Sunday, January 26, 2014

अखिलेश सरकार नहीं देगी बुजुर्गों को कंबल

old people didnt get blanket
भूख मुक्ति एवं जीवन रक्षा गारंटी योजना के अंतर्गत कंबल खरीद में प्री-डिस्पैच जांच की व्यवस्था खत्म करने पर उठाए गए सवालों के बाद शासन ने कंबल खरीद और वितरण प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दी है।

कंपनियों ने नए शासनादेश पर सवाल उठाए जाने के बाद प्री-डिस्पैच जांच न होने पर आपूर्ति से हाथ खड़े कर दिए थे।

अब इस ठंडक में कंबल व साड़ी का वितरण मुमकिन नजर नहीं आ रहा है। सरकार ने 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले 57 लाख बुजुर्गों को 31 जनवरी तक एक-एक कंबल देने की घोषणा की थी।

पिछले दिनों शासन ने कड़ाके की ठंडक का हवाला देते हुए 31 जनवरी तक कंबल खरीद कर गरीब बुजुर्गों में वितरण करने की बात कही थी।

कम समय का हवाला देकर शासन ने प्री-डिस्पैच जांच की व्यवस्था भी खत्म कर दी थी। वितरण के पहले प्री-डिस्पैच जांच खत्म करने से कंबल की गुणवत्ता सुनिश्चित कर पाना काफी कठिन माना जा रहा था।

इसके अलावा शासन ने जिस तरह से इस खरीद के पहले और 31 जनवरी तक की खरीद के बाद फिर से जांच को लागू करने की बात कही थी, इससे कई गंभीर सवाल उठ खड़े हुए थे।

'अमर उजाला' ने प्री-डिस्पैच व्यवस्था खत्म करने पर सवाल उठाते हुए कंबल वितरण में आगे आने वाली मुश्किलों का खुलासा किया था।

इस खुलासे के बाद कंबल आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने भी भविष्य में शिकायत और जांच-पड़ताल की आशंका के चलते प्री-डिस्पैच जांच खत्म करने पर गुणवत्ता के साथ कंबल आपूर्ति कर पाने में असमर्थता जता दी।

इसके अलावा कंबल के लिए तय अधिकतम कीमत 419 रुपये को घटाकर 370 रुपये करने से भी कंपनियां संतुष्ट नहीं थीं।

पंचायतीराज विभाग के सूत्रों का कहना है कि कंपनियों ने खरीद वितरण व्यवस्था पर कई सवाल उठाते हुए सबसे पहले उनके निस्तारण का आग्रह किया था। इसके बाद शासन ने कंबल वितरण पर रोक लगाने का फैसला किया।

शासन के निर्देश पर पंचायतीराज
निदेशक सौरभ बाबू ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है। उधर पंचायतीराज विभाग के� एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंबल आपूर्ति करने वाली कंपनियां सप्लाई प्लान नहीं दे पाई थीं।

प्री-डिस्पैच जांच खत्म किए जाने से भी कंपनियां संतुष्ट नहीं थीं। कंबल खरीद व वितरण के लिए तय समय सीमा में बहुत कम वक्त बचा था। ऐसे में शासन के निर्देश पर कंबल वितरण प्रक्रिया स्थगित की गई है।

कंबल वितरण में आए पेंच
पहले कंबल खरीदने के लिए अधिकतम कीमत 419 रुपये तय की गई थी। कुछ दिन पहले इसे 370 रुपये कर दिया गया था।

कंपनियों ने मौजूदा शर्त और मानक के गुणवत्ता वाले कंबल इतनी कम कीमत में दे पाने में असमर्थता जताई। कंबल खरीदने से पहले प्री-डिस्पैच जांच खत्म करने से भी कंपनियां संतुष्ट नहीं थीं।

कंपनियों ने इस शर्त को शिथिल किए जाने का खुलासा होने के बाद साफ कह दिया कि प्री-डिस्पैच जांच खत्म होने के बाद वह गुणवत्ता की गारंटी नहीं ले पाएंगी।

प्री-डिस्पैच जांच न होने पर पोस्ट डिस्पैच जांच में कई-कई दिन लगने की आशंका थी। कई दिनों तक कंबल आपूर्ति करने वाले ट्रकों के फंसने का खतरा था।

पहले जिला मुख्यालयों पर कंबल आपूर्ति की बात थी। बाद में ब्लॉक मुख्यालयों पर आपूर्ति करने की बात कही गई थी।

कंपनियां इस संबंध में भी स्पष्ट व्यवस्था चाहती थीं। हर कंबल पर पंचायतीराज विभाग का एक स्टिकर (बैज) लगना था। इतने कम समय में इस काम में कंपनियां कठिनाई बता रही थीं।

No comments:

Post a Comment