
मुफ्त पानी के बाद चौबीस घंटे के अंदर दिल्ली सरकार ने आम आदमी को नए साल का दूसरा तोहफा दिया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 400 यूनिट तक बिजली की वर्तमान दर में 50 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इस सब्सिडी से बिजली का बिल आधा तो नहीं होगा, लेकिन इसमें 20 से 35 फीसदी तक की कमी जरूर आएगी।
वहीं, सरकार ने सीएजी ऑडिट के मसले पर बिजली कंपनियों से एक दिन के भीतर जवाब मांगा है। मंगलवार शाम दिल्ली कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए केजरीवाल ने बताया कि नए साल से 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को बिजली दरों पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जा रही हैं।
इससे करीब 34 लाख उपभोक्ताओं में से 28 लाख को सीधा फायदा होगा। फिलहाल यह फैसला मौजूदा वित्तीय वर्ष के तीन महीनों पर लागू होगा। सब्सिडी पर कुल 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इसमें से 61 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार देगी, जबकि बाकी रकम बिजली कंपनियां दिल्ली सरकार से लिए गए कर्ज में से चुकता करेंगी। फिलहाल बिजली कंपनियों पर दिल्ली सरकार का 4500 करोड़ रुपये का बकाया है।
0-200 यूनिट तक खर्च करने वालों के बिल में 20-21 फीसदी तक की कमी आएगी, वहीं 201 से 400 यूनिट तक के खर्च पर बिल में 35 फीसदी तक की कमी आएगी। �
सीएजी ऑडिट पर मुख्यमंत्री ने बताया कि मंगलवार दोपहर बाद उनकी सीएजी से मुलाकात हुई। सीएजी बिजली कंपनियों का ऑडिट करने के लिए तैयार हैं।
इसके लिए बुधवार शाम तक बिजली कंपनियों को अपनी आपत्ति दर्ज करानी है। इसके बाद सीएजी ऑडिट पर फैसला लिया जाएगा। केजरीवाल ने बताया कि बिजली पर सब्सिडी सीएजी की रिपोर्ट आने तक जारी रहेगी।
ऑडिट के नतीजे आने के बाद बिजली की दरों पर दोबारा फैसला लिया जाएगा। संभव है कि तब सरकार को सब्सिडी न देनी पड़े और दूसरे उपभोक्ताओं को भी दरों की छूट का फायदा मिल जाए।
केजरीवाल ने उम्मीद जताई कि कंपनियों के बहीखातों की जांच के बाद सरकार को सब्सिडी देने की जरूरत नहीं रहेगी।
0-200 यूनिट तक
पहले�� ��� ��� ��� ��� �
200 यूनिट पर बिजली चार्ज............780 रुपये
फिक्स चार्ज.................................40 रुपये
सरचार्ज..................................आठ फीसदी
बिजली शुल्क..........................पांच फीसदी
कुल रकम..............................926.60 रुपये
प्रति यूनिट 1.20 रुपये सब्सिडी के बाद देनदारी 686.60 रुपये प्रति माह।
अब
200 यूनिट तक बिजली चार्ज.........780 रुपये
फिक्स चार्ज...............................40 रुपये
सरचार्ज....................................आठ फीसदी
बिजली शुल्क.............................पांच फीसदी
कुल रकम�� ��� ��� ��� �926.60 रुपये
प्रति यूनिट 1.95 रुपये सब्सिडी के बाद देनदारी 536.60 रुपये प्रति माह।
(नोट : प्रति यूनिट बिजली चार्ज 3.90 रुपये)
ये दो किलोवाट लोड के लिए है। इस प्रकार से महीने के बिल में करीब 150 रुपये की बचत हुई।
पूरे बिल पर नहीं है छूट
सब्सिडी सिर्फ यूनिट पर लगने वाले चार्ज पर ही दी जाएगी। बिल के साथ लगने वाले दूसरे चार्ज पर सब्सिडी लागू नहीं होगी। दरअसल, बिजली बिल के साथ उपभोक्ताओं को कई अन्य तरह के चार्ज चुकाने होते हैं।
मसलन डिस्कॉम्स के पुराने घाटे को पाटने के लिए आठ प्रतिशत का सरचार्ज देना होता है। इसके अलावा पांच प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी टैक्स और अलग-अलग स्वीकृत लोड पर फिक्स चार्ज भी उपभोक्ताओं को देना पड़ता है।
यह सभी चार्ज उपभोक्ताओं के बिल को भारी भरकम बना देते हैं।
झूठ बोल रही थी शीला सरकार
मुख्यमंत्री ने एक बार फिर पूर्व की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरी दिल्ली बिजली कंपनियों के सीएजी ऑडिट की मांग कर रही थी। लेकिन तत्कालीन सरकार यह दलील देती रही कि मामला कोर्ट में लंबित है।
