
सेना की ओर से पथरीबल मुठभेड़ मामले की जांच बंद करने का विरोध शुरू होने के बाद 16 वर्ष पहले का वंधामा नरसंहार भी सुर्खियों में आ गया है। ट्विटर पर कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों ने इस मामले में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से सवालों की बौछार लगा दी।
सवालों से उमर इतने विचलित हो उठे कि उन्होंने एक के बाद एक छह ट्वीट कर सवालों के जवाब दिए। कश्मीर के वंधामा में 16 साल पहले 25 जनवरी 1998 को 23 कश्मीरी पंडितों की आतंकियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
सवाल पूछने वालों में बालीवुड नेता अनुपम खेर अग्रणी रहे। अनुपम खेर ने एक ट्वीट कर उमर से जम्मू के शरणार्थी कैंप जाकर विनोद के बारे में पता करने को कहा, जिसके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी। साथ ही लिखा कि इस मामले की फाइल भले ही बंद हो गई हो, पर अपने दिल को खोलना।
इसके जवाब में उमर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री रहते और इसके अलावा भी उन्होंने पीड़ित समुदाय के लिए जो बेहतर हो सकता था किया। वे उनके दर्द को भी नहीं भूले। उमर ने एक के बाद एक छह ट्वीट कर सवालों का जवाब देने की कोशिश की। सवाल पूछने वालों से उमर ने उनके छह ट्वीट में नरसंहार के बाद सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की पूरी जानकारी देने की बात कही।
पंडितों के नरसंहार को लेकर सवालों की बौछार से घिरे मुख्यमंत्री को बालीवुड नेता अनुपम खेर ने भी ट्वीट के माध्यम से जवाब देते हुए कहा कि अगर किसी राज्य के प्रमुख हो तो कठोर सवाल सुनने और बर्दाश्त करने ही पड़ेंगे। अपने पहले ट्वीट में उमर ने लिखा कि इस नरसंहार पर बहुत चर्चा हो रही है। जबकि तथ्यों और आरोपों में बहुत अंतर है।
दूसरे ट्वीट में उमर ने लिखा कि मेरे साथ बने रहिए कि जब तक मैं 25 जनवरी 1998 में हरकत उल अंसार के संदिग्ध आतंकियों द्वारा 23 कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले के तथ्य रखता हूं। तीसरे ट्वीट में उमर ने लिखा कि 17 फरवरी को सुरक्षा बलों ने वंधामा में अभियान चलाकर छह विदेशी आतंकियों जोकि पाकिस्तानी बताए गए थे, को मार गिराया था और एक आतंकी घायल हुआ था।
चौथे ट्वीट में उमर ने लिखा कि घायल आतंकी ने वंधामा नरसंहार में शामिल होना कबूल किया था और आईएसआई के एक कमांडर का नाम भी लिया था। पांचवें ट्वीट में उमर ने लिखा कि अभियान को आगे बढ़ाते हुए सुरक्षा बलों ने वंधामा में छह और विदेशी आतंकियों को मार गिराया था। इसके बाद न ही कोई इंटेलीजेंस इनपुट मिले और न ही कोई गवाह।
आखिरी और छठे ट्वीट में सीएम ने लिखा कि इसके चलते केस बंद कर दिया गया था। वंधामा नरसंहार में सरकार के सोए रहने और मामले को अनदेखा करने के आरोप गलत हैं। पवन दुर्रानी, सुनील भट्ट ने भी वंधमा नरसंहार पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। इसके अलावा आदित्य राज कौल ने भी यासीन मलिक और बिट्टा कराटे पर चल रहे मुकदमों की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान केंद्रित किया।
गृह मंत्रालय के पास नहीं थी जानकारी
वंधामा में 16 साल पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बारे में गृह मंत्रालय में कोई जानकारी नहीं है। एक आरटीआई के जवाब में मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि विभाग को ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है, जिसमें बच्चों समेत 23 कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया था।
उल्लेखनीय है कि विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के युवकों के एक संगठन रूट्स इन कश्मीर ने वर्ष 2008 में आरटीआई के तहत आवेदन दायर किया था। संगठन ने इस मामले की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की जानकारी मंत्रालय के पास है, पर विस्तृत जानकारी नहीं है।
