प्याज जैसी सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों पर अंकुश लगाने के आग्रह पर उस समय पानी फिर गया जब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कीमतों पर नियंत्रण के लिए कुछ महीनों के लिए प्याज नहीं खाने का सुझाव दिया।
सर्वोच्च अदालत ने यह सुझाव जनहित याचिका दायर करने वाले उस वकील को दिया, जिसने प्याज की कीमतों पर नियंत्रण की मांग की थी।
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता विष्णु प्रताप सिंह की दलीलें सुनने के बाद जनहित याचिका खारिज कर दी।
अधिवक्ता का कहना था कि केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश लगाने में विफल रही है। पीठ ने याचिका खारिज करते हुए अधिवक्ता से कहा कि आप दो महीने के लिए प्याज खाना बंद कर दें तो इसकी कीमतें नियंत्रित हो जाएंगी।
अदालत ने इस तरह की याचिका पर विचार से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे मामले दायर करके सर्वोच्च अदालत का काम न बढ़ाया जाए।
याचिकाकर्ता का कहना था कि अनेक वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश लगाने में सरकार की विफलता समाज के गरीब और कमजोर तबके को उचित मूल्य पर खाद्य सामग्री मुहैया कराने और जीने के अधिकार से वंचित कर रही है।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु कानून, 1955 लागू करने में पूरी तरह विफल हुई है।
इसी वजह से प्याज, आलू और टमाटर जैसी बुनियादी सब्जियों की कीमतों में व्यापारी और कालाबाजारी करने वाले निरंतर बढ़ोतरी कर रहे हैं। हालांकि अदालत याचिकाकर्ता की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने याचिका खारिज कर दी।
सर्वोच्च अदालत ने यह सुझाव जनहित याचिका दायर करने वाले उस वकील को दिया, जिसने प्याज की कीमतों पर नियंत्रण की मांग की थी।
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता विष्णु प्रताप सिंह की दलीलें सुनने के बाद जनहित याचिका खारिज कर दी।
अधिवक्ता का कहना था कि केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश लगाने में विफल रही है। पीठ ने याचिका खारिज करते हुए अधिवक्ता से कहा कि आप दो महीने के लिए प्याज खाना बंद कर दें तो इसकी कीमतें नियंत्रित हो जाएंगी।
अदालत ने इस तरह की याचिका पर विचार से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे मामले दायर करके सर्वोच्च अदालत का काम न बढ़ाया जाए।
याचिकाकर्ता का कहना था कि अनेक वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश लगाने में सरकार की विफलता समाज के गरीब और कमजोर तबके को उचित मूल्य पर खाद्य सामग्री मुहैया कराने और जीने के अधिकार से वंचित कर रही है।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु कानून, 1955 लागू करने में पूरी तरह विफल हुई है।
इसी वजह से प्याज, आलू और टमाटर जैसी बुनियादी सब्जियों की कीमतों में व्यापारी और कालाबाजारी करने वाले निरंतर बढ़ोतरी कर रहे हैं। हालांकि अदालत याचिकाकर्ता की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने याचिका खारिज कर दी।
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