![इस साल कोई नहीं रहेगा 'कुंवारा' 126 marriage day in year 2014](http://img.amarujala.com/2013/11/28/book-themed-marriage-5296e72abb0aa_exl.jpg)
खास-खास
होलाष्टक एवं श्राद्धों में विवाह नहीं
- आठ मार्च से 16 मार्च तक होलाष्टक रहेंगे
- इन दिनों विवाह का कोई मुहूर्त नहीं होता
- 8 सितंबर से 23 सितंबर तक श्राद्ध पक्ष पड़ेगा
- विवाहों के सभी 126 मुहूर्त पूर्णत: शुद्ध हैं।
इस साल खूब शहनाइयां बजेंगी। शायद विवाह का इच्छुक कोई भी शख्स कुंवारा न रहे। छह महीने में ही विवाह के रिकार्डतोड़ 126 मुहूर्त हैं।
मकर संक्रांति के बाद सीजन शुरू
जनवरी से जुलाई तक 112 मुहूर्त पड़ेंगे तथा मई में सर्वाधिक 24 मुहूर्त पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति दस वर्षों के बाद आई है। यह सब हुआ है शुक्र की ग्रहीय स्थिति की वजह से। इन मुहूर्तों के अलावा वर्षा ऋतु में देश के क ई हिस्सों में हरियाले विवाह भी होते हैं। मुहूर्तों के चलते शायद इस वर्ष कुंवारा न रह जाए।
इससे पूर्व वर्ष 2004 में 125 मुहूर्त पड़े थे। वर्ष 1992 में मुहूर्तों की संख्या 140 पहुंच गई थी। 10 साल बाद विशिष्ट मुहूर्तों के अलावा कुछ आंचलिक मुहूर्त भी पड़ेंगे जिनमें देश के कुछ क्षेत्रों में विवाह होते हैं।
मकर संक्रांति के बाद विवाहों का सीजन शुरू हो जाता है। पंचांगों के अनुसार 20 जनवरी से वैवाहिक सीजन की विधिवत शुरुआत होगी। जनवरी में 11, फरवरी में 17, मार्च में 6, अप्रैल में 11, मई में 24, जून में 17, जुलाई में 10, अगस्त में 16 मुहूर्त पड़ रहे हैं।
सितंबर में 10 और दिसंबर में 4 मुहूर्त पड़ रहे हैं। देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक विवाहों पर विराम रहेगा। अलबत्ता, वर्षा ऋतु के हरियाले मौसम में विवाह होंगे, ये विवाह कुछ ही क्षेत्रों में होेते हैं।
पूरे वर्ष वक्री नहीं होगा शुक्र
वर्ष 2014 में शुक्र पूरे वर्ष वक्री न होकर मार्गी बना रहेगा। ऐसा कम ही होता है। यही नहीं, अधिक मुहूर्त होने के पीछे भी शुक्र का ही चमत्कार है। शुक्र 7 जनवरी को अस्त होंगे और 6 दिन बाद 13 जनवरी को पुन: उदित हो जाएंगे।
23 अक्तूबर को शुक्र एक बार फिर से अस्त होकर 27 नवंबर को उदित होंगे। उस समय उनके अस्त होने का इसलिए प्रभाव नहीं पड़ेगा, चूंकि पहले से ही देवशयन चल रहा होगा। शुक्र अस्त न होने के कारण विवाह के मुहूर्त अधिक हो गए हैं।
-डॉ प्रतीक मिश्रपुरी, ज्योतिषाचार्य एवं अध्यक्ष, भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी
मकर संक्रांति के बाद सीजन शुरू
जनवरी से जुलाई तक 112 मुहूर्त पड़ेंगे तथा मई में सर्वाधिक 24 मुहूर्त पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति दस वर्षों के बाद आई है। यह सब हुआ है शुक्र की ग्रहीय स्थिति की वजह से। इन मुहूर्तों के अलावा वर्षा ऋतु में देश के क ई हिस्सों में हरियाले विवाह भी होते हैं। मुहूर्तों के चलते शायद इस वर्ष कुंवारा न रह जाए।
इससे पूर्व वर्ष 2004 में 125 मुहूर्त पड़े थे। वर्ष 1992 में मुहूर्तों की संख्या 140 पहुंच गई थी। 10 साल बाद विशिष्ट मुहूर्तों के अलावा कुछ आंचलिक मुहूर्त भी पड़ेंगे जिनमें देश के कुछ क्षेत्रों में विवाह होते हैं।
मकर संक्रांति के बाद विवाहों का सीजन शुरू हो जाता है। पंचांगों के अनुसार 20 जनवरी से वैवाहिक सीजन की विधिवत शुरुआत होगी। जनवरी में 11, फरवरी में 17, मार्च में 6, अप्रैल में 11, मई में 24, जून में 17, जुलाई में 10, अगस्त में 16 मुहूर्त पड़ रहे हैं।
सितंबर में 10 और दिसंबर में 4 मुहूर्त पड़ रहे हैं। देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक विवाहों पर विराम रहेगा। अलबत्ता, वर्षा ऋतु के हरियाले मौसम में विवाह होंगे, ये विवाह कुछ ही क्षेत्रों में होेते हैं।
पूरे वर्ष वक्री नहीं होगा शुक्र
वर्ष 2014 में शुक्र पूरे वर्ष वक्री न होकर मार्गी बना रहेगा। ऐसा कम ही होता है। यही नहीं, अधिक मुहूर्त होने के पीछे भी शुक्र का ही चमत्कार है। शुक्र 7 जनवरी को अस्त होंगे और 6 दिन बाद 13 जनवरी को पुन: उदित हो जाएंगे।
23 अक्तूबर को शुक्र एक बार फिर से अस्त होकर 27 नवंबर को उदित होंगे। उस समय उनके अस्त होने का इसलिए प्रभाव नहीं पड़ेगा, चूंकि पहले से ही देवशयन चल रहा होगा। शुक्र अस्त न होने के कारण विवाह के मुहूर्त अधिक हो गए हैं।
-डॉ प्रतीक मिश्रपुरी, ज्योतिषाचार्य एवं अध्यक्ष, भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी
No comments:
Post a Comment