उत्तराखंड विधानसभा में 13 साल बाद ऐसा मौका आया जब राज्यपाल अजीज कुरैशी ने बिना टोकाटोकी, हो-हल्ले के अपना पूरा अभिभाषण पढ़ा। खामोश विपक्ष की भूमिका पर सत्तापक्ष भी हैरान था।
दरअसल भाजपा ने राज्यपाल के भाषण को लेकर सुबह रणनीति बनाई कि किसी तरह का व्यवधान नहीं डालेंगे। लिहाजा 23 पन्नों का पूरा अभिभाषण राज्यपाल ने पढ़ा। यह भाषण करीब 30 मिनट तक चला।
13 साल पहले पूरा अभिभाषण पढ़ा गया था
करीब 13 साल पहले उत्तराखंड विधानसभा की शुरुआत में राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला के अभिभाषण के दौरान भी इसी तरह से खामोशी से अभिभाषण पढ़ा गया था। जबकि मार्गेट अल्वा के कार्यकाल में विपक्ष ने अभिभाषण के दौरान कागज फेंककर अपना विरोध दर्ज कराया था। आमतौर पर अभिभाषण के दौरान राज्यपाल को रुकना पड़ा है या फिर विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप कर सदस्यों को शांत कराना पड़ा है।
पहली पाली में विपक्ष की गांधीगिरी
सुबह से ही विपक्ष की रणनीति कुछ बदली हुई थी। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट की अगुवाई में सभी सदस्यों ने अपने हाथों में तख्तियां ले रखी थी। भाजपा ने जो दो दर्जन मुद्दे सदन में रखने के लिए तय किए थे उन सभी से संबंधित स्लोगन तख्तियों पर लिखे थे।
विपक्षी सदस्य तख्तियों के साथ ही सदन के भीतर गए। सभी ने तख्तियों को अपनी मेजों पर सरकार की तरफ करके रखा। यह पहली बार हुआ जब विपक्ष ने समस्याओं को उठाने के लिए पहली पाली में शोर शराबा करने केबजाय नया तरीका इजाद किया। सदन के बाहर और भीतर विपक्षियों ने तख्तियों का सहारा लिया।
दरअसल भाजपा ने राज्यपाल के भाषण को लेकर सुबह रणनीति बनाई कि किसी तरह का व्यवधान नहीं डालेंगे। लिहाजा 23 पन्नों का पूरा अभिभाषण राज्यपाल ने पढ़ा। यह भाषण करीब 30 मिनट तक चला।
13 साल पहले पूरा अभिभाषण पढ़ा गया था
करीब 13 साल पहले उत्तराखंड विधानसभा की शुरुआत में राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला के अभिभाषण के दौरान भी इसी तरह से खामोशी से अभिभाषण पढ़ा गया था। जबकि मार्गेट अल्वा के कार्यकाल में विपक्ष ने अभिभाषण के दौरान कागज फेंककर अपना विरोध दर्ज कराया था। आमतौर पर अभिभाषण के दौरान राज्यपाल को रुकना पड़ा है या फिर विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप कर सदस्यों को शांत कराना पड़ा है।
पहली पाली में विपक्ष की गांधीगिरी
सुबह से ही विपक्ष की रणनीति कुछ बदली हुई थी। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट की अगुवाई में सभी सदस्यों ने अपने हाथों में तख्तियां ले रखी थी। भाजपा ने जो दो दर्जन मुद्दे सदन में रखने के लिए तय किए थे उन सभी से संबंधित स्लोगन तख्तियों पर लिखे थे।
विपक्षी सदस्य तख्तियों के साथ ही सदन के भीतर गए। सभी ने तख्तियों को अपनी मेजों पर सरकार की तरफ करके रखा। यह पहली बार हुआ जब विपक्ष ने समस्याओं को उठाने के लिए पहली पाली में शोर शराबा करने केबजाय नया तरीका इजाद किया। सदन के बाहर और भीतर विपक्षियों ने तख्तियों का सहारा लिया।
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