
कॉरपोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट का कहना है कि उनका मंत्रालय कंपनियों के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दे रहा है। नया कंपनी कानून इस मामले में अहम साबित होगा। कॉरपोरेट समूहों द्वारा राजनीतिक दलों को दी जाने वाली रकम को वह गलत नहीं मानते हैं, लेकिन उनका मानना है कि रकम देने की प्रक्रिया का पारदर्शी होना जरूरी है। घोटाले करने वाले लोगों को पकड़ने के साथ यह भी जरूरी है कि प्रभावित लोगों को उनकी डूबी रकम वापस मिले। इन तमाम मुद्दों पर कॉरपोरेट अफेयर्स मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सचिन पायलट ने अमर उजाला के सीनियर एडिटर हरवीर सिंह और संवाददाता प्रशांत श्रीवास्तव के साथ लंबी बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:
प्रश्न-राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट फंडिंग को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं, ऐसे में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर- हमने इसके लिए एक अहम कदम उठाया है। राजनीतिक दलों को फंडिंग करने वाली कंपनियों को अब अलग से इलेक्शन ट्रस्ट बनाना अनिवार्य होगा। जिसके जरिए कंपनियां फंडिंग कर सकेंगी। इसके लिए कंपनी कानून में प्रावधान किया गया है। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने में सहायक होगा। इसमें� कंपनी को केवल यह बताना होगा कि उसने ट्रस्ट को कितनी राशि दी है। ट्रस्ट किस राजनीतिक दल को कितनी राशि देता है, उसे डिसक्लोज करने की जिम्मेदारी केवल ट्रस्ट पर होगी।
प्रश्न-पिछले दो-तीन साल से भ्रष्टाचार और घोटालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शारदा घोटाला, स्पीक एशिया, रीबॉक और एनएसईएल घोटाले जैसे कई मामले सामने आए हैं, जहां आम निवेशक की पूंजी डूबी है, इस दिशा में सरकार की कार्रवाई और जांच की क्या स्थिति है?
उत्तर- हमारी कोशिश केवल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इस बात पर भी है कि जिन लोगों की जमा पंजी डूबी है उनको किस तरह से उनका पैसा वापस दिलवाएं। हमने मंत्रालय में ऐसे लोगों को एसएफआईओ में रखा है, जो कानूनी जानकारी के साथ तकनीक के मामले में भी एक्सपर्ट हों। इन मामलों में कई एजेंसियों जैसे सेबी, ईडी, आर्थिक अपराध शाखा और मंत्रालयों के बीच तालमेल की जरूरत होती है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि हाई प्रोफाइल केस को जांच के लिए चुनने के पहले यह देखिए की क्या आप कार्रवाई के जरिए केस को कारगर नतीजे तक पहुंचा सकते हैं। अगर जवाब हां है तो ही जांच करें।
प्रश्न-हाल के घोटालों में सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी खास तौर से दिखी है। एनएसईएल मामले में जांच की क्या स्थिति है?
उत्तर- मंत्रालय में हमने ऐसे लोगों को अहम जिम्मेदारी दी है, जो तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ ही सरकार की एजेंसियों के बीच बेहतर सामंजस्य बना सकते हैं। इसके लिए हम हर तीसरे महीने डाटा की साझेदारी कर उनकी समीक्षा कर रहे हैं। कंपनी कानून में सेल्फ रिपोर्टिंग, सेल्फ डिसक्लोजर जैसे प्रावधान किए गए हैं। जहां तक एनएसईएल घोटाले में कंपनी कानून के उल्लंघन की बात है तो इसकी जांच पूरी हो गई है। अंतिम रिपोर्ट जल्द आ जाएगी, जिसके बाद आगे कार्रवाई होगी। दूसरी संबंधित एजेंसियां काम कर रही हैं, चार्जशीट भी दायर हुई है और कार्रवाई सही दिशा में जारी है।
प्रश्न-नया कंपनी कानून 1956 के कानून की जगह लेने जा रहा है। यह कानून लागू करने की प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी?
उत्तर- करीब 11 साल की कवायद के बाद नया कंपनी कानून पारित हुआ है। जहां तक कंपनी कानून के लागू होने के समय की बात है, तो अभी तक तीन चौथाई कानून बना दिए गए हैं। हमें 100 फीसदी भरोसा है कि नया कंपनी कानून अप्रैल 2014 से लागू हो जाएगा।
प्रश्न-एलएलपी में एफडीआई की अनुमति पर मंत्रालय का क्या रुख है?
