
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को कांग्रेस हाईकमान की ओर से अभी क्लीन चिट नहीं मिली है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मामले में पार्टी में विचार विमर्श जारी रहने का संकेत दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अभी इस पर विचार करने का समय नहीं मिला है।
शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री ने अरुण जेटली के उस पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें वीरभद्र के खिलाफ जांच की मांग की गई थी।
बतौर इस्पात मंत्री एक निजी इस्पात कंपनी से कथित तौर पर दो करोड़ रुपये लेने सहित भ्रष्टाचार के दो अन्य मामलों के आरोपों के बाद वीरभद्र मुश्किल में हैं।
बीते दिनों सीबीआई ने वीरभद्र से पूछताछ का संकेत दिया था तो दूसरी ओर इन मामलों में सफाई देने दिल्ली पहुंचे वीरभद्र को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बदले पार्टी महासचिव अंबिका सोनी को सफाई देनी पड़ी थी।
माना जा रहा है कि पूरे मामले में अंतिम फैसला न होने के कारण ही सोनिया ने वीरभद्र से मिलने से परहेज किया था।
इन परिस्थितियों को देखते हुए वीरभद्र की मुख्यमंत्री की कुर्सी से खतरा फिलहाल टला नहीं है। कांग्रेस आलाकमान के बाद प्रधानमंत्री ने भी इस ओर इशारा किया है।
वीरभद्र से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जब प्रधानमंत्री से पूछा गया तो उन्होंने इस संबंध में जांच की अनुमति देने के लिए जेटली का पत्र मिलने की पुष्टि की।
उन्होंने कहा कि जेटली ने इस संदर्भ में उन्हें बीते 29 दिसंबर को पत्र लिखा है। इस बीच उन्होंने अखबारों में इस मामले की रिपोर्ट देखी है। हालांकि प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस मामले में विचार करने का समय नहीं मिला है।
बीते दिनों जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस में वीरभद्र से संबंधित भ्रष्टाचार के तीन मामले उठाए थे। इसके बाद जहां हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा में ठन गई है, वहीं कांग्रेस आलाकमान फिलहाल पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आरोपों के संदर्भ में पार्टी में फिलहाल मंथन जारी है। इस संबंध में कानूनी राय भी ली जा रही है। यही कारण है कि जब बीते दिनों इस मामले में वीरभद्र सफाई देने आए तो सोनिया ने उनसे दूरी बना ली।
वीरभद्र को पार्टी महासचिव अंबिका सोनी से मुलाकात कर अपना पक्ष रखना पड़ा। वीरभद्र के मामले पर पीएम के जवाब नहीं देने की आलोचना करते हुए भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में पीएम की स्मृतियों का क्षरण हो रहा है।
वहीं वीरभद्र के चुनाव में कथित गलत शपथ पत्र देने के दूसरे मामले में कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने उनका बचाव करते हुए कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार हिमाचल के मुख्यमंत्री ने सभी दस्तावेज सही दिए हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मामले में पार्टी में विचार विमर्श जारी रहने का संकेत दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अभी इस पर विचार करने का समय नहीं मिला है।
शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री ने अरुण जेटली के उस पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें वीरभद्र के खिलाफ जांच की मांग की गई थी।
बतौर इस्पात मंत्री एक निजी इस्पात कंपनी से कथित तौर पर दो करोड़ रुपये लेने सहित भ्रष्टाचार के दो अन्य मामलों के आरोपों के बाद वीरभद्र मुश्किल में हैं।
बीते दिनों सीबीआई ने वीरभद्र से पूछताछ का संकेत दिया था तो दूसरी ओर इन मामलों में सफाई देने दिल्ली पहुंचे वीरभद्र को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बदले पार्टी महासचिव अंबिका सोनी को सफाई देनी पड़ी थी।
माना जा रहा है कि पूरे मामले में अंतिम फैसला न होने के कारण ही सोनिया ने वीरभद्र से मिलने से परहेज किया था।
इन परिस्थितियों को देखते हुए वीरभद्र की मुख्यमंत्री की कुर्सी से खतरा फिलहाल टला नहीं है। कांग्रेस आलाकमान के बाद प्रधानमंत्री ने भी इस ओर इशारा किया है।
वीरभद्र से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जब प्रधानमंत्री से पूछा गया तो उन्होंने इस संबंध में जांच की अनुमति देने के लिए जेटली का पत्र मिलने की पुष्टि की।
उन्होंने कहा कि जेटली ने इस संदर्भ में उन्हें बीते 29 दिसंबर को पत्र लिखा है। इस बीच उन्होंने अखबारों में इस मामले की रिपोर्ट देखी है। हालांकि प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस मामले में विचार करने का समय नहीं मिला है।
बीते दिनों जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस में वीरभद्र से संबंधित भ्रष्टाचार के तीन मामले उठाए थे। इसके बाद जहां हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा में ठन गई है, वहीं कांग्रेस आलाकमान फिलहाल पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आरोपों के संदर्भ में पार्टी में फिलहाल मंथन जारी है। इस संबंध में कानूनी राय भी ली जा रही है। यही कारण है कि जब बीते दिनों इस मामले में वीरभद्र सफाई देने आए तो सोनिया ने उनसे दूरी बना ली।
वीरभद्र को पार्टी महासचिव अंबिका सोनी से मुलाकात कर अपना पक्ष रखना पड़ा। वीरभद्र के मामले पर पीएम के जवाब नहीं देने की आलोचना करते हुए भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में पीएम की स्मृतियों का क्षरण हो रहा है।
वहीं वीरभद्र के चुनाव में कथित गलत शपथ पत्र देने के दूसरे मामले में कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने उनका बचाव करते हुए कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार हिमाचल के मुख्यमंत्री ने सभी दस्तावेज सही दिए हैं।
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