Thursday, January 9, 2014

एक देश, जहां के युवा नहीं पिएंगे अब शराब?

In a country where the youth will not drink alcohol anymore?
ब्रिटेन किशोरों में शराब पीने वाले युवाओं की तादाद तेजी से कम हो रही है। लेकिन सवाल है क्यों?

ब्रिटेन में रहने वाले 18 साल के लियम ब्रूक बताते हैं, "मुझे शराब पीने में कोई मज़ा नहीं आता। सैर सपाटे और मौज।मस्ती में जो मज़ा है, वह शराब में कहां।"

नवंबर महीने में वे पब जाने के लिए कानूनी तौर पर योग्य हो गए मगर उन्होंने आज तक शराब की एक बूंद नहीं चखी।

"मीडिया सोचता है 18 साल का हर नौजवान बाहर जाता है, देर रात की पार्टी करता है और शराब पीता है। हमारी पिछली पीढ़ी ने ऐसा किया। मगर अब हमारी पीढ़ी इन सबसे दूर है।"

परहेज और संयम
बड़ों को जब नशे में धुत्त देखा तो लियम ब्रूक को शराब से चिढ़ हो आई। उन्होंने तभी शराब को खुद से दूर रखने का संकल्प ले लिया।

ब्रिटेन में युवाओं के नशे में धुत्त होने की खबरें आए दिन अख़बारों में छाई रहती हैं। जो लोग इससे परिचित हैं उनके लिए लियम का ये बयान किसी अचरज से कम नहीं।

लियम का सख्त परहेज़ और संयम वाला ये रुख हकीक़त से दूर लगता है मगर कई आंकड़ें ऐसे हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन की युवा पीढ़ी लियम के नक्शे क़दम पर चलना सीख रही है।

एनएचएस के आंकड़ों के अनुसार एक दशक पहले शराब पीने वाले 11 से 15 साल के किशोरों का प्रतिशत 26 फीसदी से घटकर साल 2011 में 12 फीसदी रह गया और जिन किशोरों ने कभी न कभी शराब पीने की बात क़बूल की उनका अनुपात इसी अवधि में 61 फीसदी से घटकर 45 फीसदी हो गया।

बड़े किशोरों और युवा वयस्कों में भी यही प्रवृत्ति पाई गई। 1998 में 16 से 26 साल की उम्र के 71 फीसदी युवाओं ने बताया कि वे हफ़्ते में एक बार शराब पीते हैं। उनकी संख्या साल 2010 में घटकर केवल 48 फीसदी रह गई।

इसके ठीक विपरीत अधेड़ उम्र के लोग शराब पर पहले से ज्यादा ख़र्च करने लगे हैं। फ्रेजर नेल्सन इस प्रवृत्ति को 'ऐब फैब' इफ़ेक्ट बताते हैं।

बीबीसी की कॉमेडी 'ऐब्सोल्यूटली फ़ैबुलस' के दर्शक फ़्रेज़र नेल्सन उस प्रभाव की बात कर रहे हैं जिसमें एक दृश्य में सैफ़्रन नशे में लड़खड़ाती अपनी मां और उनकी सहेलियों को नफ़रत की निगाहों से देखती है।

पब और क्लब
युवा पीढ़ी में कम शराब पीने का ये चलन युवाओं के बारे में लोगों की सोच को सिरे से ख़ारिज कर रहा है। विशेषज्ञ इसके पीछे के कई तरह के कारण बता रहे हैं।

जोनाथन बर्डवेल का कहना है कि इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि शराब तक क्लिक करें युवाओं की पहुंच कठिन होती जा रही है।

जोनाथन थिंक टैंक डेमोज के वरिष्ठ शोधकर्ता हैं। उन्होंने ब्रिटेन में शराब से जुड़े चलन पर दो रिपोर्टें भी लिखी हैं।

उन्होंने आगे बताया कि पब और क्लब तक नाबालिगों का पहुंचना पहले से मुश्किल हो गया है। शराब बेचने वाले खुदरा विक्रेता पहचान पत्र को लेकर ठोस रवैया अपनाने लगे हैं।

