
दिल्ली के नए मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ऑडिट के मुद्दे पर बिजली कंपनियों ने करारा जवाब दिया है।
बिजली कंपनियों का कहना है कि यह मामला फिलहाल अदालत में है और उसके फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए। कंपनियों ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार अपने रुख पर अड़ी रहती है, तो दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।
कुर्सी एक, नेता दस...बड़ी नाइंसाफी है!
हालांकि, केजरीवाल का कहना है कि वह बुधवार को ही ऑडिट पर फैसला ले लेंगे। मंगलवार को बिजली दरों में कमी का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा था कि बीएसईएस राजधानी, बीएसईएस यमुना और एनडीपीएल का ऑडिट कराने का फैसला हुआ है।
केजरीवाल ने कहा था कि इन कंपनियों को बुधवार सवेरे तक यह बताने का वक्त दिया गया है कि उनका ऑडिट क्यों न कराया जाए। इस पर बिजली कंपनियों ने अपना जवाब दिया।
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इन बिजली वितरण कंपनियों में सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि निजी कंपनियों का हिस्सा 51 फीसदी है।
दिल्ली सरकार बिजली के दाम नहीं घटा सकती और इसके लिए वह पूरी तरह से डीईआरसी पर निर्भर है। सरकार की तरफ से बिजली कंपनियों को सस्ती दर पर जमीन दी गई है।
बिजली कंपनियों का कहना है कि यह मामला फिलहाल अदालत में है और उसके फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए। कंपनियों ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार अपने रुख पर अड़ी रहती है, तो दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।
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हालांकि, केजरीवाल का कहना है कि वह बुधवार को ही ऑडिट पर फैसला ले लेंगे। मंगलवार को बिजली दरों में कमी का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा था कि बीएसईएस राजधानी, बीएसईएस यमुना और एनडीपीएल का ऑडिट कराने का फैसला हुआ है।
केजरीवाल ने कहा था कि इन कंपनियों को बुधवार सवेरे तक यह बताने का वक्त दिया गया है कि उनका ऑडिट क्यों न कराया जाए। इस पर बिजली कंपनियों ने अपना जवाब दिया।
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