सोशल साइट समेत इंटरनेट के किसी भी कम्यूनिकेशन फोरम पर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल अब सरकार की निगाह में होगा। ट्वीट, स्टेटस अपडेट, ई-मेल या ब्लॉग पर 'अटैक' 'बम' 'ब्लास्ट' या 'किल' जैसे शब्द सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी के दायरे में आ सकते हैं।
सरकार अब इस तरह के दुर्भावनापूर्ण मैसेज को खोज निकालने के लिए 'नेत्र' नाम का इंटरनेट स्पाई सिस्टम लाने जा रही है। इससे इंटरनेट पर किसी भी साजिश को अंजाम देने वालों के इरादे नाकाम हो जाएंगे।
गृह मंत्रालय इंटरनेट पर जासूसी के लिए बनाए गए सिस्टम 'नेत्र' को अंतिम रूप देने में लगा है। अब सभी सिक्यूरिटी एजेंसियां किसी भी संदिग्ध मैसेज को पकड़ने के लिए इस सिस्टम का इस्तेमाल कर सकेंगी। एजेंसियां स्काइप या गूगल टॉक जैसे किसी भी सॉफ्टवेयर से गुजरने वाली संदिग्ध आवाजों को इसी के जरिये पकड़ेगी।
पढ़ें, बिना इंटरनेट के फेसबुक और ट्विटर का मजा उठाएं
साथ ही इससे ट्विट, स्टेटस अ़पडेट, ई-मेल, त्वरित मैसेज ट्रांस्क्रिप्टों, इंटरनेट कॉल, ब्लॉग और अन्य सोशल मीडिया फोरम पर लिखे शब्दों पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
इंटरनेट स्पाई सिस्टम 'नेत्र' को सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) की ओर से विकसित किया गया है। यह लेबोरेट्री रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के तहत काम करती है। एक अंतर मंत्रालय समूह ने हाल ही में 'नेत्र' सिस्टम को लागू करने की रणनीति पर चर्चा की।
समूह ने इंटेलिजेंस ब्यूरो, कैबिनेट सचिवालय समेत तीन सुरक्षा एजेंसियों के लिए 300 गीगाबाइट की स्टोरेज क्षमता की सिफारिश की है ताकि जरूरत पड़ने पर इंटरनेट ट्रैफिक पकड़ा जा सके। बाकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अतिरिक्त 100 गीगाबाइट की मांग की गई।
नया पहरुआ
नए जासूसी सिस्टम के तहत स्काइप या गूगल टॉक जैसे सॉफ्टवेयर पर आपत्तिजनक आवाजों को पकड़ने का काम करेगा 'नेत्र'। यह फेसबुक, ट्विटर,, ब्लॉग या ई-मेल पर अटैक, बम, ब्लास्ट या किल जैसे शब्दों को पकड़ कर सुरक्षा एजेंसियों के लिए अहम टूल की भूमिका निभाएगा।
खतरनाक इरादों पर नकेल
अंतर मंत्रालय समूह ने कंप्यूटर सुरक्षा में सेंध, ट्रैक सिस्टम की कमजोरी और प्रभावी आईटी सिक्यूरिटी पर विचार-विमर्श कर सुरक्षा बंदोबस्त को मजबूती देने का इरादा जताया है।
नेत्र के काम करने के साथ ही सुरक्षा एजेंसियां इंटरनेट पर संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रख सकेगी। इससे वे इंटरनेट के जरिये किसी भी साजिश को अंजाम देने की कोशिश नहीं कर पाएंगे।�
सरकार अब इस तरह के दुर्भावनापूर्ण मैसेज को खोज निकालने के लिए 'नेत्र' नाम का इंटरनेट स्पाई सिस्टम लाने जा रही है। इससे इंटरनेट पर किसी भी साजिश को अंजाम देने वालों के इरादे नाकाम हो जाएंगे।
गृह मंत्रालय इंटरनेट पर जासूसी के लिए बनाए गए सिस्टम 'नेत्र' को अंतिम रूप देने में लगा है। अब सभी सिक्यूरिटी एजेंसियां किसी भी संदिग्ध मैसेज को पकड़ने के लिए इस सिस्टम का इस्तेमाल कर सकेंगी। एजेंसियां स्काइप या गूगल टॉक जैसे किसी भी सॉफ्टवेयर से गुजरने वाली संदिग्ध आवाजों को इसी के जरिये पकड़ेगी।
पढ़ें, बिना इंटरनेट के फेसबुक और ट्विटर का मजा उठाएं
साथ ही इससे ट्विट, स्टेटस अ़पडेट, ई-मेल, त्वरित मैसेज ट्रांस्क्रिप्टों, इंटरनेट कॉल, ब्लॉग और अन्य सोशल मीडिया फोरम पर लिखे शब्दों पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
इंटरनेट स्पाई सिस्टम 'नेत्र' को सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) की ओर से विकसित किया गया है। यह लेबोरेट्री रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के तहत काम करती है। एक अंतर मंत्रालय समूह ने हाल ही में 'नेत्र' सिस्टम को लागू करने की रणनीति पर चर्चा की।
समूह ने इंटेलिजेंस ब्यूरो, कैबिनेट सचिवालय समेत तीन सुरक्षा एजेंसियों के लिए 300 गीगाबाइट की स्टोरेज क्षमता की सिफारिश की है ताकि जरूरत पड़ने पर इंटरनेट ट्रैफिक पकड़ा जा सके। बाकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अतिरिक्त 100 गीगाबाइट की मांग की गई।
नया पहरुआ
नए जासूसी सिस्टम के तहत स्काइप या गूगल टॉक जैसे सॉफ्टवेयर पर आपत्तिजनक आवाजों को पकड़ने का काम करेगा 'नेत्र'। यह फेसबुक, ट्विटर,, ब्लॉग या ई-मेल पर अटैक, बम, ब्लास्ट या किल जैसे शब्दों को पकड़ कर सुरक्षा एजेंसियों के लिए अहम टूल की भूमिका निभाएगा।
खतरनाक इरादों पर नकेल
अंतर मंत्रालय समूह ने कंप्यूटर सुरक्षा में सेंध, ट्रैक सिस्टम की कमजोरी और प्रभावी आईटी सिक्यूरिटी पर विचार-विमर्श कर सुरक्षा बंदोबस्त को मजबूती देने का इरादा जताया है।
नेत्र के काम करने के साथ ही सुरक्षा एजेंसियां इंटरनेट पर संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रख सकेगी। इससे वे इंटरनेट के जरिये किसी भी साजिश को अंजाम देने की कोशिश नहीं कर पाएंगे।�
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