चुनाव आयोग ने सुरक्षा मुद्दों का हवाला देते हुए दिग्गज इंटरनेट कंपनी गूगल से प्रस्तावित करार का इरादा छोड़ दिया है।
दरअसल गूगल ने वोटरों की सुविधा के लिए कई डिजिटल सेवाओं की पेशकश की थी। लेकिन तमाम एजेंसियों की ओर से इस व्यवस्था से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे की आशंका जताते ही चुनाव आयोग ने समझौता न करने का फैसला किया है।
गूगल ने वोटर फेसिलिटेशन सर्विसेज मुहैया कराने के लिए आयोग के सामने इस सप्ताह एक औपचारिक प्रजेंटेशन भी दिया था।
आयोग ने नई दिल्ली में बृहस्पतिवार को इस मामले पर बैठक की। बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत्त, चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा और एसएनए जैदी मौजूद थे।
इन्होंने गूगल के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद इसे स्वीकार न करने का फैसला किया। आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस करार को न करने का ही फैसला किया गया।
आयोग ने कहा कि गूगल ने चुनाव में मतदाताओं से जुड़ी जानकारियां देने की सेवा मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा था। इससे मतदाताओं को भी सुविधा होती और आयोग को भी।
आयोग ने गूगल के साथ एक नॉन डिस्क्लोजर समझौता किया था। लेकिन कंपनी से न तो कोई आंकड़ा साझा किया था और न इसे सौंपा था।
आयोग वोटरों को ज्यादा अच्छी सुविधाएं देने के लिए इसके सर्च इंजन के इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा था। लेकिन लगातार जताई जा रही सुरक्षा चिंताओं की वजह से आयोग ने इससे पैर खींच लिए।
दरअसल गूगल ने वोटरों की सुविधा के लिए कई डिजिटल सेवाओं की पेशकश की थी। लेकिन तमाम एजेंसियों की ओर से इस व्यवस्था से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे की आशंका जताते ही चुनाव आयोग ने समझौता न करने का फैसला किया है।
गूगल ने वोटर फेसिलिटेशन सर्विसेज मुहैया कराने के लिए आयोग के सामने इस सप्ताह एक औपचारिक प्रजेंटेशन भी दिया था।
आयोग ने नई दिल्ली में बृहस्पतिवार को इस मामले पर बैठक की। बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत्त, चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा और एसएनए जैदी मौजूद थे।
इन्होंने गूगल के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद इसे स्वीकार न करने का फैसला किया। आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस करार को न करने का ही फैसला किया गया।
आयोग ने कहा कि गूगल ने चुनाव में मतदाताओं से जुड़ी जानकारियां देने की सेवा मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा था। इससे मतदाताओं को भी सुविधा होती और आयोग को भी।
आयोग ने गूगल के साथ एक नॉन डिस्क्लोजर समझौता किया था। लेकिन कंपनी से न तो कोई आंकड़ा साझा किया था और न इसे सौंपा था।
आयोग वोटरों को ज्यादा अच्छी सुविधाएं देने के लिए इसके सर्च इंजन के इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा था। लेकिन लगातार जताई जा रही सुरक्षा चिंताओं की वजह से आयोग ने इससे पैर खींच लिए।
No comments:
Post a Comment