विवाह से पहले सेक्स अनैतिक और यह हर धर्म के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। विवाह का झांसा देकर रेप करने के मामले में आरोपी युवक को रिहा करते हुए अदालत ने उक्त टिप्पणी की।
अदालत ने कहा विवाह के वादे पर दो वयस्कों के बीच संभोग का हर कृत्य बलात्कार नहीं बन जाता।
द्वारका स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने अपने फैसले में कहा जब कोई युवती बड़ी हो गई हो, ऐसे में यदि वह विवाह का वादा मिलने पर किसी व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाती है तो यह उसका अपना जोखिम होता है। खासकर उस महिला को इसका ज्ञान होना चाहिए जो शिक्षित और कार्यालय जा रही है।
न्यायाधीश भट्ट ने कहा कि उनका मानना है कि विवाह के वादे के आश्वासन पर दो वयस्कों के बीच संभोग का हर कृत्य बलात्कार नहीं बन जाता। यदि कोई युवक आश्वासन या वादा पूरा नहीं करता तो उसे रेप के आरोप में सजा देने का कोई आधार नहीं है।
अदालत ने कहा जब कोई शिक्षित और कार्यालय जाने वाली महिला किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ यह सोच कर शरीरिक संबंध बनाती है कि वह उससे विवाह करेगा तो वह खुद के जोखिम पर ऐसा करती है।
अदालत ने कहा महिला को उक्त कृत्य के परिणाम के बारे में पता होना चाहिए कि लड़का अपने वादे को पूरा करेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।
अदालत ने बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत्त युवक को रेप के आरोप से रिहा करते हुए कहा कि सभी को पता होना चाहिए इस प्रकार का कृत्य अनैतिक ही नहीं बल्कि हर धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
उन्होंने कहा उन्हें समझना चाहिए कि दुनिया में कोई भी धर्म विवाह से पहले सेक्स की अनुमति नहीं देता है।
दिल्ली में एक निजी कंपनी में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य करने वाली युवती की शिकायत पर मई 2011 में पुलिस ने पंजाब निवासी आरोपी को गिरफ्तार किया गया था।
युवती ने आरोप लगाया था कि जुलाई 2006 में चैट वेबसाइड के जरिए उसकी युवक से मुलाकात हुई थी। युवक ने उससे विवाह का वादा किया व कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में विवाह से मुकर गया।
अदालत ने कहा विवाह के वादे पर दो वयस्कों के बीच संभोग का हर कृत्य बलात्कार नहीं बन जाता।
द्वारका स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने अपने फैसले में कहा जब कोई युवती बड़ी हो गई हो, ऐसे में यदि वह विवाह का वादा मिलने पर किसी व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाती है तो यह उसका अपना जोखिम होता है। खासकर उस महिला को इसका ज्ञान होना चाहिए जो शिक्षित और कार्यालय जा रही है।
न्यायाधीश भट्ट ने कहा कि उनका मानना है कि विवाह के वादे के आश्वासन पर दो वयस्कों के बीच संभोग का हर कृत्य बलात्कार नहीं बन जाता। यदि कोई युवक आश्वासन या वादा पूरा नहीं करता तो उसे रेप के आरोप में सजा देने का कोई आधार नहीं है।
अदालत ने कहा जब कोई शिक्षित और कार्यालय जाने वाली महिला किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ यह सोच कर शरीरिक संबंध बनाती है कि वह उससे विवाह करेगा तो वह खुद के जोखिम पर ऐसा करती है।
अदालत ने कहा महिला को उक्त कृत्य के परिणाम के बारे में पता होना चाहिए कि लड़का अपने वादे को पूरा करेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।
अदालत ने बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत्त युवक को रेप के आरोप से रिहा करते हुए कहा कि सभी को पता होना चाहिए इस प्रकार का कृत्य अनैतिक ही नहीं बल्कि हर धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
उन्होंने कहा उन्हें समझना चाहिए कि दुनिया में कोई भी धर्म विवाह से पहले सेक्स की अनुमति नहीं देता है।
दिल्ली में एक निजी कंपनी में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य करने वाली युवती की शिकायत पर मई 2011 में पुलिस ने पंजाब निवासी आरोपी को गिरफ्तार किया गया था।
युवती ने आरोप लगाया था कि जुलाई 2006 में चैट वेबसाइड के जरिए उसकी युवक से मुलाकात हुई थी। युवक ने उससे विवाह का वादा किया व कई बार शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में विवाह से मुकर गया।
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