
मंगलवार 21 जनवरी की रात बिहार के सुपौल जिले में महादलित समुदाय के एक युवक की आंखों में कथित रूप से तेज़ाब डालने का मामला सामने आया था। रंजीत सादा का कहना है कि जब वो अपने घर से निकले थे तो उन्हें कहीं से भी इल्म नहीं था कि अगले कुछ घंटे जिंदगी के सबसे ख़ौफ़नाक और दर्दनाक पलों से उन्हें रूबरू कराएंगे।
मज़दूरी मांगने की सज़ा
रंजीत सुपौल जिले के किशनपुर प्रखंड के नरही शिवपुरी के निवासी हैं। 21 जनवरी की शाम वे अपने गांव से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित हांसा गांव के रामनंदन यादव के यहां अपने भाई अजय कुमार की बकाया मजदूरी के पचास रुपये मांगने गए थे। दोनों भाई रामनंदन यादव के लिए मज़दूरी करते थे।
रंजीत ने बताया कि जब रामनंदन यादव के यहां पहुंचे तो वह घर पर नहीं थे। वह दोबारा जब मज़दूरी मांगने पहुंचे तो रामनंदन ने बकाया मजदूरी के लिए बाद में आने की बात कही। लेकिन पैसों की ज़रूरत होने के कारण रंजीत मज़दूरी का भुगतान करने पर जोर देने लगे। रंजीत के अनुसार इस पर रामनंदन ने गालियां देनी शुरू कर दीं।
रंजीत का दावा है कि प्रतिक्रिया में उनके मुंह से भी गाली निकल गई और इसके बाद शाम सात बजे रंजीत से मार-पीट का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आधी रात तक चलता रहा।
बकौल रंजीत उनके साथ न सिर्फ रामनंदन ने मार-पीट की बल्कि इसमें रिश्तेदारों और दूसरे ग्रामीणों ने भी रामनंदन का साथ दिया। उन्हें पत्थर, बांस से मारा गया। पिटाई में उनके दो दांत टूट गए और कई और चोटें भी आईं।
तेज़ाब नहीं 'कैरोसीन तेल'
रंजीत के अनुसार घटना के कुछ दिनों पहले रामनंदन के एक रिश्तेदार के साथ उनकी झड़प भी हुई थी। पिटाई के दौरान रामनंदन ने इस बात का बदला भी निकाला। बकौल रंजीत जब उनकी पिटाई की जा रही थी तभी किसी ग्रामीण ने उस झड़प का जिक्र करते हुए कहा कि उस दिन रंजीत आंख दिखा रहा था, इसकी आंखों में 'तेजाब' डाल दो।
रंजीत ने बताया कि उसके हाथ-पांव बांधकर उनके आंखों में तेज़ाब डाल दिया गया। इसके बाद रामनंदन ने ही फ़ोन कर स्थानीय थाने को यह सूचना दी कि उन्होंने एक युवक को घर में चोरी करते हुए पकड़ा है। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने पर आंखों के ज़ख्म के बारे में बताया गया कि कैरोसीन डालने से ऐसा हुआ है।
चोरी के आरोप को रंजीत और उनके पिता चंदर सादा पूरी तरह से गलत बताते हुए कहते हैं कि यह इल्ज़ाम आरोपी खुद को बचाने के लिए लगा रहे हैं।
वहीं घटना की रात रंजीत की आंखों में डाले गए तरल पदार्थ के सिलसिले में डीएमसीसीएच के अधीक्षक डाक्टर एसएन लाल का कहना है, "तीन नेत्र चिकित्सकों की जांच रिर्पोर्ट में यह पाया गया है कि एसिड या एसिड जैसे किसी तरल पदार्थ ने रंजीत के आंखों और चेहरे को नुकसान पहुंचाया है।"
सहायता और चुनौती
रंजीत को इलाज के सिलसिले में लगभग दस दिन और अस्पताल में गुज़ारने होंगे। डीएमसीएच के डॉक्टरों के अनुसार उनकी आंखों की रोशनी सत्तर से अस्सी प्रतिशत तक लौट सकती है।
पीड़ित और उसके परिवार को थोड़ी देर से ही सही प्रशासन से सुरक्षा और सहायता मिली है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गृह सचिव को मामले की उच्चस्तरीय जांच करने को कहा है। अब तक घटना के दो मुख्य आरोपित लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।
चंदर सादा के अनुसार सबसे पहले उनकी माली हालत देखते हुए किशनपुर के थानाध्यक्ष मनीष रजक ने अपनी तरफ से दो हजार की मदद की थी। बाद में शुक्रवार 24 जनवरी को ज़िला प्रशासन की ओर से उन्हें पंद्रह हजार की सहायता राशि भी मिली। साथ ही रंजीत की सुरक्षा में पुलिस के तीन जवान भी डीएमसीएच में उनके साथ हैं।
रंजीत की आंखों और चेहरे की सूजन कम हो गई थी। लेकिन इस बात की आशंका भी है कि कहीं इलाज के बाद उन्हें जेल ना जाना पड़े क्योंकि रंजीत पर चोरी करने का आरोप है।
