
एक अमेरिकी अखबार और फाउंडेशन ने दुनिया भर में भारत को इस मामले में 120वें स्थान पर रखा है।
अमेरिका के हेरिटेज फाउंडेशन और वॉल स्ट्रीट जरनल ने आर्थिक स्वतंत्रता के लिहाज से भारत को दुनिया में 120वें स्थान पर रखा है। वर्ष 2014 के लिए जारी किए गए इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्ट में भारत को ग्लोबल स्तर पर यह रैंकिंग दी गई है। हालांकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत को 43 देशों के बीच 25वां स्थान दिया गया है।
रिपोर्ट में आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत को निचले स्तर पर बताया गया है। हालांकि देश की स्थिति में सुधार होने की बात भी कही गई है। 2014 के लिए जारी की गई सालाना रैंकिंग में भारत ने अब तक का सबसे ऊंचा स्थान (120वां ) पाया है।
हालांकि भारत का स्कोर इस बार भी पिछले साल के बराबर 55.7 अंक पर ही रहा और इनमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। रैंकिंग में आए सुधार के बावजूद फिलहाल भारत सबसे ज्यादा गैरस्वतंत्र (मोस्ट अनफ्री) श्रेणी में बना हुआ है। पिछले 20 वर्षों से जारी किए जा रहे इस सूचकांक के तहत भारत अपने अंकों में अब तक महज 11 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज कर सका है।
हेरिटेज फाउंडेशन सेंटर फॉर इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनॉमिक्स के निदेशक और इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स 2014 के सह-लेखक टेरी मिलर का कहना है कि आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत की प्रगति धीमी है, पर हाल के वर्षों में उसने अपनी स्थिति में निश्चित रूप से सुधार किया है। हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था अभी इस मामले में अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।
भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए भारत में सरकार की ओर से उल्लेखनीय ढंग से प्रयास किए गए हैं और स्पष्ट रूप से इसका असर पड़ता भी दिखाई पड़ रहा है। हालांकि इस सबके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में खुलापन अभी दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम दिखाई देता है।
बीते वर्ष में भी इस इस मामले में सरकारी तंत्र का रवैया सुरक्षात्मक ही दिखाई दिया है। हालांकि इस साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए आर्थिक स्वतंत्रता के एजेंडे पर जोर दिया जाने की अपेक्षा है।
भारत ने इकोनॉमिक फ्रीडम के 10 में से करीब आधे सूचकों में सुधार करते हुए दहाई अंकों का स्कोर अर्जित किया है। व्यापार के मामले में सबसे ज्यादा सुधार देखने को मिला है, जिसमें भारत ने 65 अंक हासिल किए हैं। इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स के तहत दुनिया के 186 देशों के प्रदर्शन को कुल 10 मानदंडों के आधार पर परखा जाता है। इन मानकों में देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति, नियामकीय दक्षता का स्तर, सरकार का सीमित हस्तक्षेप और बाजार का खुलापन आदि प्रमुख हैं।
अमेरिका के हेरिटेज फाउंडेशन और वॉल स्ट्रीट जरनल ने आर्थिक स्वतंत्रता के लिहाज से भारत को दुनिया में 120वें स्थान पर रखा है। वर्ष 2014 के लिए जारी किए गए इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्ट में भारत को ग्लोबल स्तर पर यह रैंकिंग दी गई है। हालांकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत को 43 देशों के बीच 25वां स्थान दिया गया है।
रिपोर्ट में आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत को निचले स्तर पर बताया गया है। हालांकि देश की स्थिति में सुधार होने की बात भी कही गई है। 2014 के लिए जारी की गई सालाना रैंकिंग में भारत ने अब तक का सबसे ऊंचा स्थान (120वां ) पाया है।
हालांकि भारत का स्कोर इस बार भी पिछले साल के बराबर 55.7 अंक पर ही रहा और इनमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। रैंकिंग में आए सुधार के बावजूद फिलहाल भारत सबसे ज्यादा गैरस्वतंत्र (मोस्ट अनफ्री) श्रेणी में बना हुआ है। पिछले 20 वर्षों से जारी किए जा रहे इस सूचकांक के तहत भारत अपने अंकों में अब तक महज 11 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज कर सका है।
हेरिटेज फाउंडेशन सेंटर फॉर इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनॉमिक्स के निदेशक और इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स 2014 के सह-लेखक टेरी मिलर का कहना है कि आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत की प्रगति धीमी है, पर हाल के वर्षों में उसने अपनी स्थिति में निश्चित रूप से सुधार किया है। हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था अभी इस मामले में अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।
भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए भारत में सरकार की ओर से उल्लेखनीय ढंग से प्रयास किए गए हैं और स्पष्ट रूप से इसका असर पड़ता भी दिखाई पड़ रहा है। हालांकि इस सबके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में खुलापन अभी दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम दिखाई देता है।
बीते वर्ष में भी इस इस मामले में सरकारी तंत्र का रवैया सुरक्षात्मक ही दिखाई दिया है। हालांकि इस साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए आर्थिक स्वतंत्रता के एजेंडे पर जोर दिया जाने की अपेक्षा है।
भारत ने इकोनॉमिक फ्रीडम के 10 में से करीब आधे सूचकों में सुधार करते हुए दहाई अंकों का स्कोर अर्जित किया है। व्यापार के मामले में सबसे ज्यादा सुधार देखने को मिला है, जिसमें भारत ने 65 अंक हासिल किए हैं। इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स के तहत दुनिया के 186 देशों के प्रदर्शन को कुल 10 मानदंडों के आधार पर परखा जाता है। इन मानकों में देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति, नियामकीय दक्षता का स्तर, सरकार का सीमित हस्तक्षेप और बाजार का खुलापन आदि प्रमुख हैं।
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