
अन्ना हजारे द्वारा जनलोकपाल बिल को लेकर शुरू किए आंदोलन और दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन के बाद 27 दिसंबर 2011 को लोकसभा में लोकपाल विधेयक पारित किया गया था।
राज्यसभा में 29 दिसंबर 2011 को लोकपाल विधेयक पेश किया गया लेकिन भारी हंगामें के चलते यह पारित नहीं हो सका। राज्यसभा में आए सुझावों के चलते 21 मई 2012 को विधेयक प्रवर समिति को भेजने का फैसला किया गया।
23 नवंबर 2012 को प्रवर समिति ने अपनी सिफारिशें राज्यसभा सचिवालय को सौंप दी, तब से यह लंबित था।
पढ़ें, क्या है लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक में?
राज्यसभा में लोकपाल विधेयक
मई 1969 में पहली बार इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में लोकपाल बिल लोकसभा में पेश किया गया और पारित भी हुआ मगर राज्यसभा में पारित नहीं हो सका।
लोकसभा में लोकपाल पास, रालेगन में जश्न
तब से अब तक इस विधेयक को 1971, 1977, 1985, 1989, 1996, 1998, 2001, 2005, 2008 और 2011 में पेश किया गया, लेकिन पारित नहीं हो सका।
17 दिसंबर, 2013 को राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित हुआ।
टाइमलाइन
5 अप्रैल, 2011 : जन लोकपाल विधेयक लाने की मांग को लेकर अन्ना हजारे दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठे।
21 जून, 2011 : अंतिम बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला, 16 अगस्त से अनशन पर बैठने की घोषणा की
28 जुलाई, 2011 : कैबिनेट ने विधेयक को मंजूरी दी, पीएम, न्यायपालिका, संसद के भीतर सांसदों के आचरण दायरे से बाहर
16 अगस्त, 2011 : अनशन स्थल जाते समय अन्ना गिरफ्तार, तिहाड़ जेल भेजे गए, शाम को रिहाई के आदेश
19 अगस्त, 2011 : अन्ना तिहाड़ जेल से बड़े जनसमुह के साथ रामलीला मैदान पहुंचे, अनशन जारी
27 अगस्त, 2011 : सिटीजन चार्टर, लोकायुक्त, निचली श्रेणी की नौकरशाही को दायरे में लाने को संसद की सैद्घांतिक सहमति
28 अगस्त, 2011 : अन्ना हजारे ने 13वें दिन अपना अनशन समाप्त किया
9 दिसंबर, 2011 : विधेयक पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट पेश, जन लोकपाल के प्रमुख तीन मुद्ïदों को नकार दिया गया
10 दिसंबर, 2011 : जनलोकपाल को लेकर जंतर-मंतर पर एक दिन का उपवास, कई दलों के नेता मंच पर आए
20 दिसंबर, 2011 : कैबिनेट ने बिल को मंजूरी दी। सीबीआई को लोकपाल के नियंत्रण से बाहर रखने का फैसला, प्रधानमंत्री को कुछ शर्तों के साथ दायरे में रखा गया।
27 दिसंबर, 2011 : लोकसभा में लोकपाल बिल पास, लेकिन सरकार लोकपाल को संवैधानिक दर्जा नहीं दिला सकी
29 दिसंबर, 2011 : हंगामें की वजह से राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, बिल एक बार फिर लटक गया
10 दिसंबर, 2013 : अन्ना हजारे एक बार फिर मुंबई में अनशन पर बैठे
17 दिसंबर, 2013 : लोकपाल विधेयक राज्यसभा में पारित
राज्यसभा में 29 दिसंबर 2011 को लोकपाल विधेयक पेश किया गया लेकिन भारी हंगामें के चलते यह पारित नहीं हो सका। राज्यसभा में आए सुझावों के चलते 21 मई 2012 को विधेयक प्रवर समिति को भेजने का फैसला किया गया।
23 नवंबर 2012 को प्रवर समिति ने अपनी सिफारिशें राज्यसभा सचिवालय को सौंप दी, तब से यह लंबित था।
पढ़ें, क्या है लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक में?
राज्यसभा में लोकपाल विधेयक
मई 1969 में पहली बार इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में लोकपाल बिल लोकसभा में पेश किया गया और पारित भी हुआ मगर राज्यसभा में पारित नहीं हो सका।
लोकसभा में लोकपाल पास, रालेगन में जश्न
तब से अब तक इस विधेयक को 1971, 1977, 1985, 1989, 1996, 1998, 2001, 2005, 2008 और 2011 में पेश किया गया, लेकिन पारित नहीं हो सका।
17 दिसंबर, 2013 को राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित हुआ।
टाइमलाइन
5 अप्रैल, 2011 : जन लोकपाल विधेयक लाने की मांग को लेकर अन्ना हजारे दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठे।
- केंद्र सरकार ने 9 अप्रैल को लोकपाल बिल को लेकर अधिसूचना जारी की, अन्ना 98 घंटे बाद अपना अनशन खत्म किया।
21 जून, 2011 : अंतिम बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला, 16 अगस्त से अनशन पर बैठने की घोषणा की
28 जुलाई, 2011 : कैबिनेट ने विधेयक को मंजूरी दी, पीएम, न्यायपालिका, संसद के भीतर सांसदों के आचरण दायरे से बाहर
16 अगस्त, 2011 : अनशन स्थल जाते समय अन्ना गिरफ्तार, तिहाड़ जेल भेजे गए, शाम को रिहाई के आदेश
19 अगस्त, 2011 : अन्ना तिहाड़ जेल से बड़े जनसमुह के साथ रामलीला मैदान पहुंचे, अनशन जारी
27 अगस्त, 2011 : सिटीजन चार्टर, लोकायुक्त, निचली श्रेणी की नौकरशाही को दायरे में लाने को संसद की सैद्घांतिक सहमति
28 अगस्त, 2011 : अन्ना हजारे ने 13वें दिन अपना अनशन समाप्त किया
9 दिसंबर, 2011 : विधेयक पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट पेश, जन लोकपाल के प्रमुख तीन मुद्ïदों को नकार दिया गया
10 दिसंबर, 2011 : जनलोकपाल को लेकर जंतर-मंतर पर एक दिन का उपवास, कई दलों के नेता मंच पर आए
20 दिसंबर, 2011 : कैबिनेट ने बिल को मंजूरी दी। सीबीआई को लोकपाल के नियंत्रण से बाहर रखने का फैसला, प्रधानमंत्री को कुछ शर्तों के साथ दायरे में रखा गया।
27 दिसंबर, 2011 : लोकसभा में लोकपाल बिल पास, लेकिन सरकार लोकपाल को संवैधानिक दर्जा नहीं दिला सकी
29 दिसंबर, 2011 : हंगामें की वजह से राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, बिल एक बार फिर लटक गया
10 दिसंबर, 2013 : अन्ना हजारे एक बार फिर मुंबई में अनशन पर बैठे
17 दिसंबर, 2013 : लोकपाल विधेयक राज्यसभा में पारित
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