
इत्तेहाद ए मिल्लत कौसिंल के अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि इस्लाम में गाय का मीट हराम है।
गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है, वहीं मीट मेडिकल साइंस के अनुसार घातक है। इस्लाम ऐसे किसी काम की इजाजत नहीं देता जो दूसरे की भावनाओं को चोट पहुंचाए।
उन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ में आयोजित सद्भावना महासम्मेलन में कहा कि गोकशी के पीछे भी सांप्रदायिक ताकतें हैं। मुसलमानों को इनसे बचना चाहिए। मौलाना ने कहा कि मुसलमानों को एकजुट होने की जरूरत है। मुसलमानों के शोषण के लिए उनके मतभेद ही जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा कि वे बरेलवी और देवबंदी के साथ बिरादरियों में बंटे हैं। इस मंच से एकता की बात हो रही है, तो मुसलमानों को जाति, बिरादरी से बाहर आकर मजहबी दीवारों को भी गिराना होगा।
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तौकीर रजा ने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक हम लोग सद्भाव का संदेश फैला रहे हैं। कुछ सियासी और फिरकापरस्त ताकतें ऐसा करने से रोकने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने साफ किया कि यह मिशन अब रुकने वाला नहीं है।
आजम को चुनौती तो नहीं दे रहे तौकीर
तौकीर रजा ने जिस तरह मीट कारोबारियों के पक्ष में शिवपाल से सिफारिश की, वह चौंकाने वाली थी। तौकीर रजा ने अफसरों पर मुस्लिम मीट कारोबारियों का उत्पीड़न करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि एपिडा की रिपोर्ट के अनुसार महज 14 फीसदी मुस्लिम ही मीट कारोबार से जुड़े हैं। मेरठ में केंद्र की सियासत से जुड़े एक व्यक्ति के मीट प्लांट पर प्रशासन की नजर नहीं है, लेकिन मुस्लिम मीट कारोबारियों का व्यापार चौपट किया जा रहा है।
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उन्होंने इन कारोबारियों को प्रोत्साहन देने का भी मुद्दा उठाया। तौकीर रजा के मीट कारोबारियों के पक्ष में उतरने के सियासी हलके में चर्चा है। हालांकि सपा सरकार बनते ही आजम खां ने कमेला नेस्तनाबूद करा दिया था। मीट प्लांटों पर भी आजम खां की टेढ़ी नजर है।
ऐसे में तौकीर रजा का मीट कारोबारियों के पक्ष में आना सपा की मुस्लिम राजनीति में आजम के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है, वहीं मीट मेडिकल साइंस के अनुसार घातक है। इस्लाम ऐसे किसी काम की इजाजत नहीं देता जो दूसरे की भावनाओं को चोट पहुंचाए।
उन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ में आयोजित सद्भावना महासम्मेलन में कहा कि गोकशी के पीछे भी सांप्रदायिक ताकतें हैं। मुसलमानों को इनसे बचना चाहिए। मौलाना ने कहा कि मुसलमानों को एकजुट होने की जरूरत है। मुसलमानों के शोषण के लिए उनके मतभेद ही जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा कि वे बरेलवी और देवबंदी के साथ बिरादरियों में बंटे हैं। इस मंच से एकता की बात हो रही है, तो मुसलमानों को जाति, बिरादरी से बाहर आकर मजहबी दीवारों को भी गिराना होगा।
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तौकीर रजा ने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक हम लोग सद्भाव का संदेश फैला रहे हैं। कुछ सियासी और फिरकापरस्त ताकतें ऐसा करने से रोकने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने साफ किया कि यह मिशन अब रुकने वाला नहीं है।
आजम को चुनौती तो नहीं दे रहे तौकीर
तौकीर रजा ने जिस तरह मीट कारोबारियों के पक्ष में शिवपाल से सिफारिश की, वह चौंकाने वाली थी। तौकीर रजा ने अफसरों पर मुस्लिम मीट कारोबारियों का उत्पीड़न करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि एपिडा की रिपोर्ट के अनुसार महज 14 फीसदी मुस्लिम ही मीट कारोबार से जुड़े हैं। मेरठ में केंद्र की सियासत से जुड़े एक व्यक्ति के मीट प्लांट पर प्रशासन की नजर नहीं है, लेकिन मुस्लिम मीट कारोबारियों का व्यापार चौपट किया जा रहा है।
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उन्होंने इन कारोबारियों को प्रोत्साहन देने का भी मुद्दा उठाया। तौकीर रजा के मीट कारोबारियों के पक्ष में उतरने के सियासी हलके में चर्चा है। हालांकि सपा सरकार बनते ही आजम खां ने कमेला नेस्तनाबूद करा दिया था। मीट प्लांटों पर भी आजम खां की टेढ़ी नजर है।
ऐसे में तौकीर रजा का मीट कारोबारियों के पक्ष में आना सपा की मुस्लिम राजनीति में आजम के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
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