Sunday, December 29, 2013

केजरीवाल के आने से अधिकारियों के उड़े होश

Secretariat offical under fear in delhi
शनिवार को दिल्ली सचिवालय में माहौल पूरी तरह बदला हुआ था।
बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर निचले स्तर के कर्मचारियों के चेहरों पर शिकन साफ दिख रही थी। सबको फिक्र इसी बात पर थी कि नए निजाम के अधीन उनकी स्थिति क्या होगी।
हालांकि कुछ अधिकारी यह भी कहते सुने गए कि अब ईमानदारी से काम करने में मजा आएगा। शनिवार करीब 12:50 बजे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सचिवालय पहुंचने के साथ ही अधिकारियों में भागमभाग मच गई।
सभी मंत्रियों के साथ अरविंद सीधे अपने कार्यालय में पहुंचे और चार्ज लेने के बाद उन्होंने मीडिया से बात की। इसके बाद बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ।
करीब दो बजे अरविंद की पहली कैबिनेट बैठी। जिसके आधे घंटे बाद ही अधिकारियों के साथ मुलाकात सिलसिला शुरू हो गया।
उधर, निचले स्तर के अधिकारी सचिवालय के एक फ्लोर से दूसरे फ्लोर का चक्कर लगाते रहे। सबके बीच चर्चा यही थी कि उन्हें किस मंत्री के साथ काम करना होगा।
अधिकारी बीच-बीच में मीडिया से भी अंदर की खबरें जानने की कोशिश करते दिखे। वहीं, कई अधिकारी और कर्मचारी कहते सुने गए कि अब काम करने में मजा आएगा।
वहीं, सूत्र बताते हैं कि सचिवालय में शुक्रवार को ही आला दर्जे के एक अधिकारी ने अरविंद केजरीवाल का एक लाइन का संदेश दे दिया था कि अब तेजी से काम करना है।
अधिकारियों की ऊहापोह को ही दूर करने के लिए अरविंद केजरीवाल ने साफ किया कि ज्यादातर अधिकारी ईमानदार हैं। दिल्ली की 1.50 करोड़ जनता के साथ सब मिलकर काम करेंगे।
दिल्ली से भ्रष्टाचार का सफाया होगा। वहीं, महिला और बाल विकास मंत्री राखी बिरला ने बताया कि सबको इमानदारी से काम करने का निर्देश है। उनकी परफॉर्मेंस देखकर आगे का फैसला किया जाएगा।
पायलट वाहन में नहीं बजेगा हूटर
सूत्र बताते हैं कि शपथ ग्रहण समारोह के इंतजाम पर शुक्रवार को अरविंद से अधिकारियों ने चर्चा की। इस दौरान उन्होंने साफ-साफ कहा, 'उन्हें न तो सुरक्षा चाहिए न ही पायलट वाहन'।
काफी हीलाहवाली के बाद अरविंद ने एक पायलट वाहन लेना तो स्वीकार कर लिया, लेकिन अधिकारियों से साफ कह दिया था कि किसी भी कीमत पर उस वाहन में न तो लाल बत्ती जलेगी, न ही हूटर बजेगा।
अरविंद के आदेश की तामील हुई। बाराखंभा से रामलीला मैदान तक अरविंद की वैगर-आर के आगे एक सरकारी वाहन चल रहा था।
इसकी लाल बत्ती ढकी हुई थी और हूटर भी नहीं बज रहा था। यही हाल उनके राजघाट व फिर दिल्ली सचिवालय जाने के दौरान रहा।

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