Sunday, December 29, 2013

पिटाई का बदला लेने के लिए कर डाली भाभी की हत्या

bhabhi murderer arrested
ब्यूटीशियन रितिका उर्फ रीशु श्रीवास्तव की हत्या अपमान का बदला लेने के लिए उसके देवर ने चालक व दोस्त के साथ मिलकर की थी।
शनिवार को गोमतीनगर पुलिस ने ब्यूटीशियन रितिका हत्याकांड का खुलासा कर शहीद पथ के पास से 'प्रेस' लिखा इंडिगो कार में सवार देवर समेत तीन आरोपियों को दबोच लिया।
पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल दो चाकू भी बरामद किए हैं।। आरोपी ने जुर्म कुबूलते हुए भाभी के चरित्र पर अंगुली उठाई।
उसने बताया कि एक माह पूर्व चालक के सामने बाल उखाड़कर पिटाई का बदला लेने के लिए रितिका के हत्या की साजिश रची थी।
सीओ गोमतीनगर विद्या सागर मिश्र के मुताबिक, 24 दिसंबर की रात हत्यारों ने ब्यूटीशियन रितिका की चाकू से गोदने के बाद गला रेतकर हत्या कर दी थी।
इसके बाद महिला के पति प्रभात कुमार समेत 24 लोगों से पूछताछ की गई। सर्विलांस से महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं।
इसमें सबसे खास वारदात की रात रितिका के देवर अरुण कुमार की लोकेशन गोमतीनगर इलाके में मिली।
इसी दौरान रितिका की सहेली ने भी देवर व उसके चालक के चाल चलन के बारे में बताया। इसके बाद पुलिस टीम को देवर व उसके चालक की निगरानी में लगाया गया।
इस दौरान कुछ ऐसे सबूत मिले, जिससे साफ हो गया कि अरुण हत्या में शामिल है। शुक्रवार को मुखबिर से सूचना मिली कि हत्या के आरोपी इंडिगो कार से शहीद पथ होते हुए गोमतीनगर की ओर बढ़ रहे हैं।
एसओ उमेश बहादुर सिंह की टीम ने शहीद पथ से इंडिगो कार सवार अरुण समेत तीन को दबोच लिया। साथ ही आरोपियों की निशानदेही पर गोमती किनारे से हत्या में इस्तेमाल दो चाकू भी बरामद किए।
पूछताछ में आरोपियों की पहचान फैजाबाद के बेगमगंज मकबरा निवासी अरुण कुमार, उसके चालक फैजाबाद के देवकाली चौकी के पीछे निवासी सूरज लाल निषाद एवं फैजाबाद के देवकाली निवासी शुभम यादव के रूप में हुई।
इनमें रितिका का देवर अरुण अपने पिता बलदेव प्रसाद के साथ फैजाबाद शहर कोतवाली के पास खिलौने की दुकान चलाता है।
सूरज पर फैजाबाद कोतवाली में एक, बीकापुर कोतवाली में चोरी, धमकाने लूट समेत तीन, सुल्तानपुर कोतवाली में एक एवं गोंडा शहर कोतवाली में बोलेरो लूट समेत छह मुकदमे दर्ज हैं।
इंटर पास आउट शुभम यादव (19) अरुण का दोस्त है। अरुण कुमार ने बताया कि रितिका का चरित्र ठीक नहीं था। वह भइया प्रभात से मारपीट करती थी।
वह मां समेत पूरे परिवार के प्रति द्वेष रखती थी। फैजाबाद से आते वक्त मां भइया के लिए टिफिन पैककर खाना देती थी।
मगर, रितिका मेरे सामने ही टिफिन पालतू कुत्ते को खिला देती थी। आए दिन मुझसे अपमानित करती थी।
एक माह पूर्व उसने मेरे चालक सूरज लाल के सामने बाल उखाड़कर थप्पड़ जड़े थे। उसी दिन उसके हत्या की साजिश रच डाली।
