Saturday, January 4, 2014

यूपी सरकार को SC से मिली बड़ी राहत

akhilesh government got relief from supreme court
उत्तर प्रदेश पुलिस में चालीस हजार से ज्यादा कर्मियों की भर्ती में पिछड़ी जातियों के लिए मौजूदा आरक्षण लागू न करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रोक लगा दी।

साथ ही प्रतिपक्षों को नोटिस जारी करते हुए इस मसले पर हाईकोर्ट की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने गत वर्ष 3 अक्तूबर को आदेश जारी कर आरक्षण पर रोक लगा दी थी।

और यह कहा था कि आरक्षण का लाभ हासिल करने वाली जातियों की कुल जनसंख्या की आधी आबादी को यदि नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व मिल गया है तो उन्हें कोटे का फायदा नहीं दिया जाएगा।

जस्टिस एसएस निज्जर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यूपी सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश और कार्यवाही पर रोक लगा दी।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अहमद एस अजहर ने कहा कि जातिगत और सामाजिक-आर्थिक आंकड़े 1931 के बाद से एकत्रित नहीं किए गए। सिर्फ केंद्र सरकार को ही जातिगत जनगणना का अधिकार है।

केंद्र ने जून 2011 में जाति पर आधारित जनगणना का आदेश दिया था। राज्य सरकार का ग्रामीण विकास विभाग केंद्र के निर्देशानुसार जातिगत व सामाजिक-आर्थिक आंकड़े जुटा रही है।

इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है। ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा था कि पिछड़ी जातियों का समुचित प्रतिनिधित्व होने पर उन्हें आरक्षण का लाभ बंद करना उचित है।

हाईकोर्ट ने कहा था कि उन जातियों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता जिनका सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व हो चुका है।

अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिए पुलिस भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण को चुनौती दी गई।

आरक्षण का प्रावधान उत्तर प्रदेश सार्वजनिक सेवा (एससी, एसटी और ओबीसी) अधिनियम, 1994 के तहत दिया जाता है। लेकिन हाईकोर्ट में इन प्रावधानों को चुनौती नहीं दी गई।

राज्य में ओबीसी को 1977 में 15 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया था। लेकिन केंद्र की ओर से मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने के बाद यूपी में 1993 में ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया गया था।

राज्य सरकार ने गतवर्ष जून में 40 हजार से अधिक कर्मियों की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। 35 हजार पद सिविल पुलिस के, 4033 पीएसी जवानों के लिए व 2077 दमकल कर्मियों के लिए हैं।

27 प्रतिशत आरक्षण के तहत सिविल पुलिस के 9585, पीएसी के 1089 तथा दमकल कर्मियों के 561 पद ओबीसी के लिए आरक्षित हैं।

हाईकोर्ट ने सुमित कुमार शुक्ला व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया था। प्रदेश सरकार ने कहा कि 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में 54 फीसदी आबादी ओबीसी है।

लेकिन यह आंकड़ा 1931 के आंकड़ों के आधार पर तय किया गया है। सही आंकड़ा मौजूदा जनगणना समाप्त होने के बाद ही पता चलेंगे।

हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 16(4) का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी नौकरियों में समुचित प्रतिनिधित्व आधी आबादी की भागीदारी से माना जा सकता है।

यदि किसी जाति की कुल आबादी का 50 फीसदी सरकारी नौकरियों में है तो यह माना जाएगा कि उस जाति का समुचित प्रतिनिधित्व है।

हाईकोर्ट का मत था कि समुचित प्रतिनिधित्व के बाद भी आरक्षण लागू करना असंवैधानिक है।

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