिय थे। यादव 1980 से 1985 तक लोकसभा के सदस्य रहे थे। इसके बाद 1993 में मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित होने पर उन्होंने सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

29 अक्तूबर, 1993 को उन्होंने यूजीसी की सदस्यता छोड़ी। मंत्रालय व आयोग ने कहा है कि नियुक्ति के समय वह राजनीतिक दल के सदस्य थे या नहीं, इसकी भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

No comments:

Post a Comment