Saturday, January 4, 2014

खाप पंचायतों से नहीं डरी, कर ली अंतरजातीय शादी

beti hi bachayegi in dehradun
किसी महिला के खिलाफ हिंसा या अत्याचार की जानकारी पर वह साइकिल से ही निकल पड़ती हैं। पीड़िता की सहायता तब तक करती हैं जब तक उसे न्याय न मिल जाए। दूसरों की मदद और विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानना उनकी बचपन से आदत रही है।

कॉलेज में एक सहेली को कुछ लड़कों ने छेड़ा तो उसकी पिटाई कर दी। वह ऐसे प्रदेश की हैं जहां अंतरजातीय विवाह पर कत्ल हो जाते हैं लेकिन उन्होंने इसे भी कर दिखाया।

मदद करने में सबसे आगे
आज वह न केवल अपने सास-सासुर का सहारा हैं बल्कि पिता की बीमारी में उन्हें हमेशा उचित सलाह देती रहती हैं। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद करने में सबसे आगे रहती हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी (आप) की प्रदेश सह-संयोजक आशा कपूर देहरादून की डिफेंस कालोनी में रहती हैं। वह मूल रूप से हरियाणा के झज्झर जिले के गांव गोछी की रहने वाली हैं। उनके पिता सूरजभान अहलावत जमींदार हैं।

भाई-बहनों की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया
जब वह आठ साल थीं तो उनकी मां का निधन हो गया। बचपन में मिले इस सदमे को उन्होंने पूरी शिद्दत से पार पाया। अपने छोटे तीन भाई-बहनों की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।

उन्हें इस तरह पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया कि मां की अनुपस्थिति खलने नहीं दी। भाई-बहनों को उन्होंने हमेशा निडर रहने और मुकाम हासिल करने की शिक्षा दी।

घर की जिम्मेदारियों की वजह से वह उम्र से पहले ही समझदार हो गईं तो पंचायतों ने उनके पिता पर शादी का दबाव डाला। इस पर उन्होंने साफ कह दिया कि पहले पढ़ाई।

उनके पिता ने इसका समर्थन किया। आशा बताती हैं कि मैं अपने गांव की पहली लड़की थी जिसने एप्लाइड साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

बहू की तारीफ करते नहीं थकते
अंतरजातीय विवाह की बात सुनकर खाप पंचायतें उनके पिता से नाराज हो गईं। इस पर उनके पिता ने उन्हें निडर रहने की सलाह दी। पिता से मिले हौसले की वजह से उन्होंने दून निवासी अरविंद कपूर से शादी की। उनके ससुर रिटायर्ड कर्नल आरएन कपूर को उन पर नाज है। वह बहू की तारीफ करते नहीं थकते।

शादी के बाद आशा दून आईं तो महिलाओं का दर्द समझने के लिए आठ साल तक पहाड़ में रहकर काम किया। दस-दस रुपये से महिलाओं के बैंक खाते खुलवाए।

परिवार नियोजन (फैमिली प्लानिंग) के बारे में बताया। इन कार्यों की वजह से वर्ष 1996 में टाटा हाउस ने उन्हें सोशल एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित किया। आशा के देविका (17) और सूर्यांश (11) नामक दो बच्चे हैं।

वह कहती हैं कि मेरी बेटी मुझे पूरा सपोर्ट करती है। आशा बताती हैं कि मेरी बेटी मेरी सास की तरह कहती है कि अपनी एनर्जी को घर में बर्बाद मत करना।

दूसरों की मदद करती रहना। हालांकि मेरी सास अब दुनिया में नहीं हैं लेकिन वह हमेशा कहती थीं कि तू मेरा बेटा है। तुम तो वह काम भी कर लेती हो जो अरविंद के वश का नहीं होता।

कॉलेज की दबंग थी
घर में कार होते हुए आशा महिलाओं की मदद के लिए साइकिल से ही निकलती हैं। आशा ने बताया कि उन्हें साइकिलिंग का इतना शौक रहा है कि कॉलेज में तीन साल इसकी चैंपियन रही।

कई बार वह बाइक से भी कॉलेज जाती थीं। टेनिस, गोल्फ और हाकी की भी खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने हर उस काम को करने का प्रयास किया है और किया जिसमें पुरुषों का वर्चस्व रहा है। वह बताती हैं कि कॉलेज में उनकी दबंग की छवि थी।

आप की प्रदेश सह-संयोजक
आशा आम आदमी पार्टी (आप) की प्रदेश सह-संयोजक हैं। आशा बताती हैं कि 25 जनवरी 2013 को जब अरविंद केजरीवाल दून आए तो उन्होंने कार्यकारिणी का गठन किया।

इस दौरान वह पार्टी की उत्तराखंड सह-संयोजक बनी थीं। आशा ने बताया कि कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से 1986 में जब वह बीएससी कर रही थीं तब केजरीवाल उसी कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहे थे।

केजरीवाल न सिर्फ उनके जूनियर हैं बल्कि उनसे एक साल छोटे भी। आशा कहती हैं कि मेरे विचार केजरीवाल से काफी मिलते हैं। हम दोनों समाज से भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते हैं।

अन्य अपटेड लगातार हासिल करने के लिए अमर उजाला फेसबुक पेज ज्वाइन करें.


No comments:

Post a Comment