
बिहार में समाज कल्याण विभाग ने भीख मांगने वालों पर एक सर्वेक्षण किया। और इसमें कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिन्हें जानकर कोई भी हैरत में पड़ जाए।
इस सर्वे में पता चला है कि भिखारियों में ऊंची जाति के स्नातक डिग्रीधारी भी शामिल हैं। हालांकि, इनमें ज्यादा संख्या महादलितों की है।
पटना में 2206 की पहचान भिखारियों के रूप में हुई। इनमें 1100 भिखारियों के आधार पर जो डाटा तैयार किया गया, उसमें स्नातक एक प्रतिशत, इंटरमीडिएट तीन से चार प्रतिशत और बड़ी संख्या में साक्षर शामिल थे।
सर्वे के अनुसार, गया जिले में भिखारियों की संख्या 2356 है। इनमें सामान्य जाति के 80, पिछड़ी जाति के 235, दलित 367 व महादलित 1674 हैं। इनमें 95 प्रतिशत हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय के पांच प्रतिशत पाए गए। भीख मांगनेवालों में 64 प्रतिशत महिला व 36 प्रतिशत पुरुष थे।
जल्द ही इसे जिला स्तर पर शुरू किया जाएगा। बिहार में इस तरह के अमानवीय कार्य को खत्म करने के लिए व्यापक पैमाने पर कार्य किये जा रहे हैं।
इस सर्वे में पता चला है कि भिखारियों में ऊंची जाति के स्नातक डिग्रीधारी भी शामिल हैं। हालांकि, इनमें ज्यादा संख्या महादलितों की है।
पटना में 2206 की पहचान भिखारियों के रूप में हुई। इनमें 1100 भिखारियों के आधार पर जो डाटा तैयार किया गया, उसमें स्नातक एक प्रतिशत, इंटरमीडिएट तीन से चार प्रतिशत और बड़ी संख्या में साक्षर शामिल थे।
सर्वे के अनुसार, गया जिले में भिखारियों की संख्या 2356 है। इनमें सामान्य जाति के 80, पिछड़ी जाति के 235, दलित 367 व महादलित 1674 हैं। इनमें 95 प्रतिशत हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय के पांच प्रतिशत पाए गए। भीख मांगनेवालों में 64 प्रतिशत महिला व 36 प्रतिशत पुरुष थे।
जल्द ही इसे जिला स्तर पर शुरू किया जाएगा। बिहार में इस तरह के अमानवीय कार्य को खत्म करने के लिए व्यापक पैमाने पर कार्य किये जा रहे हैं।
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