Tuesday, January 7, 2014

स्मारक घोटाले में उठेगा सच से पर्दा, मुश्किल में माया

vigilance investigation opens Statue Scam
स्मारक घोटाले की जांच में विजिलेंस ने सभी संबंधित विभागों से आरोपियों की तैनाती व सेवा संबंधी अन्य जानकारी का ब्यौरा मांग लिया है।

सबसे पहले घोटाले में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के नजदीकी भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक सुहैल अहमद फारूकी से पूछताछ की जानी है।

विजिलेंस यह पूछताछ जनवरी के अंत या फरवरी के शुरू में करेगी। इससे पहले फारूकी के 2008 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें विभाग में सलाहकार बनाने के लिए उच्चस्तर पर गई पत्रावली को विजिलेंस अपने कब्जे में लेगी।

विजिलेंस जानना चाहती है कि फारूकी ने इस घोटाले में कितना लाभ कमाया और अन्य को दिलाया। उनके जरिये किस-किस को कितना लाभ पहुंचाया गया।

उन्हें किसके इशारे पर सेवानिवृत्त होने के बाद भी सलाहकार पद पर बरकरार रखा गया। सलाहकार रहने के दौरान उन्होंने स्मारकों व उद्यानों के निर्माण से जुड़े किस-किस को लाभ पहुंचाया और कौन-कौन सी अनियमितताएं कीं।

विजिलेंस के सूत्रों की मानें तो फारूकी का कंसोर्टियम से सामना भी कराया जाएगा। आमने-सामने बैठा कर सवाल किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है, विजिलेंस ने स्मारक घोटाले में जो मुकदमा दर्ज कराया है, उसमें इस बात के संकेत हैं कि ठेकेदारों का कंसोर्टियम बनाने में फारूकी ने अहम भूमिका निभाई।

उनसे पूछा जाएगा कि किसके कहने पर काम हुआ और किन वजहों से नियमों की अनदेखी हुई। मिर्जापुर में हासिल सैंड स्टोन को तराशने के नाम पर राजस्थान ले जाने का खेल किसके कहने पर किया गया।

विजिलेंस इस पूछताछ के लिए फारूकी को विधिक नोटिस जारी करेगी। उनका बयान भी दर्ज होगा ताकि बाद में मुकर न सकें।

चूंकि, स्मारक घोटाले में दोनों पूर्व मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा के मंत्रालयों से जुड़े विभागों के अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे।

इसलिए इन विभागों में तैनात रहे अधिकारियों-कर्मचारियों, अभियंताओं आदि की मौजूदा तैनाती के साथ ही उनसे संबंधित अन्य ब्यौरे को भी विजिलेंस ने तलब किया है।

अब देना होगा सभी को जवाब
घोटाले का खास खेल रेटों के निर्धारण और सैंड स्टोन को यूपी से राजस्थान व वहां से वापस यहां लाने में किया गया। लोकायुक्त व आर्थिक अपराध शाखा द्वारा पूर्व में की गई जांच में भी यह तथ्य सामने आ चुका है।

ट्रकों पर माल ले जाना दर्शाया गया, उससे आधी ही ट्रकें वापस लौटीं। इसके बाद भी सब सही साबित कर लगातार भुगतान किए जाते रहे।

विजिलेंस ने जो मुकदमा दर्ज कराया है, उसके अनुसार कुल 15,749 ट्रकों को राजस्थान भेजना दिखाया गया और वापसी मात्र 7,141 ट्रकों की हुई।

ट्रकों की व्यवस्था और भाड़े के भुगतान मे निगम के अधिकारियों की भूमिका थी। विजिलेंस ने तय किया है कि ट्रकों के खेल में निर्माण निगम के अधिकारियों व अभियंताओं से अलग-अलग पूछताछ होग।

सैंड स्टोन को यूपी से राजस्थान और वहां से वापस यूपी लाने के औचित्य पर सवाल तो किए ही जाएंगे, साथ ही भाड़े, ढुलाई और तराशने आदि के लिए किस आधार पर रेट तय हुए।

इसके बारे में भी पूछा जाएगा। सबसे अहम सवाल यह होगा कि ट्रकों का खेल किसके इशारे पर किया गया और इस खेल से होने वाले लाभ में किस-किस ने बंदरबांट की।

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