
महिला राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को लेकर भारत और अमेरिका के बीच खींचतान जारी है। अमेरिका ने देवयानी को जी-1 वीजा देकर मामूली राहत तो दी, लेकिन साथ ही देश छोड़ने का निर्देश दे दिया।
इससे नाराज भारत ने भी तुरंत पलटवार करते हुए यहां अमेरिकी दूतावास में कार्यरत राजनयिक को वापस लौटने का आदेश दे दिया है। साथ ही भारत ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में कुछ और कड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं।
माना जा रहा है कि देवयानी के समकक्ष ओहदे वाला यह वही राजनयिक है, जिसने बीते दिनों देवयानी की नौकरानी संगीता रिचर्ड के पति और बच्चों को अमेरिका भेजने में मदद की थी।
अमेरिका ने जी1 वीजा देने से पहले भारत से देवयानी को मिला राजनयिक का दर्जा वापस लेने की मांग की थी। हालांकि देवयानी खोबरागड़े देर रात भारत लौट आईं।
देवयानी: न केस वापस लेगा, न माफी मांगेगा अमेरिका
उइस मांग को सिरे से खारिज कर दिए जाने के बाद अमेरिका ने देवयानी को जी1 वीजा देने के साथ ही देश छोड़ने का निर्देश दिया था। अमेरिका ने देवयानी पर लगे आरोपों को वापस लेने से साफ इनकार कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने देवयानी को पूछताछ और 13 जनवरी की पहली अदालती पेशी से बचाने के लिए अमेरिका के सामने जी1 वीजा देने का प्रस्ताव रखा था।
भारी दबाव के बाद अमेरिका ने भारत की इस मांग को तो स्वीकार कर लिया, मगर इसके साथ ही मुकदमा जारी रहने की घोषणा के साथ देवयानी को देश छोड़ने का निर्देश दे दिया।
भारत की योजना अब अमेरिकी राजनयिकों को श्रम कानूनों के उल्लंघन के मामले में घेरने की है। भारत पहले ही अमेरिकी राजनयिकों की सुविधाओं में भारी कटौती के साथ ही दूतावास में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगा चुका है।
अमेरिकी दूतावास की गाड़ियों का चालान काटा
ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर पिछले दो दिनों में अमेरिकी दूतावास की 10 गाड़ियों के चालान काटे जा चुके हैं।
विदेश मंत्रालय ने दो दिन पहले दिल्ली पुलिस को एक पत्र भेजकर कहा था कि 77 सीडी (इस नंबर की गाड़ियां अमेरिकी दूतावास की होती हैं) की गाड़ियों को लेकर कोई रियायत नहीं बरती जाए।
पांच चालान गाड़ियों के शीशे तय सीमा से ज्यादा काले होने, चार चालान अवैध पार्किंग और एक चालान ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर पार्किंग करने पर किया गया है।
भारत से मजबूत संबंध के पक्ष में ओबामा
मौजूदा विवाद के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को यकीन है कि दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत रहेंगे। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक यह एक बेहद अहम संबंध है और इसके कई आयाम हैं।
राष्ट्रपति का मानना है कि हमें इस संबंध को मजबूत बनाने के लिए आगे भी काम करना चाहिए। राष्ट्रपति ओबामा ने अपने पहले कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों पर काफी काम किया और वह आगे भी ऐसा करते रहेंगे।
वापस भेजने का दूसरा मामला
यह दूसरा ऐसा मौका है, जब भारत ने अमेरिका को जवाब देते हुए किसी अमेरिकी राजनयिक को निकाला है। 33 साल पहले अमेरिका ने भारतीय राजनयिक प्रभाकर मेनन को वापस भेजा था। इसके जवाब में भारत ने तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार जॉर्ज ग्रिफिन को वापस जाने का आदेश दिया था।
अमेरिकी अदालत ने तय किए आरोप
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के खिलाफ न्यूयॉर्क की ग्रैंड ज्यूरी ने वीजा फ्रॉड और झूठा बयान देने के आरोप तय किए हैं और भारत लौटने के बाद भी उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलता रहेगा। अगर देवयानी राजनयिक छूट के बिना अमेरिका लौटतीं हैं, तो उन्हें कोर्ट में आरोपों का सामना करना पड़ेगा।
आरोप झूठे और निराधार: देवयानी
देवयानी ने अमेरिकी अदालत द्वारा लगाए गए आरोपों को झूठा और निराधार बताया। भारत के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि सभी आरोप झूठे और निराधार हैं और उम्मीद है कि सभी आरोप गलत साबित होंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इसका प्रभाव अमेरिका में ही रह रहे उनके बच्चों पर नहीं पड़ेगा।
भारत को मिली है पराजय: भाजपा
भाजपा का मानना है कि देवयानी को वापस बुलाना हमारी पराजय है, विजय नहीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि यहां हमारी पराजय हुई है क्योंकि अमेरिका ने फैसला किया है कि भारतीय राजनयिक के खिलाफ मामला बना रहेगा। इससे साफ है कि भारत के तर्कों का अमेरिका पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
संवेदनशील मुद्दों से निपटने में दोनों देश सक्षम: शर्मा
केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा का कहना है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच आपसी समझ काफी अच्छी है। उन्होंने कहा, 'दोनों देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और इस तरह के मामले को संभालने के लिए आपसी समझ है।'
