Tuesday, January 7, 2014

कुछ सालों में पंजाब हो जाएगा रेगिस्तान!

punjab will turn into desert
यदि पंजाब की कृषि में विविधता न लाई गई तो आने वाले 10-15 सालों में जलस्तर और नीचे चला जाएगा और वहां रेगिस्तान वाली स्थिति पैदा हो जाएगी।

- डॉ. पीजी चेंगप्पा, नेशनल प्रोफेसर, आईसीएआर

पंजाब के किसानों ने यदि धान की खेती का मोह छोड़कर अन्य फसलों की ओर रुख न किया तो अगले 10-15 सालों में पंजाब रेगिस्तान हो जाएगा। ऐसा मानना है इंडियन काउंसिल फार एग्रिकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) के नेशनल प्रोफेसर व यूनिवर्सिटी आफ एग्रिकल्चरल साइंसेज बेंगलूर के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. पीजी चेंगप्पा का।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की ओर से जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे डा. चेंगप्पा ने 'अमर उजाला' से विशेष बातचीत में कहा कि पंजाब का किसान गेहूं की जितनी भी खेती करे, उससे कोई नुकसान नहीं है, लेकिन धान की खेती करने से वहां जल का स्तर नीचे जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि पंजाब की कृषि में विविधता न लाई गई तो आने वाले 10-15 सालों में जलस्तर और नीचे चला जाएगा और वहां रेगिस्तान वाली स्थिति पैदा हो जाएगी।

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इंस्टीट्यूट आफ सोशल एंड इकनॉमिक चेंज के प्रमुख डॉ. चेंगप्पा ने कहा कि पंजाब में लगातार जलस्तर के गिरते ग्राफ पर रिसर्च करने पर यह बात सामने आई है कि हर साल पंजाब में 3-5 फुट पानी नीचे जा रहा है। धान की खेती से पंजाब के किसानों को फायदा तो हो रहा है, लेकिन उसके कारण जलस्तर तेजी से गिर रहा है।

उन्होंने कहा कि 10-15 साल बाद जब जलस्तर और गहरा जाएगा तो उस समय अन्य फसलों का उत्पादन करना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि पंजाब के किसानों के पास विविधता नहीं है। दक्षिण भारत के राज्यों की तर्ज पर वे भी सब्जी, फल, दुग्ध उत्पादों और मछली पालन जैसे पेशे अपनाकर गिरते जलस्तर को रोक सकते हैं। पंजाब सरकार को भी इसे गंभीरता से लेना होगा। सरकार के प्रयासों से ही किसानों को कृषि क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

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डॉ. चेंगप्पा कहते हैं कि यदि आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पंजाब में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में वर्ष 2012-13 में भारी गिरावट आई है। पंजाब की वर्ष 2011-12 में 2.14 फीसदी की ग्रोथ वर्ष 2012-13 में -0.35 फीसदी पहुंच गई। यही हाल रहा तो देश में हरित क्रांति लाने में अहम भूमिका अदा करने वाले पंजाब को आने वाले समय में जल की भारी समस्या से गुजरना होगा।

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