इस संबंध में किशनपुर के थानाध्यक्ष मनीष रजक का कहना है कि यह पुलिस की जांच रिपोर्ट के बाद ही साफ़ हो पाएगा कि उन्हें हिरासत में लिया जाएगा कि नहीं।
मज़दूरी मांगने की सज़ा
रंजीत सुपौल जिले के किशनपुर प्रखंड के नरही शिवपुरी के निवासी हैं। 21 जनवरी की शाम वे अपने गांव से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित हांसा गांव के रामनंदन यादव के यहां अपने भाई अजय कुमार की बकाया मजदूरी के पचास रुपये मांगने गए थे। दोनों भाई रामनंदन यादव के लिए मज़दूरी करते थे।
रंजीत ने बताया कि जब रामनंदन यादव के यहां पहुंचे तो वह घर पर नहीं थे। वह दोबारा जब मज़दूरी मांगने पहुंचे तो रामनंदन ने बकाया मजदूरी के लिए बाद में आने की बात कही। लेकिन पैसों की ज़रूरत होने के कारण रंजीत मज़दूरी का भुगतान करने पर जोर देने लगे। रंजीत के अनुसार इस पर रामनंदन ने गालियां देनी शुरू कर दीं।
रंजीत का दावा है कि प्रतिक्रिया में उनके मुंह से भी गाली निकल गई और इसके बाद शाम सात बजे रंजीत से मार-पीट का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आधी रात तक चलता रहा।
बकौल रंजीत उनके साथ न सिर्फ रामनंदन ने मार-पीट की बल्कि इसमें रिश्तेदारों और दूसरे ग्रामीणों ने भी रामनंदन का साथ दिया। उन्हें पत्थर, बांस से मारा गया। पिटाई में उनके दो दांत टूट गए और कई और चोटें भी आईं।
तेज़ाब नहीं 'कैरोसीन तेल'
रंजीत के अनुसार घटना के कुछ दिनों पहले रामनंदन के एक रिश्तेदार के साथ उनकी झड़प भी हुई थी। पिटाई के दौरान रामनंदन ने इस बात का बदला भी निकाला। बकौल रंजीत जब उनकी पिटाई की जा रही थी तभी किसी ग्रामीण ने उस झड़प का जिक्र करते हुए कहा कि उस दिन रंजीत आंख दिखा रहा था, इसकी आंखों में 'तेजाब' डाल दो।
रंजीत ने बताया कि उसके हाथ-पांव बांधकर उनके आंखों में तेज़ाब डाल दिया गया। इसके बाद रामनंदन ने ही फ़ोन कर स्थानीय थाने को यह सूचना दी कि उन्होंने एक युवक को घर में चोरी करते हुए पकड़ा है। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने पर आंखों के ज़ख्म के बारे में बताया गया कि कैरोसीन डालने से ऐसा हुआ है।
चोरी के आरोप को रंजीत और उनके पिता चंदर सादा पूरी तरह से गलत बताते हुए कहते हैं कि यह इल्ज़ाम आरोपी खुद को बचाने के लिए लगा रहे हैं।
वहीं घटना की रात रंजीत की आंखों में डाले गए तरल पदार्थ के सिलसिले में डीएमसीसीएच के अधीक्षक डाक्टर एसएन लाल का कहना है, "तीन नेत्र चिकित्सकों की जांच रिर्पोर्ट में यह पाया गया है कि एसिड या एसिड जैसे किसी तरल पदार्थ ने रंजीत के आंखों और चेहरे को नुकसान पहुंचाया है।"
सहायता और चुनौती
रंजीत को इलाज के सिलसिले में लगभग दस दिन और अस्पताल में गुज़ारने होंगे। डीएमसीएच के डॉक्टरों के अनुसार उनकी आंखों की रोशनी सत्तर से अस्सी प्रतिशत तक लौट सकती है।
पीड़ित और उसके परिवार को थोड़ी देर से ही सही प्रशासन से सुरक्षा और सहायता मिली है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गृह सचिव को मामले की उच्चस्तरीय जांच करने को कहा है। अब तक घटना के दो मुख्य आरोपित लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।
चंदर सादा के अनुसार सबसे पहले उनकी माली हालत देखते हुए किशनपुर के थानाध्यक्ष मनीष रजक ने अपनी तरफ से दो हजार की मदद की थी। बाद में शुक्रवार 24 जनवरी को ज़िला प्रशासन की ओर से उन्हें पंद्रह हजार की सहायता राशि भी मिली। साथ ही रंजीत की सुरक्षा में पुलिस के तीन जवान भी डीएमसीएच में उनके साथ हैं।
रंजीत की आंखों और चेहरे की सूजन कम हो गई थी। लेकिन इस बात की आशंका भी है कि कहीं इलाज के बाद उन्हें जेल ना जाना पड़े क्योंकि रंजीत पर चोरी करने का आरोप है।
इस संबंध में किशनपुर के थानाध्यक्ष मनीष रजक का कहना है कि यह पुलिस की जांच रिपोर्ट के बाद ही साफ़ हो पाएगा कि उन्हें हिरासत में लिया जाएगा कि नहीं।
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