इससे नाराज भारत ने भी तुरंत पलटवार करते हुए यहां अमेरिकी दूतावास में कार्यरत राजनयिक को वापस लौटने का आदेश दे दिया है। साथ ही भारत ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में कुछ और कड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं।
माना जा रहा है कि देवयानी के समकक्ष ओहदे वाला यह वही राजनयिक है, जिसने बीते दिनों देवयानी की नौकरानी संगीता रिचर्ड के पति और बच्चों को अमेरिका भेजने में मदद की थी।
अमेरिका ने जी1 वीजा देने से पहले भारत से देवयानी को मिला राजनयिक का दर्जा वापस लेने की मांग की थी। हालांकि देवयानी खोबरागड़े देर रात भारत लौट आईं।
देवयानी: न केस वापस लेगा, न माफी मांगेगा अमेरिका
उइस मांग को सिरे से खारिज कर दिए जाने के बाद अमेरिका ने देवयानी को जी1 वीजा देने के साथ ही देश छोड़ने का निर्देश दिया था। अमेरिका ने देवयानी पर लगे आरोपों को वापस लेने से साफ इनकार कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने देवयानी को पूछताछ और 13 जनवरी की पहली अदालती पेशी से बचाने के लिए अमेरिका के सामने जी1 वीजा देने का प्रस्ताव रखा था।
भारी दबाव के बाद अमेरिका ने भारत की इस मांग को तो स्वीकार कर लिया, मगर इसके साथ ही मुकदमा जारी रहने की घोषणा के साथ देवयानी को देश छोड़ने का निर्देश दे दिया।
भारत की योजना अब अमेरिकी राजनयिकों को श्रम कानूनों के उल्लंघन के मामले में घेरने की है। भारत पहले ही अमेरिकी राजनयिकों की सुविधाओं में भारी कटौती के साथ ही दूतावास में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगा चुका है।
अमेरिकी दूतावास की गाड़ियों का चालान काटा
ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर पिछले दो दिनों में अमेरिकी दूतावास की 10 गाड़ियों के चालान काटे जा चुके हैं।
विदेश मंत्रालय ने दो दिन पहले दिल्ली पुलिस को एक पत्र भेजकर कहा था कि 77 सीडी (इस नंबर की गाड़ियां अमेरिकी दूतावास की होती हैं) की गाड़ियों को लेकर कोई रियायत नहीं बरती जाए।
पांच चालान गाड़ियों के शीशे तय सीमा से ज्यादा काले होने, चार चालान अवैध पार्किंग और एक चालान ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर पार्किंग करने पर किया गया है।
भारत से मजबूत संबंध के पक्ष में ओबामा
मौजूदा विवाद के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को यकीन है कि दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत रहेंगे। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक यह एक बेहद अहम संबंध है और इसके कई आयाम हैं।
राष्ट्रपति का मानना है कि हमें इस संबंध को मजबूत बनाने के लिए आगे भी काम करना चाहिए। राष्ट्रपति ओबामा ने अपने पहले कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों पर काफी काम किया और वह आगे भी ऐसा करते रहेंगे।
वापस भेजने का दूसरा मामला
यह दूसरा ऐसा मौका है, जब भारत ने अमेरिका को जवाब देते हुए किसी अमेरिकी राजनयिक को निकाला है। 33 साल पहले अमेरिका ने भारतीय राजनयिक प्रभाकर मेनन को वापस भेजा था। इसके जवाब में भारत ने तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार जॉर्ज ग्रिफिन को वापस जाने का आदेश दिया था।
अमेरिकी अदालत ने तय किए आरोप
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के खिलाफ न्यूयॉर्क की ग्रैंड ज्यूरी ने वीजा फ्रॉड और झूठा बयान देने के आरोप तय किए हैं और भारत लौटने के बाद भी उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलता रहेगा। अगर देवयानी राजनयिक छूट के बिना अमेरिका लौटतीं हैं, तो उन्हें कोर्ट में आरोपों का सामना करना पड़ेगा।
आरोप झूठे और निराधार: देवयानी
देवयानी ने अमेरिकी अदालत द्वारा लगाए गए आरोपों को झूठा और निराधार बताया। भारत के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि सभी आरोप झूठे और निराधार हैं और उम्मीद है कि सभी आरोप गलत साबित होंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इसका प्रभाव अमेरिका में ही रह रहे उनके बच्चों पर नहीं पड़ेगा।
भारत को मिली है पराजय: भाजपा
भाजपा का मानना है कि देवयानी को वापस बुलाना हमारी पराजय है, विजय नहीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि यहां हमारी पराजय हुई है क्योंकि अमेरिका ने फैसला किया है कि भारतीय राजनयिक के खिलाफ मामला बना रहेगा। इससे साफ है कि भारत के तर्कों का अमेरिका पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
संवेदनशील मुद्दों से निपटने में दोनों देश सक्षम: शर्मा
केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा का कहना है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच आपसी समझ काफी अच्छी है। उन्होंने कहा, 'दोनों देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और इस तरह के मामले को संभालने के लिए आपसी समझ है।'
No comments:
Post a Comment