
पाकिस्तान सरकार ने पंजाब प्रांत के चकवाल क्षेत्र में एक ऐतिहासिक शिव मंदिर को पुनर्स्थापित किया है।
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय, 1947 से ही चकवाल में स्थित कटासराज मंदिर बंद पड़ा था। दशकों बाद इस मंदिर में आरती की गूंज सुनाई दी है।
मंदिर के पुनरोद्धार के लिए पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं ने अधिकारियों को धन्यवाद दिया है।
राहत: पाकिस्तानी हिन्दुओं को मिली सामग्री
हिंदू धर्मावलंबियों का कहना है कि सरकार का यह कदम मुसलमान बहुल समाज में उनकी स्थिति को लेकर एक आश्वासन की तरह है।
हिंदू सुधार सभा के अध्यक्ष अमरनाथ रंधावा कहते हैं, "हमारी बड़ी ख़ुशकिस्मती है कि इस मंदिर का पुनरोद्धार और पुनर्स्थापना की गई है। यह जानकर बेहद ख़ुशी होती है कि अब हम यहां आकर पूजा कर सकते हैं।"
ऐतिहासिक स्वरूप
माना जाता है कि यह मंदिर करीब 900 साल पुराना है लेकिन कुछ लोग इसे उससे भी पुराना बताते हैं।

हिंदुओं का विश्वास है कि यहां स्थित 'तालाब शिवजी के आंसुओं से बना था'। आज़ादी से पहले हिंदू धर्मावलंबी इस विश्वास के साथ तालाब में डुबकी लगाते थे कि वे 'अपने पाप धो रहे हैं'।
लेकिन आस-पास के उद्योगों की वजह और देखरेख के अभाव में यह सूख चुका था। अब पुनरोद्धार के बाद यह फिर पानी से भर गया है।
करीब 56 लाख डॉलर (34.69 करोड़ रुपए) की आर्थिक सहायता से मंदिर के पुनर्निर्माण में सात साल का वक्त लगा।
पाकिस्तान के पंजाब के पुरातत्व विभाग की महानिदेशक अस्मत ताहिरा कहतीं हैं, "हमने मंदिर का इसके मूल स्वरूप में लौटाने की कोशिश की है। जो भी पुनरोद्धार कार्य किया जा रहा है वह ऐतिहासिक रूप से सही है। कुछ लोग इससे असहमत हो सकते हैं लेकिन सब कुछ ऐतिहासिक रूप से तथ्यों के अनुरूप है।"
कटासराज मंदिर क्षेत्र सिर्फ़ हिंदुओं की श्रद्धा का केंद्र नहीं है। मंदिर के साथ ही लगा एक बौद्ध स्तूप और सिख हवेलियां अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र हैं।
दरअसल पाकिस्तान सरकार मंदिर की पुनर्स्थापना कर इससे दो मक़सद हल करना चाहती है। पहला तो वह एक ऐसी पुरातात्विक धरोहर को पुनर्स्थापित कर रही है जो पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बन सकती है।
दूसरा वह उन आरोपों को भी झुठलाना चाहती है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों से भेदभाव किया जाता है।
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय, 1947 से ही चकवाल में स्थित कटासराज मंदिर बंद पड़ा था। दशकों बाद इस मंदिर में आरती की गूंज सुनाई दी है।
मंदिर के पुनरोद्धार के लिए पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं ने अधिकारियों को धन्यवाद दिया है।
राहत: पाकिस्तानी हिन्दुओं को मिली सामग्री
हिंदू धर्मावलंबियों का कहना है कि सरकार का यह कदम मुसलमान बहुल समाज में उनकी स्थिति को लेकर एक आश्वासन की तरह है।
हिंदू सुधार सभा के अध्यक्ष अमरनाथ रंधावा कहते हैं, "हमारी बड़ी ख़ुशकिस्मती है कि इस मंदिर का पुनरोद्धार और पुनर्स्थापना की गई है। यह जानकर बेहद ख़ुशी होती है कि अब हम यहां आकर पूजा कर सकते हैं।"
ऐतिहासिक स्वरूप
माना जाता है कि यह मंदिर करीब 900 साल पुराना है लेकिन कुछ लोग इसे उससे भी पुराना बताते हैं।

हिंदुओं का विश्वास है कि यहां स्थित 'तालाब शिवजी के आंसुओं से बना था'। आज़ादी से पहले हिंदू धर्मावलंबी इस विश्वास के साथ तालाब में डुबकी लगाते थे कि वे 'अपने पाप धो रहे हैं'।
लेकिन आस-पास के उद्योगों की वजह और देखरेख के अभाव में यह सूख चुका था। अब पुनरोद्धार के बाद यह फिर पानी से भर गया है।
करीब 56 लाख डॉलर (34.69 करोड़ रुपए) की आर्थिक सहायता से मंदिर के पुनर्निर्माण में सात साल का वक्त लगा।
पाकिस्तान के पंजाब के पुरातत्व विभाग की महानिदेशक अस्मत ताहिरा कहतीं हैं, "हमने मंदिर का इसके मूल स्वरूप में लौटाने की कोशिश की है। जो भी पुनरोद्धार कार्य किया जा रहा है वह ऐतिहासिक रूप से सही है। कुछ लोग इससे असहमत हो सकते हैं लेकिन सब कुछ ऐतिहासिक रूप से तथ्यों के अनुरूप है।"
कटासराज मंदिर क्षेत्र सिर्फ़ हिंदुओं की श्रद्धा का केंद्र नहीं है। मंदिर के साथ ही लगा एक बौद्ध स्तूप और सिख हवेलियां अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र हैं।
दरअसल पाकिस्तान सरकार मंदिर की पुनर्स्थापना कर इससे दो मक़सद हल करना चाहती है। पहला तो वह एक ऐसी पुरातात्विक धरोहर को पुनर्स्थापित कर रही है जो पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बन सकती है।
दूसरा वह उन आरोपों को भी झुठलाना चाहती है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों से भेदभाव किया जाता है।
No comments:
Post a Comment