
राष्ट्रध्वज के अपमान मामले में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। इस मामले की गूंज लोकसभा तक पहुंच गई है।
बसपा सांसद रमाशंकर राजभर ने मामले को सदन में उठाने के लिए स्पीकर मीरा कुमार को नोटिस देकर कार्रवाई की मांग की है।
हालांकि मंगलवार को सदन में हंगामे के चलते स्पीकर नोटिस का संज्ञान नहीं ले पाईं। मामला तिरंगे के अपमान से जुड़ा हुआ है, इसलिए पूरे मामले में कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
सांसद राजभर ने आईसीएआर की ओर से स्पीड पोस्ट से मिले तिरंगे वाले लिफाफे को अमर उजाला को दिखाते हुए कहा कि राष्ट्रध्वज की यह दुर्गति देखकर एकबारगी विश्वास ही नहीं हुआ कि एक सरकारी संस्थान भी इस तरह का दुस्साहस कर सकता है।
उन्होंने कहा कि पहले लगा कि शायद यह निजी कूरियर से भेजा गया हो सकता है लेकिन यह देखकर दंग रह गया कि यह स्पीड पोस्ट से आया है। स्पीड पोस्ट से भेजे जाने का सीधा मतलब है कि इसके लिए लिफाफा आईसीएआर में ही तैयार हुआ है।
दरअसल तिरंगे को फाड़कर कागज के बने लिफाफे में अंदर से साट दिया गया था। एजेंडे की कॉपी बीते 29 नवंबर को आईसीएआर की गवर्निंग बॉडी की बैठक के लिए थी।
क्या है मामला
भारतीय कृषि अनुसंधान संगठन ने गवर्निंग बॉडी की बैठक का एजेंडा भेजने के लिए तिरंगे को फाड़कर लिफाफा बना दिया।
मामले का खुलासा तब हुआ जब स्पीड पोस्ट से भेजा गया लिफाफा उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से बसपा सांसद और आईसीएआर के गवर्निंग बॉडी के सदस्य रमाशंकर राजभर को मिला।
जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
तिरंगे के अपमान से बेहद आहत और नाराज राजभर ने इस मामले में आईसीएआर के अधिकारियों को सबक सिखाने की ठान ली है।
उनका कहना है कि कड़ा संदेश देने के लिए इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सांसद ने मंगलवार को भी यह मामला लोकसभा में उठाने की पुरजोर कोशिश की।
मगर हंगामे के कारण वह अपनी बात नहीं रख सके। अब राजभर की योजना इस मामले को बुधवार को उठाने की है।
वरिष्ठ सांसदों ने भी जताया अचंभा
बसपा सांसद ने तिरंगे वाले लिफाफे को लोकसभा में कई वरिष्ठ नेताओं को भी दिखाया। चूंकि तिरंगा फाड़ने के मामले में सरकारी संस्थान शामिल है, इसलिए लिफाफा देखने वाले सभी नेता हतप्रभ रह गए।
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव, जदयू सुप्रीमो शरद यादव समेत कई नेताओं ने आईसीएआर के कदम पर आश्चर्य जताया।
बसपा सांसद रमाशंकर राजभर ने मामले को सदन में उठाने के लिए स्पीकर मीरा कुमार को नोटिस देकर कार्रवाई की मांग की है।
हालांकि मंगलवार को सदन में हंगामे के चलते स्पीकर नोटिस का संज्ञान नहीं ले पाईं। मामला तिरंगे के अपमान से जुड़ा हुआ है, इसलिए पूरे मामले में कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
सांसद राजभर ने आईसीएआर की ओर से स्पीड पोस्ट से मिले तिरंगे वाले लिफाफे को अमर उजाला को दिखाते हुए कहा कि राष्ट्रध्वज की यह दुर्गति देखकर एकबारगी विश्वास ही नहीं हुआ कि एक सरकारी संस्थान भी इस तरह का दुस्साहस कर सकता है।
उन्होंने कहा कि पहले लगा कि शायद यह निजी कूरियर से भेजा गया हो सकता है लेकिन यह देखकर दंग रह गया कि यह स्पीड पोस्ट से आया है। स्पीड पोस्ट से भेजे जाने का सीधा मतलब है कि इसके लिए लिफाफा आईसीएआर में ही तैयार हुआ है।
दरअसल तिरंगे को फाड़कर कागज के बने लिफाफे में अंदर से साट दिया गया था। एजेंडे की कॉपी बीते 29 नवंबर को आईसीएआर की गवर्निंग बॉडी की बैठक के लिए थी।
क्या है मामला
भारतीय कृषि अनुसंधान संगठन ने गवर्निंग बॉडी की बैठक का एजेंडा भेजने के लिए तिरंगे को फाड़कर लिफाफा बना दिया।
मामले का खुलासा तब हुआ जब स्पीड पोस्ट से भेजा गया लिफाफा उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से बसपा सांसद और आईसीएआर के गवर्निंग बॉडी के सदस्य रमाशंकर राजभर को मिला।
जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
तिरंगे के अपमान से बेहद आहत और नाराज राजभर ने इस मामले में आईसीएआर के अधिकारियों को सबक सिखाने की ठान ली है।
उनका कहना है कि कड़ा संदेश देने के लिए इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सांसद ने मंगलवार को भी यह मामला लोकसभा में उठाने की पुरजोर कोशिश की।
मगर हंगामे के कारण वह अपनी बात नहीं रख सके। अब राजभर की योजना इस मामले को बुधवार को उठाने की है।
वरिष्ठ सांसदों ने भी जताया अचंभा
बसपा सांसद ने तिरंगे वाले लिफाफे को लोकसभा में कई वरिष्ठ नेताओं को भी दिखाया। चूंकि तिरंगा फाड़ने के मामले में सरकारी संस्थान शामिल है, इसलिए लिफाफा देखने वाले सभी नेता हतप्रभ रह गए।
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव, जदयू सुप्रीमो शरद यादव समेत कई नेताओं ने आईसीएआर के कदम पर आश्चर्य जताया।
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