
बांग्लादेश में वोट डालने वाले हिंदू परिवार एवं अन्य अल्पसंख्यक विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं।
मतदान के बाद कई इलाकों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों पर हमले की खबरें हैं। हिंदू नेताओं एवं मानवाधिकार संगठनों ने अल्पसंख्यकों के लिए और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों में बताया गया कि बीएनपी और उसकी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं ने पश्चिमी जेसोर, उत्तर पश्चिमी दिनाजपुर और अभयंगर इलाके में हिंदू परिवारों पर हमला किया।
कई अखबारों ने सोमवार को रिपोर्ट में बताया कि चुनावों के बहिष्कार के आह्वान को दरकिनार कर हिंदुओं द्वारा वोट देने पर विपक्षी कार्यकर्ताओं ने यहां 130 हिंदू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की। मालोपाड़ा गांव में 10 हिंदुओं के घरों में आग लगा दी गई।
पुलिस के मुताबिक 70-80 लोगों ने गांवों पर हमला बोला लेकिन अर्द्धसैनिक बल और पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। बीएनपी के कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं को मतदान करने पर गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है।
अफरातफरी फैलने पर सेना के त्वरित बल को हस्तक्षेप करना पड़ा। मेजर रहमान ने रविवार रात कहा, 'हम चुनाव ड्यूटी पर थे। इसके बावजूद गांववालों को बचाने के लिए हमें यहां अस्थायी पुलिस शिविर लगाना पड़ा।'
हिंदू-बौद्ध-क्रिश्चियन ओकिया परिषद के उपाध्यक्ष काजल देवनाथ ने पीटीआई को बताया, 'करीब 400 हिंदुओं को हिंसा की आशंका के चलते अपने घरों को छोड़कर स्थानीय भैरव नदी के दूसरी ओर शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा।'
पश्चिमोत्तर दिनाजपुर के पूर्णिया इलाके में भी हिंदुओं पर हमले हुए। विपक्षी कार्यकर्ताओं ने वोट डालने पर 10 बुजुर्ग हिंदुओं पर जानलेवा हमला किया और घरों में आग लगा दी।
देवनाथ ने हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों के लिए और कड़ी सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी राजनीतिक सौदेबाजी में नहीं पड़ना चाहते।
आम धारणा: हसीना के समर्थक हैं हिंदू
आम धारणा है कि बांग्लादेश में हिंदू पारंपरिक तौर पर अवामी लीग के समर्थक हैं। आवामी लीग धर्म निरपेक्षता की नीति पर चल रही है। देवनाथ ने कहा, 'हमें (हिंदुओं को) राजनीति से दूर रखें। हम शिकार नहीं बनना चाहते।'
रिपोर्टों के मुताबिक विपक्षी कार्यकर्ताओं के डर से पश्चिमोत्तर लालमोनिरहाट और दक्षिणपश्चिमी सतखिरा इलाके में बहुत कम हिंदुओं ने वोट डाले। देश के अल्पसंख्यक डरे हुए हैं।
मतदान के बाद कई इलाकों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों पर हमले की खबरें हैं। हिंदू नेताओं एवं मानवाधिकार संगठनों ने अल्पसंख्यकों के लिए और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों में बताया गया कि बीएनपी और उसकी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं ने पश्चिमी जेसोर, उत्तर पश्चिमी दिनाजपुर और अभयंगर इलाके में हिंदू परिवारों पर हमला किया।
कई अखबारों ने सोमवार को रिपोर्ट में बताया कि चुनावों के बहिष्कार के आह्वान को दरकिनार कर हिंदुओं द्वारा वोट देने पर विपक्षी कार्यकर्ताओं ने यहां 130 हिंदू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की। मालोपाड़ा गांव में 10 हिंदुओं के घरों में आग लगा दी गई।
पुलिस के मुताबिक 70-80 लोगों ने गांवों पर हमला बोला लेकिन अर्द्धसैनिक बल और पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। बीएनपी के कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं को मतदान करने पर गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है।
अफरातफरी फैलने पर सेना के त्वरित बल को हस्तक्षेप करना पड़ा। मेजर रहमान ने रविवार रात कहा, 'हम चुनाव ड्यूटी पर थे। इसके बावजूद गांववालों को बचाने के लिए हमें यहां अस्थायी पुलिस शिविर लगाना पड़ा।'
हिंदू-बौद्ध-क्रिश्चियन ओकिया परिषद के उपाध्यक्ष काजल देवनाथ ने पीटीआई को बताया, 'करीब 400 हिंदुओं को हिंसा की आशंका के चलते अपने घरों को छोड़कर स्थानीय भैरव नदी के दूसरी ओर शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा।'
पश्चिमोत्तर दिनाजपुर के पूर्णिया इलाके में भी हिंदुओं पर हमले हुए। विपक्षी कार्यकर्ताओं ने वोट डालने पर 10 बुजुर्ग हिंदुओं पर जानलेवा हमला किया और घरों में आग लगा दी।
देवनाथ ने हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों के लिए और कड़ी सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी राजनीतिक सौदेबाजी में नहीं पड़ना चाहते।
आम धारणा: हसीना के समर्थक हैं हिंदू
आम धारणा है कि बांग्लादेश में हिंदू पारंपरिक तौर पर अवामी लीग के समर्थक हैं। आवामी लीग धर्म निरपेक्षता की नीति पर चल रही है। देवनाथ ने कहा, 'हमें (हिंदुओं को) राजनीति से दूर रखें। हम शिकार नहीं बनना चाहते।'
रिपोर्टों के मुताबिक विपक्षी कार्यकर्ताओं के डर से पश्चिमोत्तर लालमोनिरहाट और दक्षिणपश्चिमी सतखिरा इलाके में बहुत कम हिंदुओं ने वोट डाले। देश के अल्पसंख्यक डरे हुए हैं।
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