Friday, December 27, 2013

अखिलेश के अफसर बोले, ठंड से कोई नहीं मरता!

no one die becuase of winters, says up principal chief secretary
एक तरफ मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों में बच्चे और बूढ़े ठंड से मर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के नेता और आला अधिकारी अपने ऊटपटांग बयानों से उनके जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं।
राज्य के प्रमुख सचिव गृह अनिल कुमार गुप्ता के मुताबिक ‌राहत शिविरों में अधिकतर बच्चों की मौत बाहर के इलाज के बाद हुई है। उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है कि बच्चों की मौत ठंड से, इलाज के अभाव से या किसी तरह की महामारी से हुई।
नेताजी देखिए, क्या यही हैं कांग्रेस-बीजेपी के लोग?
समिति की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से चार बच्चों की ही निमोनिया से मौत हुई और बाकी की अन्य कारणों से। 34 बच्चों की मौत 7 सितंबर से 20 दिसंबर के दौरान हुई, जिनमें 12 की मौत शिविरों में हुई है।
साइबेरिया में क्या लोग ठंड से मर जाते हैं?
जब प्रमुख सचिव गृह अनिल कुमार गुप्ता से पूछा कि ज्यादातर बच्चों की ठंड से मौत होने की बात सामने आ रही है, इस पर उन्होंने उल्टा सवाल किया कि ठंड तो साइबेरिया में पड़ती है, तो क्या वहां लोग ठंड से मर जाते हैं?
प्रमुख सचिव गृह की इस टिप्पणी पर खासी चर्चा हुई। पूर्व में भी कई अधिकारियों द्वारा कई बार ऐसी ही टिप्पणियां की जा चुकी हैं।
आसपास के भयभीत लोग भी रह रहे शिविरों में
प्रमुख सचिव के मुताबिक चार सौ से अधिक परिवार ऐसे हैं जो भय की वजह से शिविरों में आ गए हैं जहां हिंसा या आगजनी हुई ही नहीं। जैसे बागपत और मेरठ। उन्होंने कहा कि शिविरों में रहने वालों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
एक वह जिनके यहां कोई घटना नहीं हुई है लेकिन आसपास की घटनाओं से भयभीत होकर यहां आए। दूसरे वह जिनके गांव में छिटपुट घटना हुई और जान बचाने के लिए शिविरों में आए और तीसरे वह जिनके यहां आगजनी व हिंसा हुई और बेघर होकर शिविर में पहुंचे।
अखिलेश-मुलायम के सैफई में सितारों का मेला
गुप्ता ने कहा कि मलकपुर शिविर में नवजात आदिल पुत्र अनवर की शिविर से कैराना ले जाते समय मौत हुई। सोनू पुत्र शहजाद का आठ दिनों से कैराना के एक नर्सिंग होम में इलाज चल रहा था, जिसके बाद उसकी मौत हुई।
बच्चों की मौत पर सरकार खामोश
मलकपुर शिविर में दस बच्चों की मौत की बात सामने आई थी। इसमें चार वर्षीया खुशनुमा पुत्री शौकीन की तीन दिसंबर को शिविर में मौत हुई।
उसकी मौत से पहले उसका कैराना के एक निजी नर्सिंग होम में इलाज कराने बाद शिविर में लाया गया था। एक प्री-मैच्योर बेबी नगमा की शिविर में उल्टी-दस्त की वजह से मौत हुई, जबकि 12 वर्षीय फरमान पुत्र नवाज की पानीपत में डॉक्टर शब्बीर से इलाज कराने के बाद मौत हुई।
ऐसे ही समन पुत्र दिलशाद का स्वास्थ्य खराब होने पर उसके अभिभावक इलाज के लिए कैराना ले गए थे, जहां से 15 दिन बाद शिविर वापस लौट आए थे, जबकि उसकी मौत हुई।
प्रमुख सचिव ने कहा कि 12 वर्षीय आशिक पुत्र इस्लाम, पांच वर्षीय अनस पुत्र यूनुस, शहनवाज, हारून आदि की भी ऐसे ही बाहर इलाज कराने के बाद मौत होने की बात सामने आई है।

No comments:

Post a Comment