Sunday, December 29, 2013

जब 'खूनी' कोठी से निकले बच्चों के कंकाल

noida nithari case after seven years
सात साल बाद एक बार फिर निठारी कांड की यादें ताजा हो गई हैं। 29 दिसंबर, 2006 को ही नोएडा के कोठी नंबर डी-5 के पीछे खुदाई में नर कंकाल मिले थे। पर्दाफाश हुआ था कोठी के अंदर कई सालों से चल रही मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली की वहशियत का।
यहीं कई मासूमों के साथ दरिंदगी की गई और कत्ल करके जमींदोज कर दिया गया। वह लोग आज भी सिहर जाते हैं, जिनके बच्चों के कंकाल कोठी के पीछे मिले।
निठारीवासियों को वह मंजर याद आता है, जब पूरे देश ने पंधेर और कोली की करतूतों पर थूका था। नोएडा के नाम पर निठारी एक ऐसा धब्बा बन गया, जिसे शायद ही कभी धोया जा सके।
क्या था निठारी कांड
कोठी नंबर डी-5 का सच सामने आने की शुरुआत एक युवती की गुमशुदगी के साथ हुई। पायल नाम की एक लड़की निठारी की पानी की टंकी के पास से लापता हो गई थी। ये वही जगह थी, जहां दो साल के भीतर कई बच्चे गायब हुए, लेकिन पुलिस के कान पर जूं नहीं रेंगी।
पायल के पिता नंदलाल ने बड़े व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंधेर पर अपहरण का आरोप लगाया, लेकिन पुलिस ने शिकायत नहीं लिखी। हाईकोर्ट के दखल के बाद नंदलाल की शिकायत पर 15 दिसंबर, 2006 को मोनिंदर और सुरेंद्र से पूछताछ की गई।
निठारी चौकी की प्रभारी सिमरनजीत कौर व सीओ दिनेश यादव ने कोर्ट में जो रिपोर्ट पेश की, उसमें पंधेर और कोली को क्लीन चिट दी गई थी। मामले में मोड़ तब आया जब लापता पायल का मोबाइल ऑन हो गया। इसके जरिये पुलिस सुरेंद्र कोली तक पहुंची।
कोली ने पायल के साथ-साथ उन बच्चों की कहानी भी बताई, जिन्हें कत्ल किया गया था। सुरेंद्र और मोनिंदर से रात भर की पूछताछ के बाद अगली सुबह कोठी के पीछे खुदाई की गई और फिर सामने आए बच्चों के नर कंकाल।
खूनी कोठी बनी खंडहर
बच्चों के खून से सनी कोठी आज खंडहर बन चुकी है। अंदर खड़ी पंधेर की कार पर धूल की परतें चढ़ रही हैं। गेट पर झाड़ियां उग आई हैं। कोठी से चंद कदम की दूरी पर चाय बेचने वाले उमेश बताते हैं कि लोग इस कोठी को भूल गए हैं लेकिन पंधेर और कोली की कई कहानियां आज भी जिंदा हैं।
डासना जेल में बंद पंधेर डिप्रेशन में है और गंभीर बीमारियों की चपेट में है। सुरेंद्र कोली मान चुका है कि उसे सारी जिंदगी जेल में बितानी है।
बर्खास्तगी फिर बहाली
निठारी कांड के बाद तेरह पुलिसकर्मी बर्खास्त हुए, लेकिन वक्त बदला तो सब बदल गया। बर्खास्तगी के बाद तत्कालीन एसएसपी पीयूष मोर्डिया बहाल हो गए और अब बीएसएफ में तैनात हैं। निठारी के पीड़ित जतिन सरकार की हत्या के आरोप के बावजूद दिनेश यादव लखनऊ के हजरत गंज में सीओ हैं।
तत्कालीन थानाध्यक्ष आरएन सिंह अब शामली थाने के प्रभारी हैं। आरोपों के घेरे में आए विनोद पांडेय की तैनाती अब एसओजी बुलंदशहर में है। पंधेर का साथ देने की वजह से बर्खास्त हुईं सिमरनजीत कौर भी कोर्ट से बहाल हो गईं, अब बड़े शहर में ड्यूटी कर रही हैं।
इनका हुआ था कोठी में कत्ल
1-रचना2-रिम्पा हलधर
3-कु. बीना4-पायल
5-ज्योति6-हर्ष
7-कु. निशा8-पुष्पा विश्वास
9-सतेन्द्र उर्फ मैक्स10-दीपाली
11-नंदा देवी12-पिंकी सरकार
13-दीपिका उर्फ पायल14-शेख रजा खान
15-सोनी16-अंजली
17-आरती18-अज्ञात युवती
अदालत में निठारी कांड
-सीबीआई ने 19 केस रजिस्टर किए-17 मामलों में लगी है चार्जशीट
-पायल केस में आरोपी बनाया गया पंधेर -6 मामलों में पंधेर सह अभियुक्त है
-435 लोगों की हुई गवाही-57 प्रत्यक्ष गवाह के रूप में पेश हुए
-रिंपा हलधर मामले में कोली व पंधेर को मिली फांसी-हाईकोर्ट से पंधेर की सजा उम्रकैद में तब्दील
-अन्य मामलों में कोली पर केस

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