बेटे की आस लगाए एक बाप ने चौथी बार भी बेटी पैदा होने पर उसे गला घोंटकर मार डाला। बुधवार को इस पूरे वाकये को अशोक नगर चौराहे पर लोगों ने देखा।
मौके पर तड़प-तड़पकर बेहाल हुई बच्ची की मां घंटों बिलखती रही। देखने वालों ने ऐसे हैवान बाप के लिए फांसी की सजा की मांग की।
'अमर उजाला-बेटी ही बचाएगी' अभियान के तहत 'कानपुर नुक्कड़ नाट्य रंगकर्मी एसोसिएशन' के इस सजीव प्रदर्शन को देखने वाले बेचैन हुए तो उद्वेलित भी। नुक्कड़ नाटक 'तड़पती कोख' के एक अंश पर आधारित दृश्यों की संस्था के कलाकारों ने भाव प्रवण प्रस्तुति दी।
नाटक के माध्यम से लोगों को 'बेटा हो या बेटी, बच्चे दो ही अच्छे' संदेश देते हुए बताया कि बेटी भी बेटों की तरह सुख-दुख बांटकर आपका मान-सम्मान बढ़ा सकती है। नाटक का लेखन राकेश चौधरी और निर्देशन मनोराज चंद्रा ने किया।
इसमें काल्पनिक किरदार मीरा और रामू की कहानी दिखाई। पति रामू की नजर में नाम और वंश चलाने के लिए बेटा चाहिए। इस चाहत में उसे तीन बेटियां हो जाती हैं। पत्नी मीरा चौथी बार गर्भवती होती है। अल्ट्रासाउंड से उसे चौथी बार भी बेटी होने का पता चलता है।
रामू उसे गर्भपात के लिए डॉक्टर के पास ले जाता है। नौ माह का गर्भ होने से डॉक्टर मना कर देता है। कुछ दिन में मीरा एक प्यारी-सी बेटी को जन्म देती है लेकिन बेटे की चाहत में अंधा रामू पत्नी की गोद से बच्ची को छीनकर उसका गला दबा देता है। मीरा उसे इस जघन्य पाप के लिए रोते हुए कोसती है तब रामू की आंखें खुलती हैं।
नाटक के कलाकारों में नरगिस, सोनम, किरन, रोशनी, विनोदिनी गुप्ता, मनोराज चंद्रा, विष्णु गुप्ता, राकेश चौधरी, राजकुमार और प्रणय कटियार शामिल रहे।
मौके पर तड़प-तड़पकर बेहाल हुई बच्ची की मां घंटों बिलखती रही। देखने वालों ने ऐसे हैवान बाप के लिए फांसी की सजा की मांग की।
'अमर उजाला-बेटी ही बचाएगी' अभियान के तहत 'कानपुर नुक्कड़ नाट्य रंगकर्मी एसोसिएशन' के इस सजीव प्रदर्शन को देखने वाले बेचैन हुए तो उद्वेलित भी। नुक्कड़ नाटक 'तड़पती कोख' के एक अंश पर आधारित दृश्यों की संस्था के कलाकारों ने भाव प्रवण प्रस्तुति दी।
नाटक के माध्यम से लोगों को 'बेटा हो या बेटी, बच्चे दो ही अच्छे' संदेश देते हुए बताया कि बेटी भी बेटों की तरह सुख-दुख बांटकर आपका मान-सम्मान बढ़ा सकती है। नाटक का लेखन राकेश चौधरी और निर्देशन मनोराज चंद्रा ने किया।
इसमें काल्पनिक किरदार मीरा और रामू की कहानी दिखाई। पति रामू की नजर में नाम और वंश चलाने के लिए बेटा चाहिए। इस चाहत में उसे तीन बेटियां हो जाती हैं। पत्नी मीरा चौथी बार गर्भवती होती है। अल्ट्रासाउंड से उसे चौथी बार भी बेटी होने का पता चलता है।
रामू उसे गर्भपात के लिए डॉक्टर के पास ले जाता है। नौ माह का गर्भ होने से डॉक्टर मना कर देता है। कुछ दिन में मीरा एक प्यारी-सी बेटी को जन्म देती है लेकिन बेटे की चाहत में अंधा रामू पत्नी की गोद से बच्ची को छीनकर उसका गला दबा देता है। मीरा उसे इस जघन्य पाप के लिए रोते हुए कोसती है तब रामू की आंखें खुलती हैं।
नाटक के कलाकारों में नरगिस, सोनम, किरन, रोशनी, विनोदिनी गुप्ता, मनोराज चंद्रा, विष्णु गुप्ता, राकेश चौधरी, राजकुमार और प्रणय कटियार शामिल रहे।
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