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह झूठ है। हाईकोर्ट ने कभी भी बिजली कंपनियों के सीएजी ऑडिट के लिए सरकार को मना नहीं किया था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 400 यूनिट तक बिजली की वर्तमान दर में 50 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इस सब्सिडी से बिजली का बिल आधा तो नहीं होगा, लेकिन इसमें 20 से 35 फीसदी तक की कमी जरूर आएगी।
वहीं, सरकार ने सीएजी ऑडिट के मसले पर बिजली कंपनियों से एक दिन के भीतर जवाब मांगा है। मंगलवार शाम दिल्ली कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए केजरीवाल ने बताया कि नए साल से 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को बिजली दरों पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जा रही हैं।
इससे करीब 34 लाख उपभोक्ताओं में से 28 लाख को सीधा फायदा होगा। फिलहाल यह फैसला मौजूदा वित्तीय वर्ष के तीन महीनों पर लागू होगा। सब्सिडी पर कुल 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इसमें से 61 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार देगी, जबकि बाकी रकम बिजली कंपनियां दिल्ली सरकार से लिए गए कर्ज में से चुकता करेंगी। फिलहाल बिजली कंपनियों पर दिल्ली सरकार का 4500 करोड़ रुपये का बकाया है।
0-200 यूनिट तक खर्च करने वालों के बिल में 20-21 फीसदी तक की कमी आएगी, वहीं 201 से 400 यूनिट तक के खर्च पर बिल में 35 फीसदी तक की कमी आएगी। �
सीएजी ऑडिट पर मुख्यमंत्री ने बताया कि मंगलवार दोपहर बाद उनकी सीएजी से मुलाकात हुई। सीएजी बिजली कंपनियों का ऑडिट करने के लिए तैयार हैं।
इसके लिए बुधवार शाम तक बिजली कंपनियों को अपनी आपत्ति दर्ज करानी है। इसके बाद सीएजी ऑडिट पर फैसला लिया जाएगा। केजरीवाल ने बताया कि बिजली पर सब्सिडी सीएजी की रिपोर्ट आने तक जारी रहेगी।
ऑडिट के नतीजे आने के बाद बिजली की दरों पर दोबारा फैसला लिया जाएगा। संभव है कि तब सरकार को सब्सिडी न देनी पड़े और दूसरे उपभोक्ताओं को भी दरों की छूट का फायदा मिल जाए।
केजरीवाल ने उम्मीद जताई कि कंपनियों के बहीखातों की जांच के बाद सरकार को सब्सिडी देने की जरूरत नहीं रहेगी।
0-200 यूनिट तक
पहले�� ��� ��� ��� ��� �
200 यूनिट पर बिजली चार्ज............780 रुपये
फिक्स चार्ज.................................40 रुपये
सरचार्ज..................................आठ फीसदी
बिजली शुल्क..........................पांच फीसदी
कुल रकम..............................926.60 रुपये
प्रति यूनिट 1.20 रुपये सब्सिडी के बाद देनदारी 686.60 रुपये प्रति माह।
अब
200 यूनिट तक बिजली चार्ज.........780 रुपये
फिक्स चार्ज...............................40 रुपये
सरचार्ज....................................आठ फीसदी
बिजली शुल्क.............................पांच फीसदी
कुल रकम�� ��� ��� ��� �926.60 रुपये
प्रति यूनिट 1.95 रुपये सब्सिडी के बाद देनदारी 536.60 रुपये प्रति माह।
(नोट : प्रति यूनिट बिजली चार्ज 3.90 रुपये)
ये दो किलोवाट लोड के लिए है। इस प्रकार से महीने के बिल में करीब 150 रुपये की बचत हुई।
पूरे बिल पर नहीं है छूट
सब्सिडी सिर्फ यूनिट पर लगने वाले चार्ज पर ही दी जाएगी। बिल के साथ लगने वाले दूसरे चार्ज पर सब्सिडी लागू नहीं होगी। दरअसल, बिजली बिल के साथ उपभोक्ताओं को कई अन्य तरह के चार्ज चुकाने होते हैं।
मसलन डिस्कॉम्स के पुराने घाटे को पाटने के लिए आठ प्रतिशत का सरचार्ज देना होता है। इसके अलावा पांच प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी टैक्स और अलग-अलग स्वीकृत लोड पर फिक्स चार्ज भी उपभोक्ताओं को देना पड़ता है।
यह सभी चार्ज उपभोक्ताओं के बिल को भारी भरकम बना देते हैं।
झूठ बोल रही थी शीला सरकार
मुख्यमंत्री ने एक बार फिर पूर्व की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरी दिल्ली बिजली कंपनियों के सीएजी ऑडिट की मांग कर रही थी। लेकिन तत्कालीन सरकार यह दलील देती रही कि मामला कोर्ट में लंबित है।
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह झूठ है। हाईकोर्ट ने कभी भी बिजली कंपनियों के सीएजी ऑडिट के लिए सरकार को मना नहीं किया था।
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