
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के अभियान पर भी यूपी के भाजपाई नहीं बदले।
गुजरात के सरदार सरोवर में बनने वाली सरदार वल्लभ भाई पटेल की लौह प्रतिमा के लिए हर गांव से लोहा एकत्र करने का अभियान यूपी में 1 जनवरी से शुरू होना था, लेकिन यह अभियान चार दिन बाद भी जोर नहीं पकड़ पाया है।
हालत यह है कि भाजपा के प्रदेश मुख्यालय से भी अभी तक मीडिया को इस अभियान की कोई जानकारी नहीं दी गई है। इससे यही पता चलता है कि अभियान अभी ऐसी स्थिति में नहीं पहुंच पाया है जिसके बारे में जानकारी देने की जरूरत हो।
यूपी के भाजपाइयों के इस रवैये की जानकारी मिलने के बाद मोदी की टीम के कान खड़े हो गए हैं और उसने अब तक चले अभियान की समीक्षा का फैसला किया है।
इस बीच, लौह संग्रहण सहयोग समिति ने इस अभियान को रविवार से ब्लॉकों में शुरू करने का फैसला किया है। समिति के संयोजक ओमप्रकाश सिंह राजधानी की मोहनलालगंज तहसील के समेसी गांव से इसकी शुरुआत करेंगे।
पहले चरण के अभियान में कुछ खास न होने की जानकारी मिलने के बाद प्रदेश प्रभारी अमित शाह को अगले सप्ताह फिर लखनऊ भेजा जा रहा है।
उनके सात से नौ जनवरी तक लखनऊ में रहने की जानकारी है। लखनऊ प्रवास के दौरान शाह न सिर्फ अब तक चले लौह संग्रह अभियान की समीक्षा करेंगे, बल्कि इस बहाने यह भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि संगठन को बूथ व जमीनी स्तर पर सक्रिय और मजबूत बनाने का काम कहां तक पहुंच पाया है।
माना जा रहा है कि शाह की समीक्षा का उद्देश्य जहां भाजपाइयों को लौह संग्रह अभियान में जुटाना है, इस बात का भी आकलन करेंगे कि पार्टी के नेताओं की अभियान में क्या भूमिका रही उसी आधार पर फैसले किए जाएंगे।
यह है वजह
दरअसल मोदी के अभियान के सिलसिले में हुई रन फॉर यूनिटी में यूपी में कई जिलों में अपेक्षित भीड़ न जुटने और अब लौह संग्रह अभियान के पहले चार दिन प्रदेश प्रमुख भाजपा नेताओं के रवैये के बाद मोदी की टीम को यह साफ हो गया है कि ढर्रा बदला न गया तो यूपी में भाजपा को लेकर कोई चमत्कार नहीं होने वाला।
भले ही लौह संग्रहण सहयोग समिति को गैर राजनीतिक अभियान घोषित किया गया हो लेकिन इसके पीछे असली उद्देश्य तो पटेल के सहारे मोदी और भाजपा को उन लोगों के बीच पहुंचाना ही था जो भाजपा की पहुंच से दूर हैं।
इसीलिए शाह को भेजकर भाजपाइयों के पेंच कसने का फैसला किया गया है।
गुजरात के सरदार सरोवर में बनने वाली सरदार वल्लभ भाई पटेल की लौह प्रतिमा के लिए हर गांव से लोहा एकत्र करने का अभियान यूपी में 1 जनवरी से शुरू होना था, लेकिन यह अभियान चार दिन बाद भी जोर नहीं पकड़ पाया है।
हालत यह है कि भाजपा के प्रदेश मुख्यालय से भी अभी तक मीडिया को इस अभियान की कोई जानकारी नहीं दी गई है। इससे यही पता चलता है कि अभियान अभी ऐसी स्थिति में नहीं पहुंच पाया है जिसके बारे में जानकारी देने की जरूरत हो।
यूपी के भाजपाइयों के इस रवैये की जानकारी मिलने के बाद मोदी की टीम के कान खड़े हो गए हैं और उसने अब तक चले अभियान की समीक्षा का फैसला किया है।
इस बीच, लौह संग्रहण सहयोग समिति ने इस अभियान को रविवार से ब्लॉकों में शुरू करने का फैसला किया है। समिति के संयोजक ओमप्रकाश सिंह राजधानी की मोहनलालगंज तहसील के समेसी गांव से इसकी शुरुआत करेंगे।
पहले चरण के अभियान में कुछ खास न होने की जानकारी मिलने के बाद प्रदेश प्रभारी अमित शाह को अगले सप्ताह फिर लखनऊ भेजा जा रहा है।
उनके सात से नौ जनवरी तक लखनऊ में रहने की जानकारी है। लखनऊ प्रवास के दौरान शाह न सिर्फ अब तक चले लौह संग्रह अभियान की समीक्षा करेंगे, बल्कि इस बहाने यह भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि संगठन को बूथ व जमीनी स्तर पर सक्रिय और मजबूत बनाने का काम कहां तक पहुंच पाया है।
माना जा रहा है कि शाह की समीक्षा का उद्देश्य जहां भाजपाइयों को लौह संग्रह अभियान में जुटाना है, इस बात का भी आकलन करेंगे कि पार्टी के नेताओं की अभियान में क्या भूमिका रही उसी आधार पर फैसले किए जाएंगे।
यह है वजह
दरअसल मोदी के अभियान के सिलसिले में हुई रन फॉर यूनिटी में यूपी में कई जिलों में अपेक्षित भीड़ न जुटने और अब लौह संग्रह अभियान के पहले चार दिन प्रदेश प्रमुख भाजपा नेताओं के रवैये के बाद मोदी की टीम को यह साफ हो गया है कि ढर्रा बदला न गया तो यूपी में भाजपा को लेकर कोई चमत्कार नहीं होने वाला।
भले ही लौह संग्रहण सहयोग समिति को गैर राजनीतिक अभियान घोषित किया गया हो लेकिन इसके पीछे असली उद्देश्य तो पटेल के सहारे मोदी और भाजपा को उन लोगों के बीच पहुंचाना ही था जो भाजपा की पहुंच से दूर हैं।
इसीलिए शाह को भेजकर भाजपाइयों के पेंच कसने का फैसला किया गया है।
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