सवालों से उमर इतने विचलित हो उठे कि उन्होंने एक के बाद एक छह ट्वीट कर सवालों के जवाब दिए। कश्मीर के वंधामा में 16 साल पहले 25 जनवरी 1998 को 23 कश्मीरी पंडितों की आतंकियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
सवाल पूछने वालों में बालीवुड नेता अनुपम खेर अग्रणी रहे। अनुपम खेर ने एक ट्वीट कर उमर से जम्मू के शरणार्थी कैंप जाकर विनोद के बारे में पता करने को कहा, जिसके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी। साथ ही लिखा कि इस मामले की फाइल भले ही बंद हो गई हो, पर अपने दिल को खोलना।
इसके जवाब में उमर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री रहते और इसके अलावा भी उन्होंने पीड़ित समुदाय के लिए जो बेहतर हो सकता था किया। वे उनके दर्द को भी नहीं भूले। उमर ने एक के बाद एक छह ट्वीट कर सवालों का जवाब देने की कोशिश की। सवाल पूछने वालों से उमर ने उनके छह ट्वीट में नरसंहार के बाद सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की पूरी जानकारी देने की बात कही।
पंडितों के नरसंहार को लेकर सवालों की बौछार से घिरे मुख्यमंत्री को बालीवुड नेता अनुपम खेर ने भी ट्वीट के माध्यम से जवाब देते हुए कहा कि अगर किसी राज्य के प्रमुख हो तो कठोर सवाल सुनने और बर्दाश्त करने ही पड़ेंगे। अपने पहले ट्वीट में उमर ने लिखा कि इस नरसंहार पर बहुत चर्चा हो रही है। जबकि तथ्यों और आरोपों में बहुत अंतर है।
दूसरे ट्वीट में उमर ने लिखा कि मेरे साथ बने रहिए कि जब तक मैं 25 जनवरी 1998 में हरकत उल अंसार के संदिग्ध आतंकियों द्वारा 23 कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले के तथ्य रखता हूं। तीसरे ट्वीट में उमर ने लिखा कि 17 फरवरी को सुरक्षा बलों ने वंधामा में अभियान चलाकर छह विदेशी आतंकियों जोकि पाकिस्तानी बताए गए थे, को मार गिराया था और एक आतंकी घायल हुआ था।
चौथे ट्वीट में उमर ने लिखा कि घायल आतंकी ने वंधामा नरसंहार में शामिल होना कबूल किया था और आईएसआई के एक कमांडर का नाम भी लिया था। पांचवें ट्वीट में उमर ने लिखा कि अभियान को आगे बढ़ाते हुए सुरक्षा बलों ने वंधामा में छह और विदेशी आतंकियों को मार गिराया था। इसके बाद न ही कोई इंटेलीजेंस इनपुट मिले और न ही कोई गवाह।
आखिरी और छठे ट्वीट में सीएम ने लिखा कि इसके चलते केस बंद कर दिया गया था। वंधामा नरसंहार में सरकार के सोए रहने और मामले को अनदेखा करने के आरोप गलत हैं। पवन दुर्रानी, सुनील भट्ट ने भी वंधमा नरसंहार पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। इसके अलावा आदित्य राज कौल ने भी यासीन मलिक और बिट्टा कराटे पर चल रहे मुकदमों की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान केंद्रित किया।
गृह मंत्रालय के पास नहीं थी जानकारी
वंधामा में 16 साल पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बारे में गृह मंत्रालय में कोई जानकारी नहीं है। एक आरटीआई के जवाब में मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि विभाग को ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है, जिसमें बच्चों समेत 23 कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया था।
उल्लेखनीय है कि विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के युवकों के एक संगठन रूट्स इन कश्मीर ने वर्ष 2008 में आरटीआई के तहत आवेदन दायर किया था। संगठन ने इस मामले की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की जानकारी मंत्रालय के पास है, पर विस्तृत जानकारी नहीं है।
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