प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित तौर पर सीनियर आईआरएस ऑफिसर की गोवा में बीच के किनारे 'बेनामी संपत्ति को जब्त कर लिया है।
कुछ साल इसी अधिकारी आशुतोष वर्मा को हथियार डीलर सुरेश नंदा की कंपनी की आयकर रिपोर्ट में छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आशुतोष वर्मा इस समय चेन्नई में आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं।
सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल नहीं करने को आधार बनाते हुए कुछ समय पहले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने वर्मा का प्रमोशन कर दिया था। हालांकि बाद में पिछले साल सीबीआई ने अधिकारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।
वर्ष 2012 में वर्मा, नंदा और कुछ अन्य के खिलाफ मनी लॉंड्रिंग का मामला दर्ज करने वाले ईडी ने पाया कि गोवा के परनेम में मोरगिम गांव में स्थित जमीन को एक आयकर अधिकारी 'बेनामी के रूप में खरीदा है। इसकी कुल कीमत 4.40 करोड़ रुपये आंकी गई है।
जांच में पता चला है कि जमीन के लिए भुगतान इंडियन रेवेन्यू सर्विस के 1999 बैच के अधिकारी के जानने वाले कई लोगों ने घुमावदार तरीके से किया था।
असली मालिक का नाम छिपाने के लिए जमीन को कई लोगों के नाम किया गया। इस तरह की डील को 'बेनामी करार दिया जाता है।
मैसर्स नित्या रिजॉर्ट कंपनी के नाम से यह जमीन खरीदी गई है, जिसके खाते से सिर्फ 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि बाकी पैसा नगद दिया गया।
मार्च, 2008 में सीबीआई ने वर्मा और नंदा, उनके बेटे संजीव और सीए बिपिन शाह को एक फाइव स्टार होटल से गिरफ्तार किया था।
नंदा नेवी वार रूम लीक मामले में मुख्य आरोपी है। सीबीआई ने उस समय कहा था कि ये लोग होटल में नंदा की कंपनी को टैक्स से बचाने के लिए बातचीत कर रहे थे।
फरवरी, 2007 में वर्मा के नेतृत्व में आयकर टीम ने नंदा के ठिकानों पर छापा मारा था।
कुछ साल इसी अधिकारी आशुतोष वर्मा को हथियार डीलर सुरेश नंदा की कंपनी की आयकर रिपोर्ट में छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आशुतोष वर्मा इस समय चेन्नई में आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं।
सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल नहीं करने को आधार बनाते हुए कुछ समय पहले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने वर्मा का प्रमोशन कर दिया था। हालांकि बाद में पिछले साल सीबीआई ने अधिकारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।
वर्ष 2012 में वर्मा, नंदा और कुछ अन्य के खिलाफ मनी लॉंड्रिंग का मामला दर्ज करने वाले ईडी ने पाया कि गोवा के परनेम में मोरगिम गांव में स्थित जमीन को एक आयकर अधिकारी 'बेनामी के रूप में खरीदा है। इसकी कुल कीमत 4.40 करोड़ रुपये आंकी गई है।
जांच में पता चला है कि जमीन के लिए भुगतान इंडियन रेवेन्यू सर्विस के 1999 बैच के अधिकारी के जानने वाले कई लोगों ने घुमावदार तरीके से किया था।
असली मालिक का नाम छिपाने के लिए जमीन को कई लोगों के नाम किया गया। इस तरह की डील को 'बेनामी करार दिया जाता है।
मैसर्स नित्या रिजॉर्ट कंपनी के नाम से यह जमीन खरीदी गई है, जिसके खाते से सिर्फ 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि बाकी पैसा नगद दिया गया।
मार्च, 2008 में सीबीआई ने वर्मा और नंदा, उनके बेटे संजीव और सीए बिपिन शाह को एक फाइव स्टार होटल से गिरफ्तार किया था।
नंदा नेवी वार रूम लीक मामले में मुख्य आरोपी है। सीबीआई ने उस समय कहा था कि ये लोग होटल में नंदा की कंपनी को टैक्स से बचाने के लिए बातचीत कर रहे थे।
फरवरी, 2007 में वर्मा के नेतृत्व में आयकर टीम ने नंदा के ठिकानों पर छापा मारा था।
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