खुदरा विक्रेताओं का ये कठोर रुख उस कदम का नतीजा है जो सरकार हाल में उठाया है। सरकार अब वैसे विक्रेताओं से दोगुना जुर्माना वसूलने लगी है जो युवाओं को बिना पहचानपत्र के शराब बेचते हुए पकड़े गए।

हाल में शराब के ख़िलाफ़ कुछ जागरुकता अभियान भी जोर शोर से चलने शुरू हुए हैं। इसके अलावा शराब की बोतल पर "ड्रिंक अवेयर" का लेबल चिपका कर लोगों को सचेत भी किया जा रहा है।

धार्मिक कारण
"पढ़ाई का खर्च बढ़ रहा है। यूनिवर्सिटी जाने वाले नौजवानों को अब ये चिंता ज्यादा सताती है कि वे पढाई के बाद श्रम बाजार का मुकाबला कैसे करेंगे। वे अपनी सफलता सुनिश्चित करने पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।"

जोनाथन बर्डवेलः थिंक टैंक डेमोज के वरिष्ठ शोधकर्ता
मीडिया में भी अधिक शराब पीने की संस्कृति को हतोत्साहित करने वाले लेख धड़ाधड़ छप रहे हैं। इन सब कारणों ने शराब पीने की प्रवृत्ति पर लगाम कसने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बर्डवेल के अनुसार तंग आर्थिक हालात की भी ज़रूर भूमिका रही। वे कहते हैं, "पढ़ाई का खर्च बढ़ रहा है। यूनिवर्सिटी जाने वाले नौजवान को अब ये चिंता ज्यादा सताती है कि वह पढाई के बाद श्रम बाजार का मुकाबला कैसे करेंगे। वे अपनी सफलता सुनिश्चित करने पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।"

इस चलन के पीछे जनसांख्यिकीय प्रवृति का भी योगदान कहा जा रहा है। मुस्लिम पृष्ठभूमि से आने वाले ब्रितानियों में सांस्कृतिक और धार्मिक वजहों से शराब पीने की कम प्रवृत्ति पाई जाती है। इस नजरिए से देखा जाए तो 16 साल से कम उम्र के मुसलमान किशोरों की संख्या इंग्लैंड और वेल्स में 2001 के मुकाबले 8 फीसदी बढ़ गई है।

बर्डवेल का कहना है कि अध्ययन में यह भी पाया गया है कि वे किशोर जो अलग अलग जातियों के आधार वाले स्कूलों में पढ़ने जाते हैं उनमें शराब पीने की संभावना कम पाई गई चाहे उनकी जातीय पृष्ठभूमि कुछ भी हो।

सोशल मीडिया और हुक्का बार
24 साल के यासिर रंझन भी शराब को हाथ नहीं लगाते।

पोर्टमैन ग्रुप के मुख्य कार्यकारी हेनरी ऐशवर्थ के अनुसार यहां इस बात का ज़िक्र भी प्रासंगिक है कि तकनीक का तेजी से विकास होने के कारण युवा पीढ़ी को अब अपने दोस्तों के साथ मेल जोल ज्यादा पसंद आने लगा है।

उन्होंने कहा, "2005 से सोशल मीडिया का चलन तेजी से बढ़ा है। इससे शराब पीने जैसी हानिकारक आदत में भारी गिरावट आई है। इससे युवा दूसरी गतिविधियों की ओर अधिक खींचने लगे है।"

युवा पीढ़ी में शराब को लेकर बढ़ रही अरुचि के चाहे जो भी कारण हों, नए कारोबारी अब इस पीढ़ी को ध्यान में रखकर अपने उत्पादों को बाज़ार में उतारने की तैयारी में हैं।

लंदन, मैनचेस्टर और ब्रैडफ़ोर्ड के कई हिस्सों में शराब नहीं पीने वाले ग्राहकों के लिए गली गली में अब आपको आईसक्रीम पार्लर और हुक्का बार मिल जाएंगे। यहां आपको युवा जमघट लगाए हुए दिखाई दे सकते हैं।


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