फ्रेश होने के बहाने घुसे थे घर में
हत्या के आरोपी अरुण ने बताया कि 24 दिसंबर को सूरज व शुभम के साथ वह शहर आया और भइया के घर की रेकी की। पता चला भइया-भाभी घर पर हैं।
मुझे मालूम था कि भाइया शाम को बीयर पीने निकलेंगे। शाम को छह बजे हम लोग गए, मगर मकान में ताला लगा था।
आठ बजे फिर गए तो देखा कि भइया की बाइक नहीं थी। फर्स्ट फ्लोर स्थित मकान का दरवाजा अंदर से बंद था। मकान के सामने कार पार्क कर तीनों कमरे की ओर बढ़े और बेल बजाई। रितिका ने दरवाजा खोला।
मगर, प्रभात के घर न होने की बात कही। इस पर अरुण ने फ्रेश होने का बहाना बनाया तो रितिका ने दरवाजा खोल दिया। अरुण के पीछे चालक सूरज और शुभम ड्राइंग रूम में आ गए।
अरुण बाथरूम की ओर बढ़ा। इस दौरान रितिका बेडरूम में चली गई। साजिश के मुताबिक, पीछे से अरुण, सूरज बेडरूम में पहुंच गए और रितिका को पीछे से पकड़ लिया, लेकिन रितिका प्रभात को फोन मिलाने लगी।
अरुण ने फोन छीन लिया। फिर, दोनों ने शुभम को भी बुला लिया। शुभम ने रितिका को दबोच लिया और सूरज ने धारदार हथियार और अरुण ने नुकीली हथियार से वार करने शुरू कर दिए।
हत्यारों के चंगुल से छूटने के लिए रितिका ने संघर्ष किया। इसके बाद अरुण व सूरज ने पेट में चाकू से गोदा। इसके बाद सूरज ने धारदार हथियार से रितिका का गला रेत दिया।
कमरे में बदले कपड़े
साजिश के तहत हत्यारे एक-एक जोड़ी कपड़े लेकर आए थे। वारदात को अंजाम देने के बाद हत्यारों ने हाथ पैर धुलने के बाद कमरे में ही कपड़े बदले।
खून से सना कपड़ा आरोपियों ने बैग में रख लिया। आरोपी खून से सने चाकू के जरिए सीढ़ियों पर खून टपकाते हुए भाग गए।
लखनऊ से भागकर तीनों फैजाबाद पहुंचे और सरयू नदी में खून से सने कपड़े फेंकने के बाद घर चले गए। पुलिस की मानें तो प्रभात ने रात 10.50 बजे पिता को फोन किया तो अरुण घर पर था।
जांच के घेरे में प्रभात
एसओ गोमतीनगर की मानें तो प्रभात को अभी क्लीन चिट नहीं दी गई है। प्रभात की भूमिका की जांच की जा रही है। दरअसल, पूछताछ के दौरान प्रभात के विरोधावासी बयान शक पैदा कर रहे हैं।
यह साफ है कि प्रभात को हत्या के पूर्व भाई के मंसूबों की कोई जानकारी नहीं थी। वह रितिका का साथ नहीं छोड़ना चाहता था।
उसके साथ रहना चाहता था। मगर, भाई से विवाद की जानकारी उसे थी। उसने पुलिस से भाई के व्यवहार के बारे में नहीं बताया।
कुत्ते को प्रभात बंद कर गया था जाली में
पुलिस की मानें तो बाहर जाते वक्त प्रभात ने कुत्ते को जाली में बंद कर दिया था। देवर, उसके चालक व दोस्त को कुत्ता पहचानता था।
तीनों पहले भी कई बार प्रभात के घर आ चुके हैं। इसलिए तीनों के आने पर कुत्ते ने भौंका नहीं। चूंकि, प्रभात का मकान चारो ओर से बंद है। इसलिए रितिका के चीखने की आवाज बाहर नहीं सुनाई दी।

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