
केरल हाई कोर्ट ने 23 वर्षीय युवती से बलात्कार करने वाले विकलांग भिखारी को मिली मौत की सजा बरकरार रखी है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने महिला से रेप और फिर उसके कत्ल का दोषी मानते हुए शख्स को मौत की सजा सुनाई थी।
दोषी गोविंदाचामी ने एक फरवरी, 2008 को चलती ट्रेन से युवती को ट्रेन से धक्का दे दिया था। फिर उससे रेप किया, जिसके बाद युवती को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई थी।
हाई कोर्ट की जस्टिस टी रामचंद्रन नायर और बी कमल पाशा की बेंच ने गोविंदाचामी को त्रिसूर की फास्ट्र ट्रैक कोर्ट की ओर से सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखी।
लोगों की उदासीनता पर सवाल
बेंच ने कहा अब इस मामले में हस्तक्षेप के लिए कुछ नहीं बचा है। बेंच ने भारतीय रेलवे के रवैए और युवती के साथ ट्रेन में यात्रा कर रहे लोगों की उदासीनता की भी आलोचना की।
बेंच ने कहा कि महिलाओं के कोच में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। इस घटना के बाद भी महिलाओं के कोच को ट्रेन के बिल्कुल आखिर में ही रखा गया।
'मदद की होती तो...'
जजों का कहना था महिलाओं के कोच को बीच में जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही कंपार्टमेंट में दो महिला गार्डों की तैनाती की जाए। बेंच ने कहा कि मामले के दौरान ट्रेन के सहयात्रियों का रवैया बेहद खराब था। अगर उन्होंने मदद की होती तो इस वारदात को रोका जा सकता था।
गोविंदाचामी ने एक फरवरी, 2008 को एर्नाकुलम-शोरनूर पैसेंजर ट्रेन में सफर कर रही एक 23 वर्षीय महिला को लूटने के लिए पहले धक्का देकर गिरा दिया और उसके साथ बलात्कार किया। पांच दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
दोषी गोविंदाचामी ने एक फरवरी, 2008 को चलती ट्रेन से युवती को ट्रेन से धक्का दे दिया था। फिर उससे रेप किया, जिसके बाद युवती को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई थी।
हाई कोर्ट की जस्टिस टी रामचंद्रन नायर और बी कमल पाशा की बेंच ने गोविंदाचामी को त्रिसूर की फास्ट्र ट्रैक कोर्ट की ओर से सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखी।
लोगों की उदासीनता पर सवाल
बेंच ने कहा अब इस मामले में हस्तक्षेप के लिए कुछ नहीं बचा है। बेंच ने भारतीय रेलवे के रवैए और युवती के साथ ट्रेन में यात्रा कर रहे लोगों की उदासीनता की भी आलोचना की।
बेंच ने कहा कि महिलाओं के कोच में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। इस घटना के बाद भी महिलाओं के कोच को ट्रेन के बिल्कुल आखिर में ही रखा गया।
'मदद की होती तो...'
जजों का कहना था महिलाओं के कोच को बीच में जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही कंपार्टमेंट में दो महिला गार्डों की तैनाती की जाए। बेंच ने कहा कि मामले के दौरान ट्रेन के सहयात्रियों का रवैया बेहद खराब था। अगर उन्होंने मदद की होती तो इस वारदात को रोका जा सकता था।
गोविंदाचामी ने एक फरवरी, 2008 को एर्नाकुलम-शोरनूर पैसेंजर ट्रेन में सफर कर रही एक 23 वर्षीय महिला को लूटने के लिए पहले धक्का देकर गिरा दिया और उसके साथ बलात्कार किया। पांच दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
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