Tuesday, February 4, 2014

राजीव के हत्यारे को दया के विरोध में केंद्र

Rajiv Gandhi case: SC reserves order on convicts plea
सुप्रीम कोर्ट में राजीव गांधी के तीन हत्यारों की सजा ए मौत को कम कर उम्रकैद में तब्दील करने संबंधी याचिका का केंद्र सरकार ने विरोध किया है। अदालत ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे मुरुगन, सांतन और पेरारिवलन ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि चूंकि राष्ट्रपति के पास उनकी दया याचिका पिछले 11 साल से लंबित है इसलिए उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया जाए।

उन्होंने उच्चतम न्यायालय के हाल के एक फैसले के बाद यह याचिका दायर की थी जिसमें अदालत ने विभिन्न मामलों के 15 कैदियों की फांसी की सजा राष्ट्रपति के पास दया याचिका के निपटारे में असाधारण देरी के कारण उम्र कैद में बदल दी थी।

केंद, सरकार के वकील ने स्वीकार किया कि तीनों की दया याचिका के निपटारे में देरी हो रही है..लेकिन यह देरी अकारण और अविवेकपूर्ण नहीं है।

उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल के दौरान इन आरोपियों को न तो कोई मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ है और न ही उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है।

राजीव गांधी हत्याकांड
तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। इस घटना में 14 अन्य लोगों की भी मौत हो गई थी। हत्या में लिट्टे का हाथ था।

1998 में स्पेशल कोर्ट ने आरोपी मुरुगन, सांतन, पेरारिवलन और मुरुगन की पत्नी नलिनी श्रीहरन समेत हत्याकांड के सभी 26 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई।

मई, 1991 में सुप्रीम कोर्ट ने मुरुगन, सांतन, पेरारिवलन और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा जबकि अन्य की सजा कम कर दी।

नलिनी की सजा उम्रकैद में बदली
जेल में ही नलिनी के लड़की पैदा होने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की सिफारिश की थी। 24 अप्रैल, 2000 को राज्य सरकार ने नलिनी की क्षमादान याचिका मंजूर करते हुए मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया।

प्रियंका ने भी की थी नलिनी से मुलाकात

19 मार्च, 2008 को प्रियंका गांधी ने अपने पिता की हत्या के दोष में वेल्लूर जेल में सजा भुगत रही नलिनी से मुलाकात की थी।

प्रियंका और नलिनी के बीच मुलाकात एक घंटे तक चली थी। तब प्रियंका ने नलिनी से राजीव गांधी की हत्या के कारणों के बारे में पूछताछ की थी।

तीन आरोपियों की दया याचिका
मुरुगन, सांतन व पेरारिवलन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की। 11 अगस्त 2011 को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने तीनों की दया याचिका खारिज कर दी।

26 अगस्त को गृह मंत्रालय की ओर से वेल्लूर जेल के अधीक्षक को मुरुगन, सांतन व पेरारिवलन की फांसी पर अमल का आदेश प्राप्त हुआ।

9 सितंबर, 2011 को फांसी देने की तारीख तय हुई। 29 अगस्त 2011 को एमडीएमके नेता वाइको ने फांसी की सजा को आजीवन करावास में बदलने को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

हाईकोर्ट ने फांसी चढ़ाए जाने पर रोक लगा दी और मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।

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