
चुनावी साल में नरेंद्र मोदी की एक और घेराबंदी से नाराज भाजपा अब नेहरू-गांधी परिवार पर सियासी हमले तेज करने की तैयारी में है।
खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की जमीन के खरीद-फरोख्त मामलों पर भाजपा आक्रामक रुख अख्तियार करेगी।
इस मामले पर कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान पार्टी पहले ही कर चुकी है। हालांकि गुजरात के युवती जासूसी मामले के लिए जांच आयोग गठित करने के फैसले से भाजपा को सियासी लाभ होता दिख रहा है।
पार्टी का मानना है कि भले ही आयोग गठित होने के बाद मोदी को कानूनी पचड़ों में फंसना पड़े लेकिन उन्हें सियासी तौर पर लाभ मिलेगा। कांग्रेस मोदी का जितना भी घिराव करेगी, उतना ही उन्हें लाभ होगा।
कांग्रेस वर्ष 2002 से मोदी को घेरती रही है, उन्हें मौत का सौदागर तक कहा, लेकिन खुद कांग्रेस को गुजरात में 2002, 2007 व 2012 के चुनाव में शिकस्त खानी पड़ी। दूसरी तरफ मोदी का राजनीतिक ग्राफ बढ़ता चला गया।
पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों के लगातार 11 साल के कुप्रचार के बावजूद मोदी को क्लीन चिट मिल गई। वास्तव में कांग्रेस पिटे मोहरों से मोदी से लड़ना चाहती है।
बहरहाल, अब जांच आयोग गठित करने से भाजपा को यह कहने का मौका मिल गया है कि एक ओर वाड्रा मामले में तो कांग्रेस जांच करने की बजाय मामला उजागर करने वाले अफसर को तंग कर रही है, दूसरी ओर युवती के जांच कराने से इंकार करने के बावजूद केंद्र ने जांच आयोग गठित कर दिया।
यह तय हो चुका है कि भाजपा चुनावी साल में केंद्र सरकार के इस फैसले को एक बड़ा मामला बनाएगी।
पार्टी ने संसद के बीते शीतकालीन सत्र में भी तय किया था कि यदि कांग्रेस सदन में इस मामले को उठाती है तो वह जवाब में वाड्रा मामले को उठाएगी, लेकिन कांग्रेस ने तब तो चुप्पी साधे रखी और सत्र खत्म होने के बाद आयोग गठित करने का फैसला कर दिया।
खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की जमीन के खरीद-फरोख्त मामलों पर भाजपा आक्रामक रुख अख्तियार करेगी।
इस मामले पर कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान पार्टी पहले ही कर चुकी है। हालांकि गुजरात के युवती जासूसी मामले के लिए जांच आयोग गठित करने के फैसले से भाजपा को सियासी लाभ होता दिख रहा है।
पार्टी का मानना है कि भले ही आयोग गठित होने के बाद मोदी को कानूनी पचड़ों में फंसना पड़े लेकिन उन्हें सियासी तौर पर लाभ मिलेगा। कांग्रेस मोदी का जितना भी घिराव करेगी, उतना ही उन्हें लाभ होगा।
कांग्रेस वर्ष 2002 से मोदी को घेरती रही है, उन्हें मौत का सौदागर तक कहा, लेकिन खुद कांग्रेस को गुजरात में 2002, 2007 व 2012 के चुनाव में शिकस्त खानी पड़ी। दूसरी तरफ मोदी का राजनीतिक ग्राफ बढ़ता चला गया।
पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों के लगातार 11 साल के कुप्रचार के बावजूद मोदी को क्लीन चिट मिल गई। वास्तव में कांग्रेस पिटे मोहरों से मोदी से लड़ना चाहती है।
बहरहाल, अब जांच आयोग गठित करने से भाजपा को यह कहने का मौका मिल गया है कि एक ओर वाड्रा मामले में तो कांग्रेस जांच करने की बजाय मामला उजागर करने वाले अफसर को तंग कर रही है, दूसरी ओर युवती के जांच कराने से इंकार करने के बावजूद केंद्र ने जांच आयोग गठित कर दिया।
यह तय हो चुका है कि भाजपा चुनावी साल में केंद्र सरकार के इस फैसले को एक बड़ा मामला बनाएगी।
पार्टी ने संसद के बीते शीतकालीन सत्र में भी तय किया था कि यदि कांग्रेस सदन में इस मामले को उठाती है तो वह जवाब में वाड्रा मामले को उठाएगी, लेकिन कांग्रेस ने तब तो चुप्पी साधे रखी और सत्र खत्म होने के बाद आयोग गठित करने का फैसला कर दिया।
No comments:
Post a Comment