Wednesday, January 15, 2014

'बिचौलियों का साथ दे रहे हैं केजरीवाल'

'Intermediaries are supporting Kejriwal'
दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल क्या सच में बिचौलियों का साथ दे रहे हैं। या फिर उन पर सिर्फ आरोप ही लगाए जा रहे हैं।

मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई का फैसला उलटने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने जमकर निशाना साधा है। शर्मा ने इसे एक अल्पमत सरकार का गैर-जिम्मेदार फैसला करार देते हुए केजरीवाल पर बिचौलियों का साथ देने का आरोप लगाया है।

दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन से चल रही आम आदमी पार्टी की सरकार के कदम ने एफडीआई समर्थक कांग्रेस की उलझन बढ़ा दी है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने भी इस मुद्दे पर आनंद शर्मा से मुलाकात की है। उन्होंने इस मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही है।

आनंद शर्मा ने दिल्ली में मजबूत बहुमत से चुनी हुई शीला दीक्षित सरकार के रिटेल में एफडीआई की छूट के फैसले को एक अल्पमत सरकार द्वारा अचानक बदले जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि भारत कोई बनाना रिपब्लिक नहीं है, जहां नीतिगत फैसले इस तरह बदल दिए जाएं। भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ। रिटेल में एफडीआई से रोजगार खत्म होने के तर्क को भी उन्होंने हास्यास्पद बताया है।

गौरतलब है कि फिलहाल औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) दिल्ली सरकार की ओर से भेजे गए पत्र की समीक्षा करने में जुटा है। आनंद शर्मा के मुताबिक, मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई का फैसला सभी पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया था। लेकिन क्या बाहरी समर्थन से चल रही अल्पमत सरकार ऐसे फैसले उल्ट सकती है? इसकी पड़ताल की जा रही है।

कांग्रेस सरकारें खुद उलट चुकी हैं फैसले
जिस तरह दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने पुरानी सरकार के फैसले का बदलते हुए मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई को मंजूरी नहीं देने का फैसला किया है, इसी तरह के फैसले उत्तराखंड और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के बाद हो चुके हैं। उत्तराखंड और कर्नाटक में भाजपा सरकारें रिटेल एफडीआई का विरोध कर रही थीं, लेकिन वहां कांग्रेस की सरकार आने के बाद पुरानी सरकारों के रुख को बदलते हुए एफडीआई को मंजूरी दी गई।

सही निकला निवेशकों का डर
देश में मल्टीब्रांड रिटेल एफडीआई की नीति को लेकर विदेशी निवेशक का डर सही साबित होता दिख रहा है। इस नीति के तहत राज्य सरकारों को मंजूरी का अधिकार दिया गया है। एफडीआई नीति की कमी के चलते ही एफडीआई की छूट मिलने के बावजूद अभी तक किसी भी विदेशी कंपनी ने मल्टीब्रांड रिटेल में निवेश नहीं किया है। सिर्फएक कंपनी टेस्को ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में निवेश का प्रस्ताव दिया है।

No comments:

Post a Comment