उत्तर-एलएलपी में काफी छोटी कंपनियां है। इसमें एफडीआई को लेकर कई तरह की राय सामने आ रही है। कुछ एलएलपी को इस बात की आशंका है, कि एफडीआई आने से उनका धंधा चौपट हो जाएगा। वहीं कुछ एफडीआई के जरिए अपना धंधा बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में इंडस्ट्री स्तर पर एक आम सहमति बनाने की कोशिश है।
प्रश्न-निवेशकों को जागरूक करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है?
उत्तर- जागरूकता बढ़ाने की जिम्मेदारी मंत्रालय की है। इस दिशा में हम कदम उठा रहे हैं। हमने समाचार माध्यमों के अलावा, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और संस्थानों के जरिए लोगों को जागरूक करने का रोडमैप तैयार किया है। जिससे लोगों को झांसा देने वालों के चंगुल से बचा सकें।
प्रश्न-सीएसआर प्रवाधान को लेकर कॉरपोरेट जगत की चिंताएं अभी बरकरार हैं, इस पर आप का क्या कहना है?
उत्तर-सीएसआर में हमने दायरे को काफी खोल दिया है। कंपनी कानून में यह प्रावधान कर दिया गया है कि सीएसआर के तहत कंपनियां सरकार के सुझावों के अलावा अपनी इच्छानुसार किसी भी क्षेत्र में खर्च कर सकती हैं। खर्च के लिए बोर्ड के तहत बनी सीएसआर समिति द्वारा तय प्रस्ताव की बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी। साथ ही कंपनी को अपने फैसले की जानकारी वेबसाइट पर भी डालनी होगी। सीएसआर के जरिए साल में हमें 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है।
प्रश्न-आप पार्टी की चुनौती के साथ-साथ युवा पीढ़ी की उम्मीदें भी राजनीतिक दलों से बढ़ी हैं।
उत्तर- भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हमें ऊपर से सफाई करनी होगी। यूपीए सरकार ने आरटीआई, लोकपाल जैसे कदम उठाए हैं। कानून बनाने से ज्यादा उसको अमल में लाने की जरूरत है। इतिहास हमें इस बात पर परखेगा कि हमने लोगों को क्या आर्थिक मौके दिए हैं। हमें कौशल विकास पर जोर देना होगा, जिससे देश में मैन्यूफैक्चरिंग का मॉडल खड़ा हो सके।
प्रश्न-राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट फंडिंग को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं, ऐसे में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर- हमने इसके लिए एक अहम कदम उठाया है। राजनीतिक दलों को फंडिंग करने वाली कंपनियों को अब अलग से इलेक्शन ट्रस्ट बनाना अनिवार्य होगा। जिसके जरिए कंपनियां फंडिंग कर सकेंगी। इसके लिए कंपनी कानून में प्रावधान किया गया है। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने में सहायक होगा। इसमें� कंपनी को केवल यह बताना होगा कि उसने ट्रस्ट को कितनी राशि दी है। ट्रस्ट किस राजनीतिक दल को कितनी राशि देता है, उसे डिसक्लोज करने की जिम्मेदारी केवल ट्रस्ट पर होगी।
प्रश्न-पिछले दो-तीन साल से भ्रष्टाचार और घोटालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शारदा घोटाला, स्पीक एशिया, रीबॉक और एनएसईएल घोटाले जैसे कई मामले सामने आए हैं, जहां आम निवेशक की पूंजी डूबी है, इस दिशा में सरकार की कार्रवाई और जांच की क्या स्थिति है?
उत्तर- हमारी कोशिश केवल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इस बात पर भी है कि जिन लोगों की जमा पंजी डूबी है उनको किस तरह से उनका पैसा वापस दिलवाएं। हमने मंत्रालय में ऐसे लोगों को एसएफआईओ में रखा है, जो कानूनी जानकारी के साथ तकनीक के मामले में भी एक्सपर्ट हों। इन मामलों में कई एजेंसियों जैसे सेबी, ईडी, आर्थिक अपराध शाखा और मंत्रालयों के बीच तालमेल की जरूरत होती है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि हाई प्रोफाइल केस को जांच के लिए चुनने के पहले यह देखिए की क्या आप कार्रवाई के जरिए केस को कारगर नतीजे तक पहुंचा सकते हैं। अगर जवाब हां है तो ही जांच करें।
प्रश्न-हाल के घोटालों में सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी खास तौर से दिखी है। एनएसईएल मामले में जांच की क्या स्थिति है?
