
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर अपना हमला तेज कर दिया है।
रमेश ने मोदी को पत्र लिखकर न सिर्फ गुजरात के विकास के उनके दावों को गलत ठहराया बल्कि भाजपा शासित अन्य राज्यों के विकास कार्यक्रमों पर सवालिया निशान लगाए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मिट्टी को सोना बनाने की प्रमुख केंद्रीय योजना एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के क्रियान्वयन के मामले में सभी भाजपा शासित राज्य फिसड्डी हैं।
केंद्र की यह योजना ऐसी है कि न सिर्फ राज्य का चहुमुखी विकास होता है बल्कि राज्य की गरीब जनता को भी फायदा होता है।
जयराम ने सोमवार को लिखे पत्र में मोदी को याद दिलाया कि वर्ष 2009-10 से वर्ष 2013-14 तक केंद्र ने आईडब्ल्यूएमपी के लिए गुजरात को 3178 करोड़ रुपये की योजनाएं मंजूर की हैं लेकिन राज्य ने इन योजनाओं पर गंभीरता से काम नहीं किया।
चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित धनराशि में 409 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए हैं। यदि राज्य सरकार इस राशि का उपयोग कर लेती तो केंद्र सरकार अगली किश्त के रूप में इससे अधिक धनराशि आवंटित कर सकती थी।
लेकिन ऐसा लगता है कि गुजरात सरकार को इतनी महत्वपूर्ण योजना के प्रति कोई दिलचस्पी ही नहीं है। रमेश ने कहा कि गुजरात ही नहीं बल्कि भाजपा शासित अन्य राज्यों का रवैया भी केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर लचर है।
गौरतलब है कि आईडब्ल्यूएमपी के तहत जलग्रहण क्षेत्रों के रूप में पेयजल समस्याग्रस्त या परती भूमि क्षेत्र, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र, अधिकतम सामुदायिक भूमि वाले क्षेत्र या ऐसे क्षेत्रों का चयन किया जाता है, जहां वास्तविक मजदूरी, न्यूनतम मजदूरी दर से काफी कम हो।
योजना के नए निर्देशों के अनुसार उपचार या विकास कार्य पर 50 प्रतिशत, उत्पादन प्रणाली पर 13 प्रतिशत, गरीब परिवारों एवं भूमिहीन व्यक्तियों की आजीविका पर दस प्रतिशत एवं सामुदायिक सहभागिता पर पांच प्रतिशत राशि व्यय करने का प्रावधान है। इस योजना में तालाब एवं वृक्षारोपण, चारागाह, कृषि एवं पशुधन के कार्यक्रम भी किए जाते हैं।
रमेश ने मोदी को पत्र लिखकर न सिर्फ गुजरात के विकास के उनके दावों को गलत ठहराया बल्कि भाजपा शासित अन्य राज्यों के विकास कार्यक्रमों पर सवालिया निशान लगाए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मिट्टी को सोना बनाने की प्रमुख केंद्रीय योजना एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के क्रियान्वयन के मामले में सभी भाजपा शासित राज्य फिसड्डी हैं।
केंद्र की यह योजना ऐसी है कि न सिर्फ राज्य का चहुमुखी विकास होता है बल्कि राज्य की गरीब जनता को भी फायदा होता है।
जयराम ने सोमवार को लिखे पत्र में मोदी को याद दिलाया कि वर्ष 2009-10 से वर्ष 2013-14 तक केंद्र ने आईडब्ल्यूएमपी के लिए गुजरात को 3178 करोड़ रुपये की योजनाएं मंजूर की हैं लेकिन राज्य ने इन योजनाओं पर गंभीरता से काम नहीं किया।
चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित धनराशि में 409 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए हैं। यदि राज्य सरकार इस राशि का उपयोग कर लेती तो केंद्र सरकार अगली किश्त के रूप में इससे अधिक धनराशि आवंटित कर सकती थी।
लेकिन ऐसा लगता है कि गुजरात सरकार को इतनी महत्वपूर्ण योजना के प्रति कोई दिलचस्पी ही नहीं है। रमेश ने कहा कि गुजरात ही नहीं बल्कि भाजपा शासित अन्य राज्यों का रवैया भी केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर लचर है।
गौरतलब है कि आईडब्ल्यूएमपी के तहत जलग्रहण क्षेत्रों के रूप में पेयजल समस्याग्रस्त या परती भूमि क्षेत्र, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र, अधिकतम सामुदायिक भूमि वाले क्षेत्र या ऐसे क्षेत्रों का चयन किया जाता है, जहां वास्तविक मजदूरी, न्यूनतम मजदूरी दर से काफी कम हो।
योजना के नए निर्देशों के अनुसार उपचार या विकास कार्य पर 50 प्रतिशत, उत्पादन प्रणाली पर 13 प्रतिशत, गरीब परिवारों एवं भूमिहीन व्यक्तियों की आजीविका पर दस प्रतिशत एवं सामुदायिक सहभागिता पर पांच प्रतिशत राशि व्यय करने का प्रावधान है। इस योजना में तालाब एवं वृक्षारोपण, चारागाह, कृषि एवं पशुधन के कार्यक्रम भी किए जाते हैं।
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