Saturday, January 11, 2014

EXCLUSIVE: यूपी पुलिस का कारनामा

up police act exposed
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 29 मई 2013 को कचहरी में हुए होशियार हत्याकांड में रोचक मोड़ आ गया है। अलीगढ़ पुलिस की मनमर्जी की इससे बेहतर बानगी नहीं मिलेगी। पुलिस ने होशियार के दिनदहाड़े हुए कत्ल में जिन लोगों को मौके पर नामजद बता कर हथियार सहित गिरफ्तार कर जेल भेजा है। दरअसल, वह उस दिन भरतपुर जेल में बंद थे।

होशियार को पेशी में लाने के दौरान मार दिया गया था। इस मामले में सात लोग नामजद हुए थे, इन नामजदों में प्रमुख रूप से अविनाश निवासी बसौली गोंडा और छेत्रपाल निवासी बजौता टप्पल हैं।

इन्हीं दोनों के पास से नाइन एमएम पिस्टल बरामद होना बताया था, बकौल पुलिस हत्या में इसी हथियार का प्रयोग हुआ था। बाकी पांच आरोपियों के साथ यह दोनों भी वर्तमान में अलीगढ़ जेल में हैं। इस मामले की सुनवाई एडीजे अष्टम की कोर्ट में चल रही है।

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अब अविनाश और छेत्रपाल ने अदालत में अपनी जमानत की अपील की है। इन दोनों ने बताया है कि घटना के एकदिन पहले 28 मई को वह राजस्थान के भरतपुर स्थित भुसावर में आबकारी अधिनियम के तहत पकड़े गए थे। जहां से चालान होने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। 31 मई को जूडिशियल मजिस्ट्रेट बैर की कोर्ट से उन्हें जमानत मिली।

इस दौरान 28, 29 ,30 और 31 मई को वह भरतपुर जेल में रहे। जब वह दोनों जेल में थे तो फिर होशियार हत्याकांड में कैसे शामिल हो सकते हैं। दोनों आरोपियों ने अपनी इस दलील के साथ भरतपुर और बैर अदालत के दस्तावेज भी पेश किए हैं। अदालत भी दोनों आरोपियों की दलीलों को गंभीरता से ले रही है।

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अब पुलिस को इन दस्तावेजों की जांच सौंपी गई है। 13 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई होगी। कोर्ट अब तत्कालीन विवेचक सिविल लाइन इंस्पेक्टर को भी तलब कर सकती है।

क्या था मामला?
बसपा से जिला पंचायत का चुनाव लड़ने वाले बजौता निवासी मुकेश की हत्या के बदले में कचहरी में होशियार की हत्या हुई थी। अविनाश रिश्ते में मुकेश का सगा साला है और छेत्रपाल मुकेश के सगे बड़े भाई हैं।

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