उत्तर- मंत्रालय में हमने ऐसे लोगों को अहम जिम्मेदारी दी है, जो तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ ही सरकार की एजेंसियों के बीच बेहतर सामंजस्य बना सकते हैं। इसके लिए हम हर तीसरे महीने डाटा की साझेदारी कर उनकी समीक्षा कर रहे हैं। कंपनी कानून में सेल्फ रिपोर्टिंग, सेल्फ डिसक्लोजर जैसे प्रावधान किए गए हैं। जहां तक एनएसईएल घोटाले में कंपनी कानून के उल्लंघन की बात है तो इसकी जांच पूरी हो गई है। अंतिम रिपोर्ट जल्द आ जाएगी, जिसके बाद आगे कार्रवाई होगी। दूसरी संबंधित एजेंसियां काम कर रही हैं, चार्जशीट भी दायर हुई है और कार्रवाई सही दिशा में जारी है।
प्रश्न-नया कंपनी कानून 1956 के कानून की जगह लेने जा रहा है। यह कानून लागू करने की प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी?
उत्तर- करीब 11 साल की कवायद के बाद नया कंपनी कानून पारित हुआ है। जहां तक कंपनी कानून के लागू होने के समय की बात है, तो अभी तक तीन चौथाई कानून बना दिए गए हैं। हमें 100 फीसदी भरोसा है कि नया कंपनी कानून अप्रैल 2014 से लागू हो जाएगा।
प्रश्न-एलएलपी में एफडीआई की अनुमति पर मंत्रालय का क्या रुख है?
उत्तर-एलएलपी में काफी छोटी कंपनियां है। इसमें एफडीआई को लेकर कई तरह की राय सामने आ रही है। कुछ एलएलपी को इस बात की आशंका है, कि एफडीआई आने से उनका धंधा चौपट हो जाएगा। वहीं कुछ एफडीआई के जरिए अपना धंधा बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में इंडस्ट्री स्तर पर एक आम सहमति बनाने की कोशिश है।
प्रश्न-निवेशकों को जागरूक करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है?
उत्तर- जागरूकता बढ़ाने की जिम्मेदारी मंत्रालय की है। इस दिशा में हम कदम उठा रहे हैं। हमने समाचार माध्यमों के अलावा, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और संस्थानों के जरिए लोगों को जागरूक करने का रोडमैप तैयार किया है। जिससे लोगों को झांसा देने वालों के चंगुल से बचा सकें।
प्रश्न-सीएसआर प्रवाधान को लेकर कॉरपोरेट जगत की चिंताएं अभी बरकरार हैं, इस पर आप का क्या कहना है?
उत्तर-सीएसआर में हमने दायरे को काफी खोल दिया है। कंपनी कानून में यह प्रावधान कर दिया गया है कि सीएसआर के तहत कंपनियां सरकार के सुझावों के अलावा अपनी इच्छानुसार किसी भी क्षेत्र में खर्च कर सकती हैं। खर्च के लिए बोर्ड के तहत बनी सीएसआर समिति द्वारा तय प्रस्ताव की बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी। साथ ही कंपनी को अपने फैसले की जानकारी वेबसाइट पर भी डालनी होगी। सीएसआर के जरिए साल में हमें 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है।
प्रश्न-आप पार्टी की चुनौती के साथ-साथ युवा पीढ़ी की उम्मीदें भी राजनीतिक दलों से बढ़ी हैं।
उत्तर- भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हमें ऊपर से सफाई करनी होगी। यूपीए सरकार ने आरटीआई, लोकपाल जैसे कदम उठाए हैं। कानून बनाने से ज्यादा उसको अमल में लाने की जरूरत है। इतिहास हमें इस बात पर परखेगा कि हमने लोगों को क्या आर्थिक मौके दिए हैं। हमें कौशल विकास पर जोर देना होगा, जिससे देश में मैन्यूफैक्चरिंग का मॉडल खड़ा हो सके।
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